वाराणसी में मरीजों को ढोने वाला एंबुलेंस खुद बीमार, पंजीकृत 474 एंबुलेंस में से 83 का फिटनेस फेल
वाराणसी में मरीजों को ढोने वाला एंबुलेंस खुद बीमार है। परिवहन कार्यालय में पंजीकृत 474 एंबुलेंस में से 83 का फिटनेस फेल है। कई की आयु सीमा पूरी हो चुकी है।
वाराणसी, जेएनएन। मरीजों को ढोने वाला एंबुलेंस खुद बीमार है। परिवहन कार्यालय में पंजीकृत 474 एंबुलेंस में से 83 का फिटनेस फेल है। कई की आयु सीमा पूरी हो चुकी है। फिर भी इन एंबुलेंस से मरीजों को ढोया जा रहा है। ये एंबुलेंस कब और कहां दुर्घटनाग्रस्त हो जाए कोई भरोसा नहीं है। अस्पताल प्रबंधन फिर भी अनफिट एंबुलेंस से मरीजों को ढो रहा है। इन एंबुलेंस को कोई रोकने-टोकने वाला नहीं है। जनसेवा के नाम पर परिवहन विभाग एंबुलेंस के नाम पर कोई टैक्स नहीं लेता है। सिर्फ पंजीयन के दौरान 300 रुपये देना पड़ता है। साथ ही पहले दो साल के लिए फिटनेस होता है। इसके बाद हर साल फिटनेस होता है।
मरीज की जा सकती है जान
अस्पताल प्रबंधन को फिटनेस के दौरान 300 रुपये फीस देनी पड़ती है, फिर भी अस्पताल प्रबंधन एंबुलेंस का फिटनेस नहीं करता है। जबकि उन एंबुलेंस में गंभीर मरीजों को ढोया जाता है। इन अनफिट एंबुलेंस को परिवहन और स्वास्थ्य विभाग कभी चेक नहीं करता है। एंबुलेंस में गंभीर बीमार मरीजों को ढोया जाता है। हूटर बजते एंबुलेंस को देखकर लोग अपने वाहन को किनारे लगा सकते हैं जिससे मरीज जल्द से जल्द अस्पताल पहुंच जाए। अनफिट एंबुलेंस रास्ते में खराब होने के साथ मरीज समय से अस्पताल नहीं पहुंच पाएगा, ऐसे में उसकी जान भी जा सकती है।
अपर परिवहन आयुक्त ने पकड़ा था पांच एंबुलेंस
पिछले साल बनारस दौरे पर आए अपर परिवहन आयुक्त गंगा फल लंका से मीरजापुर जा रहे थे। लंका के पास सड़क के किनारे कई एंबुलेंस खड़े दिखे तो उन्होंने अपना काफिला रोक दिया। उन्होंने उनके कागजातों की जांच शुरू की तो कागजात अपूर्ण मिले थे। उन्होंने सभी स्थानीय थाने में खड़ी करा दिया। एआरटीओ एके राय का कहना है कि सड़क पर चेकिंग के दौरान उन्हीं एंबुलेंस की जांच की जाती है जिनमें मरीज नहीं होते हैं। मरीज होने पर एंबुलेंस को रोका नहीं जा सकता है। एंबुलेंस का सिर्फ फिटनेस और चालक का ड्राइविंग लाइसेंस की जांच की जाती है। अन्य सभी टैक्स से वे मुक्त हैं।