गाजीपुर में शिक्षकों की फर्जी नियुक्ति को लेकर जांच के लिए पहुंची टीम, पत्रावलियां ले गए साथ
गाजीपुर में समाज कल्याण विभाग से संचालित प्राइमरी विद्यालयों के शिक्षक भर्ती में हुए फर्जीवाड़े की जांच प्रक्रिया की गति तेज हो गई है।
गाजीपुर, जेएनएन। समाज कल्याण विभाग से संचालित प्राइमरी विद्यालयों के शिक्षक भर्ती में हुए फर्जीवाड़े की जांच प्रक्रिया की गति तेज हो गई है। इस क्रम में गुरुवार को वाराणसी से जांच टीम अचानक गाजीपुर धमक पड़ी। टीम ने बेसिक शिक्षा विभाग से उन सभी पहलुओं की जानकारी ली जिसके आधार पर इन शिक्षकों की तैनाती की गई थी। जांच टीम में चार लोग शामिल थे जिसका नेतृत्व समाज कल्याण वाराणसी के डिप्टी डायरेक्टर केएल गुप्ता कर रहे थे।
टीम ने पहले इससे संबंधित पत्रावलियों को खंगाला, इसके बाद हर स्तर पर संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों से जानकारी हासिल की। फिर टीम ने समाज कल्याण विभाग का रुख कर अधिकारियों व कर्मचारियों का बयान दर्ज किया। इस दौरान जांच अधिकारी बेसिक शिक्षा विभाग से इस मामले से जुड़े कुछ दस्तावेज भी अपने साथ लेते गए। समाज कल्याण विभाग में प्राइमरी शिक्षक पद पर भर्ती करने के लिए पहले बेसिक विभाग से अनुमोदन लेना पड़ता है। तत्कालीन बेसिक शिक्षाधिकारी अशोक कुमार यादव ने इस भर्ती का अनुमोदन नहीं किया था। यही नहीं, 2018 में बैक डेट में सभी कागजातों को पूरा किया गया था। जालसाजों ने उनका कूट रचित हस्ताक्षर कर अनुमोदन दस्तावेज तैयार कर लिया और उसी के सहारे समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित तीन प्राइमरी स्कूलों में तीन शिक्षकों की प्रबंधकीय स्तर से भर्ती कर ली। इसकी पोल तक खुली जब उनके वेतन भुगतान के लिए समाज कल्याण उप सचिव ने इन कागजातों का सत्यापन करने को कहा। पड़ताल में बेसिक शिक्षा कार्यालय ने अपनी पत्रावलियों में उक्त तीनों नियुक्तियों के लिए कोई अनुमोदन नहीं पाया। मालूम चला कि अनुमोदन पत्र पर तत्कालीन बीएसए अशोक कुमार यादव की जगह उससे मिलता-जुलता फर्जी हस्ताक्षर किया गया है। उसने अपनी रिपोर्ट बनाकर भेज दी, जिसके बाद हड़कंप मच गया।
टीम ने जरूरी दस्तावेज खंगाला और उसकी रिपोर्ट तैयार की
समाज कल्याण में फर्जी अनुमोदन पत्र के आधार पर हुई शिक्षक भर्ती के बारे में जांच टीम हमारे कार्यालय में आई थी। टीम ने जरूरी दस्तावेज खंगाला और उसकी रिपोर्ट तैयार की। हमने लिख कर दे दिया है कि यह अनुमोदन फर्जी है। बेसिक शिक्षा विभाग से इसका कोई लेनादेना नहीं है।
- श्रवण कुमार, बीएसए।