महज 10 भालुओं का ठौर बना कैमूर वन्य क्षेत्र
सोनभद्र : कैमूर वन्य जीव प्रभाग मीरजापुर में काले हिरण व चीतल के बाद भालुओं की स्थिति भी काफी ¨चतनीय
सोनभद्र : कैमूर वन्य जीव प्रभाग मीरजापुर में काले हिरण व चीतल के बाद भालुओं की स्थिति भी काफी ¨चतनीय है। लगभग आठ सौ वर्ग किमी के दायरे में फैले वन क्षेत्र का दो तिहाई से भी अधिक हिस्सा सोनभद्र जनपद में फैला हुआ है। इतने बड़े क्षेत्रफल होने के बावजूद जीवों के लिए संतुलित व्यवस्था उपलब्ध न कराये जाने के कारण इसमें निवास करने वाले जीवों की संख्या काफी घट गई है। इसमें मुख्य रूप से भालू यहां सिर्फ 10 ही बचे हैं। जबकि इससे पूर्व के भालुओं की संख्या स्पष्ट नहीं है। एक ही गणना की मिली जानकारी
नियमानुसार हर तीन साल में वन्य क्षेत्र के जीवों की गणना होती है। इसके लिए जीवों के अनुसार गणना के उपाय किये जाते हैं। इसी क्रम में 2016 में हुई गणना में कैमूर वन्य क्षेत्र में 10 भालुओं के होने की जानकारी मिली। जब भालुओं की संख्या पिछली गणनाओं से लेने का प्राप्त किया गया तो विभाग बताने में अक्षम साबित हुआ। ऐसी व्यवस्थाओं से सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि कैमूर वन्य जीव प्रभाग में चीतल, काले हिरण के साथ भालुओं की स्थिति क्या है। प्राकृतिक आवासों की हुई कमी
भालू झुण्ड की बजाय एकांत में रहना पसंद करते हैं। केवल बच्चे जनने के लिए नर-मादा साथ रहते हैं और फिर अलग हो जाते हैं। बच्चों के पैदा होने के बाद, ये छोटे भालू कुछ समय के लिए अपनी मां के साथ रहते हैं। भालू ज्यादातर दिन के समय ही सक्रिय होते हैं। इनकी सूंघने की शक्ति बहुत तीव्र होती है। यह अक्सर गुफाओं या जमीन में बड़े गड्ढों में अपना घर बनाते हैं। जबकि सच्चाई यह है कि वन क्षेत्रों में बेवजह लोगों की चहलकदमी और शिकारियों की बढ़ती गतिविधियों के कारण भालू असहज हो गए और इनकी संख्या घटने लगी लगी।