Prime minister Narendra modi के जंगमबाड़ी मठ वाराणसी में संबोधन की दस प्रमुख बातें
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जंगमबाड़ी मठ में आयोजित सभा को संबोधित करते हुए धर्म संस्कृति और संस्कारों के माध्यम से राष्ट्र निर्माण की महत्ता को भी परिभाषित किया।
वाराणसी, जेएनएन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जंगमबाड़ी मठ में आयोजित सभा को संबोधित करते हुए धर्म संस्कृति और संस्कारों के माध्यम से राष्ट्र निर्माण की महत्ता को भी परिभाषित किया। दस प्रमुख बिंदुओं में जानिए कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन का क्या रहा निचोड़।
सत्ता नहीं एक-एक व्यक्ति के संस्कार से बनता है राष्ट्र
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि राष्ट्र सत्ता से नहीं संस्कृति और संस्कारों से बना है, सामर्थ्य से बना है। ऐसे में देश की पहचान को अगली पीढी तक पहुंचाने का जिम्मा हम सभी पर है। मंदिर हों, बाबा विश्वनाथ, बारहाें ज्योतिर्लिंग हों, प्रमुख पीठ हों या चार धाम हों, यह सभी दिव्य व्यवस्था हैं। यह एक और श्रेष्ठ भारत के मार्ग दर्शक हैं। जन-जन की विविधता को आपस में जोडते हैं। रविवार सुबह अपने संसदीय क्षेत्र पहुंचे प्रधानमंत्री सबसे पहले काशी ज्ञान सिंहासन पीठ जंगमबाड़ी मठ गए। जगद्गुरु विश्वाराध्य गुरुकुल शतमानोत्सव व वीर शैव महाकुंभ में देश भर से आए अनुयायियों को संंबोधित किया।
ज्ञान और सत्संग का मौका मिले तो छोडना नहीं चाहिए
पीएम ने कहा कि - मैं काशी का जनप्रतिनिधि हूं और काशी की धरती पर संतों के आशीर्वाद का मुझे सौभाग्य मिला। आप सभी का इस आयोजन में स्वागत करता हूं। संस्कृत और संस्कृति के संगम स्थली में आना सौभाग्य की बात है। बाबा विश्वनाथ अौर मां गंगा के आंचल में संत वाणी का मौका हमेशा नहीं आता। कार्यक्रम के लिए पत्र मिला था और पत्र में राष्ट्र की भी चिंता थी। युवा भारत के लिए पुरातन भारत के गौारवगान का यह मौका था। संतों के ज्ञान और सत्संग का मौका मिले तो छोडना नहीं चाहिए। पूरे देश के कोने कोने से यहां लोग आए हैं। यहां पर कर्नाटक और महाराष्ट्र से लोग आए हैं और भोले की नगरी का भी यहां काफी प्रतिनिधितव है। आप सभी का इस समारोह में स्वागत है। तुलसी दास जी ने कहा था- संत समागम हरि कथा तुलसी दुर्लभ दोऊ। ऐसे में वीर शैव की संत परंपरा के शताब्दी वर्ष का आयोजन सुखद है।
भारत में राष्ट्र का मतलब जीत और पराजय नहीं रहा
वीर शब्द का अर्थ वीरता का नहीं बल्कि वीर शैव परंपरा में वीर काे आध्यात्मिक अर्थ से परिभाषित किया गया है। मानवता का महान संदेश नाम से जुडा है जिससे समाज को भय विरोध और विकारों से निकालने के लिए परंपरा का आग्रह और नेतृत्व हमेशा रहा है। भारत में राष्ट्र का मतलब जीत और पराजय नहीं रहा। संयोग है कि गुरुकुल का शताब्दी वर्ष समारोह 21 वीं सदी के मौके पर हो रहा है। यह भारत को विश्व पटल पर स्थापित करने वाला साबित होगा। पुरातन ज्ञान और दर्शन को सिद्धांत शिखामणि का अभिनंदन है। भक्ति से मुक्ति का मार्ग दिखाने वाले दर्शन को भावी पीढी तक पहुंचाना चाहिए।
एप से मिलने वाला ज्ञान युवाओं को और बल देगा और उनकी प्रेरणा बनेगा
पीएम नरेंद्र मोदी ने 19 भाषाओं में अनुवादित ग्रंथ सिद्धांत शिखामणि का विमोचन किया। इसे राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय सभी भाषाओं में पढ़ने के लिए एप लांच किया। उन्होंने कहा कि एप से मिलने वाला ज्ञान युवाओं को और बल देगा और उनकी प्रेरणा बनेगा। आगे चलकर इस एप के द्वारा इसी ग्रंथ के संबंध में क्विज कंपटीशन करना चाहिए। तीन लोगों को इनाम देना चाहिए। सब आनलाइन हो सकता है।
संतों के ज्ञान को जन जन तक पहुंचाना मानवता की बड़ी सेवा
पीएम ने कहा संतों के ज्ञान को जन जन तक पहुंचाना मानवता की बड़ी सेवा है जो भी हमसे बन पडे़ वह करना चाहिए। लिंगायत, वीरशैव के लोगों ने शिक्षा संस्कृति को बढाया है। मठों के जरिए अज्ञानता दूर की जा रही है। जंगमबाडी मठ तो भावात्मक और मनोवैज्ञानिक तरीके से प्रेरणा और आजीविका का भी जरिया है। संस्कृत और दूसरे भाषाओं संग तकनीक का समावेश कर रहे हैं। सरकार का प्रयास है संस्कृत और दूसरी भाषाओं का युवाआें को लाभ हो। चंद्रशेखर महास्वामी जी का आभार जिन्होंने दर्शन कोष बनाया। उनकी लिखी किताबें राष्ट्र निर्माण का संस्कार दे रही है। नागरिकों के संस्कार से देश बनता है।
हमारा आचरण नए भारत की दिशा तय करेगा
पीएम बोले-संस्कार और कर्तव्य भावना देश को श्रेष्ठ बनाती है। हमारा आचरण नए भारत की दिशा तय करेगा। सनातन परंपरा में धर्म कर्त्व्य का पर्याय रहा है। वीरशैव ने धर्म की शिक्षा कर्तव्यों के साथ दी है। पांच अाचरण का इसमें जिक्र है। मठों के जरिए जीवन का संकल्प और राष्ट्र निर्माण करना है। दूसरों की सेवा के लिए करुणा भाव से आगे बढना है और संकल्पों से खुद को जोडना है।
स्वच्छता का संदेश, युवाओं का आभार
देश भर से आए संतों-महंतों व वीर शैव संप्रदाय के श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए पीएम ने स्वच्छता का संदेश दिया तो इसमें योगदान के लिए आभार भी जताया। उन्होंने कहा कि स्वच्छता में मठों, स्कूलों और गुरुकुलों की बड़ी भूमिका रही। स्वच्छ भारत अभियान को काशी समेत देश के युवाओं ने आगे बढाया।
बुनकरों-शिल्पियों को दें सम्मान
पीएम ने कहा कि भारत में बने सामान, बुनकरों और शिल्पियों को सम्मान देना है। हम सब लोकल सामान ही खरीदें। लोगों कों भारत में बने सामान के उपयोग पर हमको बल देना है। लोगों की मानसिकता बदलनी है कि इंपोर्टेड श्रेष्ठ है। हमारे देश में ही वैश्वविक स्तर पर उत्पाद बनाए जा रहे हैं। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जल जीवन पर आपकी भूमिका भी अहम है। घर-खेत या कोई स्थान हो, रिसाइकिलिंग पर जोर देना होगा। देश में पानी बचत करना है और देश को सूखा मुक्त-जल युक्त करना है। इसमें हर एक का योगदान काम आएगा।
सरकार के भरोसे न रह जाएं, जनभागीदारी दिखाएं
पीएम ने कहा कि देश में बडे अभियानों को सरकार के जरिए करना संभव नहीं होगा, इसके लिए जनभागीदारी करनी होगा। गंगा जल में सुधार इसका परिणाम है। आज गंगा के पास बसे जगहों पर दायित्वबोध, कर्तव्यबोध ने गंगा को साफ करने में याेगदान दिया है। नमामि गंगे का काम प्रगति पर है। आगे भी तेज कार्य होगा। मदद मिलेगी तो सभी के सहयोग से काम होगा। कुंभ में गंगा की स्वच्छता पर संतोष व्यक्त किया था।
वीरशैव संतों का संदेश सरकारों की प्रेरणा
वीरशैव संतों ने जो संदेश दिया वह सरकारों को प्रेरणा देता है। आज देश में पुरानी समस्याओं पर फैसला आ रहा है। राम मंदिर प्रकरण दशकों से अदालत में फंसा था, अब राम मंदिर निर्माण का मार्ग साफ हो गया। राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट की घोषणा की है जो अयोध्या में भव्य मंदिर का निर्णय लेगा। संतों के आशीर्वाद से यह शुरू हुआ और पूरा होगा। राम मंदिर से जुडा फैसला लिया है। 67 एकड भूमि ट्रस्ट को मिलेगी। इतनी जमीन रही तो मंदिर की भव्यता और बढेगी। राम मंदिर और काशी विश्वनाथ धाम का कालखंड ऐतिहासिक है। इसके बाद मेरे काशी में और दो कार्यक्रम हैं। यह सभी काशी और नए भारत को मजबूत करेंगे। संकल्प लें कि नए भारत के निर्माण में खुद जिम्मेदारी लेंगे। राष्ट्र हित में बेहतर और कर्तव्य के लिए जिम्मा निभाएंगे।