लोकसभा चुनाव 2019 : आधी आबादी के साथ से गुल खिला सकता है तीन तलाक प्रकरण
आशफा को आज भी वह दिन याद है जब उसकी बड़ी बहन को उसके पति ने छोटी सी बात पर तलाक-तलाक-तलाक बोल दिया उसके बाद पूरा परिवार महीनों सदमे में रहा।
वाराणसी [रत्नाकर दीक्षित]। आशफा को आज भी वह दिन याद है जब उसकी बड़ी बहन को उसके पति ने छोटी सी बात पर तलाक-तलाक-तलाक बोल दिया। उसके बाद पूरा परिवार महीनों सदमे में रहा। आशफा के बहन की जिंदगी तो महज एक नजीर भर है। जरा सोचिए ऐसी कई मुस्लिम बेटियां हैं जिनके पति मोबाइल पर तलाक-तलाक-तलाक लिखकर तलाक ले लिया। इन औरतों को आशा की किरण उस समय दिखाई दी जब केंद्र सरकार ने बाकायदा कानून बना दिया। अब उन्हें यह तो समझ में आ ही गया कि तलाक देना आसान नहीं।
अब ऐसे लोगों को कानून से जूझना पड़ रहा है। थानों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। औरतें बच्चे लेकर दूसरों के यहां भले काम कर रही हों लेकिन न्याय की आस टूटी नहीं बल्कि और मजबूत हो गई हैं। उन्हें कानून और सरकार पर भरोसा है। इस कानून का असर चुनाव पर पड़ेगा। मतलब साफ है चुनावी समर में तलाक का भी मुद्दा गुल खिलाने को तैयार है। अभी तक भाजपा से दूर रहने वाले इस तबके की आधी आबादी के नजरिए में बदलाव आया है।
बतौर नजीर बलिया जिले के सिकंदरपुर के मटूरी गांव की विवाहिता नगमा परवीन को ले सकते हैं। नगमा ने तीन तलाक बिल पास होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ की तस्वीर बनाकर घर में खुशी का इजहार किया तो उसे ससुरालियों का विरोध झेलना पड़ा। हालात इस कदर बिगड़े कि ससुराल वालों ने घर से बाहर निकाल दिया। इसके बावजूद वह सभी का विरोध झेलकर भी तीन तलाक बिल का समर्थन करती रही। अब वह अपने मायके में है लेकिन ससुराल की गलत मानसिकता के आगे सिर नहीं झुकाया।
दूसरी कहानी भी बलिया जिले के अकबरपुर की है। वहां के निवासी शौकत शेख की पुत्री अमिरून तीन तलाक का शिकार हुई। यह मामला जनवरी का है। पति-पत्नी में अनबन हुई तो पति सड़क पर ही तीन तलाक बोल दिया। शौकत की बेटी की शादी सुखपुरा थाना क्षेत्र के हैदर शेख से हुई थी। अमिरून मानती है कि तीन तलाक कानून उन्हें न्याय देगा, मुकदमा चल रहा है।
1- अब तक इसका दुरूपयोग कर महिलाओं को खिलौना समझा जाता रहा। बहुत से इस्लामिक देशों में तीन तलाक बैन है। केवल भारत में ही इसका दुरुपयोग होता रहा है। यह कानून बनने से महिलाएं मजबूत हुई हैं। -तस्नीम फात्मा शिक्षिका, जौनपुर
2-तीन तलाक का कानून देश में बनना सही है। लेकिन जब पति जेल की सलाख के पीछे होगा तो परिवार को आर्थिक मदद कैसे चलेगी। इसमें कुछ सुधार की जरूरत है। -लारेब नोमानी, आजमगढ़
3- अत्याचार किसी पर नहीं होना चाहिए। किसी भी जाति, धर्म की महिला या पुरुष पर अत्याचार नहीं होना चाहिए। इस कानून से किसी समाज विशेष की महिला को फायदा हो सकता है तो कहीं इसका बेजा इस्तेमाल भी होगा। -शगुफ्ता परवीन, मीरजापुर
4- तलाक को लेकर महिलाओं के लिए इस्लाम में जो शरिया कानून बना है वो बेहतर है। बावजूद इसके यदि कोई बेवजह तलाक ले रहा है तो कानून काम करेगा। - फसीहा जमानी, गाजीपुर।
5- शिक्षा के अभाव में वह अपने हक व अधिकार को नहीं जानती थीं। कानून बन जाने से उनमें जागरूकता आई हैं। जागरूकता व शिक्षा से ही महिलाओं का उत्थान होगा। सरकार इस क्षेत्र में बेहतर काम कर रही है। -शमां परवीन, सोनभद्र
6- तीन तलाक कोई मुद्दा नहीं है और इसे बेवजह बढ़ाया जा रहा है। मुस्लिम समुदाय में जागरूक लोग ऐसा नहीं करते। वैसे कानून बनने से गरीब और कमजोर महिलाओं को इसका लाभ मिलेगा। -शाहीन बानो, भदोही
7- तीन तलाक कानून कमजोर व गरीब महिलाओं के लिए सहारा देने वाला साबित हो रहा है। अब आसन नहीं रहेगा तलाक देना। चुनाव में भी इसका असर पड़ेगा। -नगमा परवीन, बलिया