Move to Jagran APP

विंध्याचल के मंदिर कुंड-तालाब व कूप को मिलेगा पौराणिक स्वरूप, मास्टर प्लान में समग्र विंध्यक्षेत्र को किया जा रहा समाहित

अनादिकाल से विद्यमान मां विंध्यवासिनी मंदिर व विंध्यक्षेत्र के पौराणिक स्थलों को सहेजने समेटने के लिए एकीकृत मास्टर प्लान बनाया जा रहा है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Fri, 06 Dec 2019 07:30 AM (IST)Updated: Fri, 06 Dec 2019 07:09 PM (IST)
विंध्याचल के मंदिर कुंड-तालाब व कूप को मिलेगा पौराणिक स्वरूप, मास्टर प्लान में समग्र विंध्यक्षेत्र को किया जा रहा समाहित
विंध्याचल के मंदिर कुंड-तालाब व कूप को मिलेगा पौराणिक स्वरूप, मास्टर प्लान में समग्र विंध्यक्षेत्र को किया जा रहा समाहित

मीरजापुर [मनोज द्विवेदी]। अनादिकाल से विद्यमान मां विंध्यवासिनी मंदिर व विंध्यक्षेत्र के पौराणिक स्थलों को सहेजने, समेटने के लिए एकीकृत मास्टर प्लान बनाया जा रहा है। इसमें न सिर्फ विंध्याचल के प्रमुख मंदिर शामिल हैं बल्कि यहां के कुंड, तालाब व कूपों को भी समाहित किया जा रहा है। इतना ही नहीं विंध्य पर्वत व मां गंगा की संगम स्थली को भी दुनिया के नक्शे पर उभारा जाएगा। शासन की मंशा है कि विंध्याचल क्षेत्र के आध्यात्मिक, पौराणिक, धार्मिक गौरव को उच्च प्राथमिकता दी जाए।

loksabha election banner

विंध्याचल में मां विध्यवासिनी कारिडोर की तैयारियों के बीच शासन द्वारा संपूर्ण विंध्यक्षेत्र के विकास की योजना बनाई जा रही है। इसके लिए शासन स्तर पर विंध्याचल का मास्टर प्लान बनाया जा रहा है। लखनऊ के एबीएन कंसल्टेंट द्वारा यह मास्टर प्लान तैयार किया जा रहा है जो इसी महीने तक फाइनल कर दिया जाएगा। इसमें मां विंध्यवासिनी मंदिर सहित अष्टभुजा मंदिर, काली खोह मंदिर, राम गया घाट, नाग कुंड, सीता कुंड, मोतिया तालाब, गेरुआ तालाब, तारा मंदिर, गंगेश्वर महादेव सहित उन सभी एतिहासिक स्थलों को शामिल किया जा रहा है जिनके पुरातात्विक प्रमाण पौराणिक पुस्तकों, वैदिक ग्रंथों में मिलते हैं। शासन की योजना के अनुसार इन सभी तीर्थ स्थानों को पुर्नजीवित करने के साथ ही उनकी भव्यता लौटाई जाएगी ताकि विंध्याचल आने वाले श्रद्धालुओं को लगे कि वे मां विंध्यवासिनी की धरा से लौटकर आए हैं।

51 शक्तिपीठों में से एक विंध्याचल

विंध्याचल धाम मां के 51 शक्तिपीठों में से एक है। मान्यता है कि सृष्टि आरंभ होने से पूर्व और प्रलय के बाद भी इस क्षेत्र का अस्तित्व कभी समाप्त नहीं होगा। इस कारण यह क्षेत्र सिद्व पीठ के रूप में विख्यात है। आदि शक्ति की शाश्वत लीला भूमि मां विंध्यवासिनी धाम में पूरे वर्ष श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। चैत्र व शारदीय नवरात्र में यहां देश के कोने-कोने से लोग आते हैं। नगर मजिस्ट्रेट सुशील लाल श्रीवास्तव ने कहा कि सिर्फ मां विंध्यवासिनी मंदिर ही नहीं पूरे विंध्यक्षेत्र का अनुपम विकास किया जाएगा। इसके लिए समग्र क्षेत्र के ऐतिहासिक स्थलों को शामिल करते हुए मास्टर प्लान बनाया जा रहा है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.