15 दिनों से काशी में था आतंकी नईम
आतंकी नेटवर्क -काशी में विस्फोट की थी साजिश, अमेरिकी व इजराइली थे निशाना -------- -
जागरण संवाददाता, वाराणसी :
लश्करे तैयबा से जुड़े आतंकी नईम ने पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र काशी में पंद्रह दिनों से ठिकाना बना रखा था। केंद्रीय सुरक्षा एजेंसी को इसकी भनक लग चुकी थी। पांच दिनों तक निगरानी के बाद संदेह पुष्ट होने पर एनआइए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) ने उसे दबोचा। काशी के पहले उसने पटना (बिहार) को अपना ठिकाना बनाया था। पटना में भी उसने छावनी समेत अन्य स्थानों की रेकी की थी। इससे पहले नईम तराई इलाके में अपना नेटवर्क मजबूत करने नेपाल के बार्डर इलाके सोनौली व रक्सौल गया था। अपने 'आकाओं' के इशारे पर नईम ने पीएम मोदी व सीएम योगी की कर्मस्थली को टारगेट कर रखा था। पटना के बाद वह काशी आया और घाट किनारे राजघाट से लेकर दशाश्वमेध घाट के बीच जगह बदल - बदल कर रहा था। केंद्रीय जांच एजेंसियों की माने तो नईम यहां ¨हदू नाम प्रवीण से रह रहा था ताकि किसी को शक नहीं हो। एक होटल में ठहरने के दौरान उसने अपना नाम शेख उल्ला बताया था। घाट किनारे धर्मशाला, गेस्टहाउस में रुकने के दौरान नईम ने छावनी, डीरेका समेत उन स्थानों की भी रेकी की जहां अमेरिकी व इजराइली पर्यटक ठहरते हैं। सूत्रों की माने तो गंगा आरती के दौरान ही काशी में विस्फोट करने की तैयारी थी क्योंकि गंगा आरती में स्थानीय लोगों के साथ ही साथ विदेशी पर्यटक भी होते हैं।
----------------
आतंकी खतरा टला नहीं
नईम के पकड़े जाने के बाद काशी में आतंकी हमले का खतरा अभी टला नहीं है। खुफिया एजेंसियों की माने तो नईम ने काशी में ठहरने के दौरान यहां सुप्तावस्था में पड़े स्लीपिंग माड्यूल को सक्रिय किया था। पंद्रह दिनों तक वह लगातार स्लीपर माड्यूल के साथ होटल के कमरे आतंकी हमले की साजिश की तैयारी में जुटा था। राष्ट्रीय जांच एजेंसियों के हत्थे नईम तो आ गया लेकिन पकड़े जाने से पहले उसने स्लीपर सेल तक आकाओं का संदेश पहुंचा दिया था। सुरक्षा एजेंसियों के लिए स्लीपिंग माड्यूल इस समय बड़ी चिंता हैं।
------------------
..तो नदी के रास्ते भाग जाता -
हैदराबाद ब्लास्ट के आरोपी नईम ने काशी में रेकी के दौरान अपना ठिकाना ऐसे स्थान पर बना रखा था, जहां से निकलने के लिए सड़क, रेल व जल मार्ग का सहारा लिया जा सकता था। नईम ने गंगा किनारे जहां अपना ठिकाना बनाया था वहां से कुछ दूरी पर काशी रेलवे स्टेशन है तो बगल में ही बिहार को जाने वाली सड़क। सूत्रों की माने तो वह घाट किनारे एक नाव वाले के भी संपर्क में था ताकि किसी तरह का अंदेशा होने पर वह रात में भी नौका से फरार हो जाए।