सरकार ने मांगा धार्मिक स्थलों का ब्योरा, धार्मिक स्थलों को लेकर कानून बनाने की है तैयारी!
सरकार का आदेश मिलते ही मजिस्ट्रेट से लेकर थानेदार लेखपाल तक धार्मिक स्थलों का ब्योरा जुटाने में जुट गए हैं।
वाराणसी, जेएनएन। धार्मिक स्थलों को लेकर कानून बनाने की तैयारी शुरू कर दी गई है। सरकार का आदेश मिलते ही मजिस्ट्रेट से लेकर थानेदार, लेखपाल तक धार्मिक स्थलों का ब्योरा जुटाने में जुट गए हैं। अब तक तीन सौ से अधिक धार्मिक स्थलों की सूची तैयार कर ली गई है। मंदिरों के शहर काशी समेत प्रदेश के सभी जिलों से धार्मिक स्थलों को लेकर शासन ने 16 बिंदुओं पर जानकारी मांगी है। इसमें धार्मिक स्थलों को होने वाली फंडिंग, आय-व्यय से लेकर अन्य जानकारी शामिल है। जिलाधिकारी को 15 दिन के अंदर यह जानकारी सरकार को देनी है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर वर्ष 2012-13 में अवैध धार्मिक स्थलों की सूची मांगी गई थी। अब नए सिरे से विवरण जुटाया जा रहा है, जिसमें वैध-अवैध सभी धार्मिक स्थल शामिल हैैं।
धार्मिक स्थलों के पंजीकरण की नहीं है व्यवस्था
सरकार के पास फिलहाल ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है, जिससे यह मालूम हो कि किसी शहर में कितने धार्मिक स्थल विशेषकर मंदिर हैं। इनके पंजीकरण को लेकर अभी तक कोई व्यवस्था नहीं है। प्रमुख मंदिरों से जुड़ी सोसाइटी ने चिट फंड सोसाइटी में पंजीकृत हैं, लेकिन इनकी संख्या कम है। पीएम मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी स्मार्ट शहर की सूची में शामिल है। विकास को लेकर चिंतित बुद्धिजीवियों को आस जगी है कि धार्मिक स्थलों की आड़ में गोरखधंधा करने वालों की दुकानें बंद होंगी। धार्मिक स्थलों की निगरानी से विभिन्न धर्मों से जुड़े उपासना स्थलों को उचित सम्मान व स्थान मिलेगा।
काशी में 800 सौ से अधिक अवैध धार्मिक स्थल
देश में अवैध तरीके से बन रहे धार्मिक स्थलों को लेकर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए 2012-13 में सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में सार्वजनिक भूमि, पार्क, सड़क किनारे बने अवैध धार्मिक स्थलों की सूची तैयार करने का निर्देश दिया था। तत्कालीन मायावती सरकार में हुए सर्वेक्षण में उत्तर प्रदेश में 45,152 धार्मिक स्थल अवैध पाए गए थे। प्रमुख पर्यटन स्थल व मंदिरों के शहर वाराणसी में पहले सर्वे में 949 और दूसरे सर्वेक्षण में लगभग 800 धार्मिक स्थल अवैध मिले। इन धार्मिक स्थलों का 1956 के फसली रिकार्ड में कोई नाम नहीं दर्ज था। मायावती सरकार ने कुछ धार्मिक स्थलों को तोड़वाया भी। इस दौरान सरकार बदल गई। सपा सरकार ने इस मामले में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई।