वाराणसी [वंदना सिंह]। सर्दियों में ज्यादातर लोग गाजर का और मूंगदाल का हलवा खाना पसंद करते हैं। खाने में लजीज होने के साथ ही यह सेहत के लिए भी फायदेमंद होता है। ऐसे में अगर इसे सही अनुपात से खाया जाए तो ये शरीर को ऊर्जा देने के साथ ही स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होगा। गाजर का हलवा सर्दी के दिनों में लगभग हर जगह मिलता है और ज्यादातर लोगों का यह प्रिय भी है। गाजर को उसके प्राकृतिक रूप में ही अर्थात् कच्चा खाने से ज्यादा लाभ होता है लेकिन कुछ लोग इसे कच्चा खाना पसंद नहीं करते है। ऐसे लोग इसका हलवा बनाकर प्रयोग करते हैं। इसी प्रकार हर दाल के अपने प्रोटीन के अलावा अन्य पौष्टिक गुण होते हैं जिस कारण बढ़ रहे बच्चों को दाल का अधिक से अधिक सेवन करने की सलाह दी जाती है। इन सभी दालों के बीच मूंग की दाल को स्वास्थ्य के लिए सबसे ज्यादा फायदेमंद माना जाता है। हलवे में गाय के दूध से बना देसी घी डालने से ज्यादा फायदा करता है।
चौकाघाट स्थित राजकीय स्नातकोत्तर आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय, वाराणसी के कायचिकित्सा एवं पंचकर्म विभाग के वैद्य डा. अजय कुमार ने बताया की आयुर्वेद में तो गाजर को कई मर्जों की दवा कहा गया है। आयुर्वेद के सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ चरक संहिता में इसके गुणों का वर्णन किया गया है। गाजर को स्वाद में मधुर कसैली कड़वी, तीक्ष्ण, स्निग्ध, उष्णवीर्य, गरम, दस्त ठीक करने वाली, मूत्रल, हृदय के लिए हितकर, रक्त शुद्ध करने वाली, कफ निकालने वाली, वात दोषनाशक, पुष्टिवर्धक तथा दिमाग एवं नस नाडिय़ों के लिए बलप्रद बताया गया है।
गाजर के लाभ : गाजर में भरपूर मात्रा में कैरीटोनॉइड, पोटैशियम, विटामिन जैसे ढेरों पोषक तत्व पाए जाते हैं। गाजर के भीतर का पीला भाग निकाल कर खाना चाहिए क्योंकि वह अत्यधिक गरम होता है। अधिक गर्म प्रकृति का होने के कारण पित्तदोष एवं दाह उत्पन्न करता है। अत: ऐसे लोगो को संतुलित मात्रा में सेवन करना चाहिए। गर्भवती महिलाओं को भी इसका उपयोग अधिक नहीं करना चाहिए। यह अफरा, संग्रहणी, बवासीर, पेट के रोगों, सूजन, खांसी, पथरी, मूत्रदाह, मूत्राल्पता तथा दुर्बलता का नाश करने वाली है। इसमें विटामिन ए भी काफी मात्रा में पाया जाता है, अत: यह नेत्ररोगों में भी लाभदायक है। गाजर रक्त शुद्ध करती है। 10-15 दिन तक केवल गाजर के रस पर रहने से रक्तविकार, गांठ, सूजन एवं पांडुरोग जैसे त्वचा के रोगों में लाभ होता है। इसमें लौह-तत्व भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
मूंग का हलवा : मूंग की दाल को सर्वश्रेष्ठ दाल बताया गया है। यह कषाय और मधुर रस वाला, पचाने में हल्का और पित्त का शमन करता है। हल्का होने के करना आसानी से पच जाता है और जठराग्नि ठीक रखता है। मूंग की दाल से कई चीजें बनती हैं। कुछ लोग इससे पापड़ बनाते हैं, कुछ बडिय़ां तो कुछ इसका लड्डू खाना पसंद करते हैं। वहीं कुछ लोग इसका हलवा खाना पसंद करते है। मूंग दाल का हलवा भारतीय व्यजंनों का एक प्रमुख हिस्सा है। मूंग का हलवा बनाते समय इसमे प्रचुर मात्रा में देशी घी एवं मेवे का प्रयोग किया जाता है जो इसके गुणों को और बढ़ा देता है।
और क्या फायदे होते है इसके : इसमें अधिक मात्रा में एमिनो एसिड, पोलेफिनायल जैसे तत्व पाएं जाते है। जो कि एंटी ऑक्सीडेंट होने के कारण कैंसर को उत्पन्न होने से रोकता है। इसमें पाया जाने वाला विटामिन बी, सी और एंटी-ऑक्सीडेंट रेटिना की फेक्सिबिलटी को ठीक रखता है। मूंग की दाल में भरपूर मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है। इसके अलावा इसमें विटामिन बी 2, बी3, बी5, बी6, विटामिन सी, खनिज, प्रोटीन, मैग्नीशियम, आयरन, कॉपर, पोटेशियम, जिंक, सेलेनियम पाया जाता है। इसमे फाइबर उच्च मात्रा के साथ-साथ एमिनो एसिड, फेनिलालाइनाइन, ल्यूसीन, आइसोल्यूसीन, वेलिन, लाइसिन, आर्जिनिन पाया जाता है।