उभ्भा गांव मामले में तीन घंटे तक भूमि का दस्तावेज खंगाली जांच टीम
घोरावल के उभ्भा गांव में 17 जुलाई को भूमि पर कब्जे को लेकर हुए नरसंहार में दस लोगों की जान चली गई थी। वहीं 28 लोग घायल हो गए थे।
By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Wed, 24 Jul 2019 01:34 PM (IST)Updated: Thu, 25 Jul 2019 10:17 AM (IST)
सोनभद्र, जेएनएन। मूर्तिया ग्राम पंचायत की जिस भूमि के लिए नरसंहार हुआ। उसे लेकर अब प्रशासनिक अमला पूरी तरह से सक्रिय हो गया है। सीएम के निर्देश पर गठित तीन सदस्यीय जांच टीम ने पहले भूमि से संबंधित दस्तावेजों को लखनऊ मंगाकर देखा और इसके बाद बुधवार की सुबह कलेक्ट्रेट पहुंची। जहां
अपर मुख्य सचिव राजस्व रेणुका कुमार के नेतृत्व में दो सदस्यीय टीम ने कलेक्ट्रेट कक्ष में कमिश्नर, जिलाधिकारी, सरकारी अधिवक्ताओं, वन विभाग, राजस्व विभाग की टीम के साथ करीब तीन घंटे तक उभ्भा गांव की भूमि के दस्तावेजों को खंगाला। इस दौरान जांच टीम ने पीडि़त पक्ष के अधिवक्ताओं से भी मुकदमे के दौरान हुए विभिन्न घटनाक्रम, लगाई गई आपत्तियों के बारे में विस्तार से जाना। जहां पर जांच टीम अधिकारियों के साथ बैठक कर रही थी, वहां पर मीडिया के प्रवेश पर पूर्णतया प्रतिबंध लगा दिया गया था। बावजूद इसके मीटिंग कक्ष से अपर मुख्य सचिव राजस्व की रह-रहकर तल्ख आवाज बाहर छन-छन कर आ रही थी। जिससे साफ प्रतित हो रहा था कि वह जमीन आवंटन को लेकर हुई इस गड़बड़ी को देखकर हतप्रभ व क्रोधित हो रही थीं।
टीम के सामने जिले के तीनों वन प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारियों की भी पेशी हुई। इस दौरान मूर्तिया गांव से सटे धारा 20 की भूमि के प्रकाशन न होने पर टीम ने सवाल-जवाब किया। नाम न छापने की शर्त पर जांच टीम के साथ बैठे एक अधिकारी ने बताया कि दस्तावेजी जांच के दौरान कई जगह पर व्यापक गड़बड़ी मिली है। जिसको लेकर अपर मुख्य सचिव राजस्व व प्रमुख सचिव श्रम सुरेश चंद्र काफी नाराज दिखे। कलेक्ट्रेट से जांच टीम सीधे उभ्भा गांव के लिए निकल गई।
संपूर्ण फाइल न होने पर हांफते नजर आए अधिकारी
अपर मुख्य सचिव राजस्व रेणुका कुमार जब अधिकारियों के साथ मूल दस्तावेजों की जांच शुरू कीं तो कई दस्तावेज नहीं मिले। जिस पर उन्होंने कड़ी नाराजगी दर्ज करते हुए कहा कि मुझे सभी दस्तावेज हर हाल में चाहिए, अगर जिसके पटल से दस्तावेज गायब हुए हैं उनके ऊपर कार्रवाई करने में मुझे तनिक भी गुरेज नहीं होगा। बैठक कक्ष से निकलने वाले हर एक अधिकारी के चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थीं। दहशत का आलम यह था कि बाहर निकलने वाला कोई भी अधिकारी मीडिया के सामने कुछ भी बोलने से कतरा रहा था।
पीडि़त पक्ष के अधिवक्ताओं को सुना
अपर मुख्य सचिव राजस्व रेणुका कुमार व प्रमुख सचिव श्रम सुरेश चंद्र की टीम ने पीडि़त पक्ष के अधिवक्ताओं को भी सुना। उनसे मुकदमे के दौरान उनके द्वारा लगाए गए विभिन्न आपत्तियों की प्रति की भी मांग की। कहा कि मुकदमे के दौरान उनके द्वारा प्रस्तुत किए गए जो भी दस्तावेज हैं उसे जांच टीम के सामने प्रस्तुत किया जाए। कहा कि अगर कोई विशेष जानकारी हो तो वह भी वह बिना किसी संकोच के जांच टीम को उपलब्ध करा सकते हैं
अपर मुख्य सचिव राजस्व रेणुका कुमार के नेतृत्व में दो सदस्यीय टीम ने कलेक्ट्रेट कक्ष में कमिश्नर, जिलाधिकारी, सरकारी अधिवक्ताओं, वन विभाग, राजस्व विभाग की टीम के साथ करीब तीन घंटे तक उभ्भा गांव की भूमि के दस्तावेजों को खंगाला। इस दौरान जांच टीम ने पीडि़त पक्ष के अधिवक्ताओं से भी मुकदमे के दौरान हुए विभिन्न घटनाक्रम, लगाई गई आपत्तियों के बारे में विस्तार से जाना। जहां पर जांच टीम अधिकारियों के साथ बैठक कर रही थी, वहां पर मीडिया के प्रवेश पर पूर्णतया प्रतिबंध लगा दिया गया था। बावजूद इसके मीटिंग कक्ष से अपर मुख्य सचिव राजस्व की रह-रहकर तल्ख आवाज बाहर छन-छन कर आ रही थी। जिससे साफ प्रतित हो रहा था कि वह जमीन आवंटन को लेकर हुई इस गड़बड़ी को देखकर हतप्रभ व क्रोधित हो रही थीं।
टीम के सामने जिले के तीनों वन प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारियों की भी पेशी हुई। इस दौरान मूर्तिया गांव से सटे धारा 20 की भूमि के प्रकाशन न होने पर टीम ने सवाल-जवाब किया। नाम न छापने की शर्त पर जांच टीम के साथ बैठे एक अधिकारी ने बताया कि दस्तावेजी जांच के दौरान कई जगह पर व्यापक गड़बड़ी मिली है। जिसको लेकर अपर मुख्य सचिव राजस्व व प्रमुख सचिव श्रम सुरेश चंद्र काफी नाराज दिखे। कलेक्ट्रेट से जांच टीम सीधे उभ्भा गांव के लिए निकल गई।
संपूर्ण फाइल न होने पर हांफते नजर आए अधिकारी
अपर मुख्य सचिव राजस्व रेणुका कुमार जब अधिकारियों के साथ मूल दस्तावेजों की जांच शुरू कीं तो कई दस्तावेज नहीं मिले। जिस पर उन्होंने कड़ी नाराजगी दर्ज करते हुए कहा कि मुझे सभी दस्तावेज हर हाल में चाहिए, अगर जिसके पटल से दस्तावेज गायब हुए हैं उनके ऊपर कार्रवाई करने में मुझे तनिक भी गुरेज नहीं होगा। बैठक कक्ष से निकलने वाले हर एक अधिकारी के चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थीं। दहशत का आलम यह था कि बाहर निकलने वाला कोई भी अधिकारी मीडिया के सामने कुछ भी बोलने से कतरा रहा था।
पीडि़त पक्ष के अधिवक्ताओं को सुना
अपर मुख्य सचिव राजस्व रेणुका कुमार व प्रमुख सचिव श्रम सुरेश चंद्र की टीम ने पीडि़त पक्ष के अधिवक्ताओं को भी सुना। उनसे मुकदमे के दौरान उनके द्वारा लगाए गए विभिन्न आपत्तियों की प्रति की भी मांग की। कहा कि मुकदमे के दौरान उनके द्वारा प्रस्तुत किए गए जो भी दस्तावेज हैं उसे जांच टीम के सामने प्रस्तुत किया जाए। कहा कि अगर कोई विशेष जानकारी हो तो वह भी वह बिना किसी संकोच के जांच टीम को उपलब्ध करा सकते हैं
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