Move to Jagran APP

जिंदा लोगों में इंसानियत आ जाती काश, ....तो दो दिन तक न यूं न पड़ी रहती लाश !

देश का कानून जिंदा ही नहीं बल्कि मुर्दा शरीर काे भी सम्‍मान देता है। मगर बनारस में शुक्रवार को ऐसा नजारा सामने आया जिससे इंसानियत भी शर्मसार हो जाए।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Fri, 18 Sep 2020 03:12 PM (IST)Updated: Fri, 18 Sep 2020 04:50 PM (IST)
जिंदा लोगों में इंसानियत आ जाती काश, ....तो दो दिन तक न यूं न पड़ी रहती लाश !
जिंदा लोगों में इंसानियत आ जाती काश, ....तो दो दिन तक न यूं न पड़ी रहती लाश !

वाराणसी, जेएनएन। देश का कानून जिंदा ही नहीं बल्कि मुर्दा शरीर काे भी सम्‍मान देता है। मगर, बनारस में शुक्रवार को ऐसा नजारा सामने आया जिससे इंसानियत भी शर्मसार हो जाए। दरअसल दो गज जमीन के लिए दो दिनों से एक महिला का शव दफन के इंतजार में पड़ा रहा। जानकारी होने के बाद प्रशासनिक अमला दो दिनों बाद सक्रिय हुआ तो आखिरकार जमीन निकल आई और लाश को दफन करने की तैयारियां शुरु कर दी गईं। पूरा मामला वाराणसी में रोहनिया क्षेत्र का है जहां पर राजनीति के चक्कर में मौत के बाद भी बुजुर्ग महिला का शव दो दिन तक पड़ा रहा और उससे दुर्गंध तक आने लगी। महिला की मौत के बाद दो गज जमीन के लिए दो दिनों तक चली पंचायत के बाद मोहनसराय में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने अपने यहां शव दफनाने की अनुमति दी।

loksabha election banner

थाना क्षेत्र के काशीपुर गांव स्थित एक बगीचे में बंजारों का परिवार रहता है। दो दिन पहले इसी परिवार की बुजुर्ग महिला की मौत हो गई। जिसके बाद लोगों ने गांव के ही कब्रगाह में दफनाने की कोशिश किया लेकिन गांव के लोगों ने विरोध कर दिया। गांव के लोगों का कहना है कि यह लोग जिस गांव के हैं वहां पर ले जाएं। मामले को लेकर के प्रधान ने तहसील के उच्चाधिकारियों और पुलिस को फोन से सूचना दी गई। सूचना के बाद एसडीएम के निर्देश पर तहसीलदार राजातालाब नीलम उपाध्याय के नेतृत्व में पहुंचे तहसील कर्मियों ने ग्राम समाज की जमीन की नापी भी करा दी, लेकिन इसके बाद भी लोग वहां दफनाने के लिए सहमत नहीं हुए।

आरोप है कि ग्राम प्रधान ने अपने बगीचे में बंजारों को बसा रखा है। इसके पहले भी एक मौत हुई थी जिसके लिए प्रधान ने लोगों से सहमति लेकर उसे दफनाया था। लेकिन उस समय यह तय हुआ था कि इसके बाद अन्य किसी का भी शव नहीं दफनाया जाएगा। इस मामले में तहसीलदार राजातालाब नीलम उपाध्याय ने बताया कि ग्राम प्रधान खुद इस मामले में राजनीति कर रहे हैं क्योंकि इस परिवार के पास मिर्जापुर का आधार कार्ड है तो वहां ले जाकर दफनाना चाहिए। गांव के लोग कब्रगाह में दफनाने के लिए सहमत नहीं हो रहे थे। मृतक महिला के परिवार वाले मोहनसराय स्थित कब्रगाह पर बात करने गए जहां समस्या सुनकर मुस्लिम समुदाय के लोग अपने यहां दफनाने की इजाजत दे दिए और आखिरकार शुक्रवार की शाम तक महिला को दफनाने की सहमति बनी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.