आधुनिकता संग परंपरा को सहेजेगा वाराणसी का तिब्बती संस्थान का शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र, प्रधानमंत्री करेंगे लोकार्पण
वाराणसी के केंद्रीय तिब्बती उच्च शिक्षा संस्थान सारनाथ में साढ़े नौ करोड़ रुपये की लागत से बन रहे टीचर्स ट्रेनिंग सेंटर का निर्माण कार्य 90 फीसद तक पूरा हो चुका है। भवन 15 दिसंबर तक संस्थान को हैंडओवर कर दिया जाएगा।
वाराणसी [केके अस्थाना] । केंद्रीय तिब्बती उच्च शिक्षा संस्थान, सारनाथ में साढ़े नौ करोड़ रुपये की लागत से बन रहे टीचर्स ट्रेनिंग सेंटर का निर्माण कार्य 90 फीसद तक पूरा हो चुका है। भवन 15 दिसंबर तक संस्थान को हैंडओवर कर दिया जाएगा। इसके बाद जनवरी 2021 में इसके लोकार्पण कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आमंत्रित करने की तैयारी है। देवदीपावली पर सारनाथ स्थित पुरातात्विक खंडहर परिसर में लाइट एंड साउंड शो के बाद संस्थान निदेशक प्रो. नवांग समतेन से बातचीत में पीएम ने यहां आने की इच्छा भी जाहिर की थी।
टीचर्स ट्रेनिंग सेंटर के निदेशक डा. हिमांशु पांडेय ने बताया कि इस प्रोजेक्ट के लिए वर्ष 2018 में शिक्षा मंत्रालय से साढ़े नौ करोड़ रुपये की धनराशि अवमुक्त हुई थी। वर्ष 2019 से भवन का निर्माण कार्य शुरू हुआ। नालंदा संस्कृति की तर्ज पर पाठ्यक्रम तैयार करने वाला अपनी तरह का यह देश का इकलौता केंद्र होगा जहां प्राइमरी से लेकर कालेज, महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय तक के शिक्षकों को शारीरिक, मानसिक व मनोवैज्ञानिक तरीके से प्रशिक्षित किया जाएगा। इस केंद्र के पाठ्यक्रम की प्रशंसा यूजीसी ने भी की है। नई शिक्षा नीति में भी इसे महत्वपूर्ण माना गया और अन्य केंद्रों पर लागू करने की सिफारिश भी की गई।
नालंदा परंपरा को पुन: प्रतिष्ठित करने के लिए यहां के कोर्स में मनोवैज्ञानिक पहलुओं को समाहित किया गया है। तर्क, विश्लेषण और सृजनात्मकता के साथ शिक्षकों को भविष्य के भारत का निर्माण करने के लिए तैयार किया जाएगा। नवनिर्मित भवन में क्लास रूम, टीचर व स्टाफ रूम के अलावा लैंग्वेज लैब भी होगा जो इसका सबसे महत्वपूर्ण अंग है। शिक्षकों के प्रशिक्षण की अवधि एक से तीन सप्ताह तक की होगी।