तंत्र के गण : कोरोना संक्रमण ने किया पाबंद, मगर बीएचयू के प्रो. गोपालनाथ चुनौती संग जुटे हैं जंग में
कोरोना वायरस की दस्तक संग छह मार्च से आइएमएस बीएचयू की माइक्रोबायोलाजी लैब में जांच की शुरूआत हुई थी। अब तक दस महीने के बीच में एक ऐसा भी समय रहा जब लैब के डाक्टर व तकनीशियनों ने संसाधनों की कमी के साथ ही तमाम तरह के दबाव झेले।
वाराणसी [मुहम्मद रईस]।Tantra ke Gan कोरोना वायरस की दस्तक के साथ गत वर्ष छह मार्च से आइएमएस बीएचयू की माइक्रोबायोलाजी लैब में जांच की शुरूआत हुई थी। तब से लेकर अब तक दस महीने के बीच में एक ऐसा भी समय रहा जब लैब के डाक्टर व तकनीशियनों ने संसाधनों की कमी के साथ ही तमाम तरह के दबाव झेले। युवा वैज्ञानिक के पाजिटिव होने के बाद टीम 14 दिन क्वारंटाइन रही। विवि से पूल कर विशेषज्ञ की मदद लेकर टेस्टिंग की गई। बावजूद इसके वैश्विक महामारी में इंच भर भी इनका हौसला डिगने नहीं पाया। प्रो. गोपालनाथ के नेतृत्व में अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देते हुए लैब कर्मियों ने दिन-रात जांच कर न सिर्फ बनारस, बल्कि पड़ोसी जिलों से आए सैंपल की जांच में भी अहम भूमिका निभाई।
जिले में पहला कोरोना पाजिटिव मरीज 21 मार्च 2019 को मिला था, मगर इससे 15 दिन पहले ही आइएमएस-बीएचयू स्थित माइक्रोबायोलाजी लैब को कोरोना जांच के लिए अधिकृत किया जा चुका था। शुरू में बनारस के साथ पूर्वी उत्तर प्रदेश के 26 जिलों के सैंपल यहां जांच के लिए पहुंचते थे, उन दिनों सैंपल कम आते थे। लैब की क्षमता रोजाना 300 सैंपल जांच की थी। माइक्रोबायोलाजिस्ट व लैब प्रभारी प्रो. गोपालनाथ ने नौ सहयोगियों के साथ जांच का मोर्चा संभाला था। बाद में जरूरत पडऩे पर लैब तकनीशियन व सहयोगियों की संख्या बढ़ाने के साथ ही संसाधन भी बढ़ाए गए। मालीक्यूलर बायोलाजी यूनिट की लैब के साथ ही मल्टी डिस्प्लिनरी लैब का भी सहयोग मिलने से सैंपलिंग की दर बढ़ी। वर्तमान में लैब की क्षमता रोजाना पांच हजार सैंपल का परीक्षण करने की है।
नियमित करते हैं काउंसिलिंग, सुनते हैं समस्याएं
वर्तमान में लैब में बनारस संग गाजीपुर, जौनपुर, चंदौली, भदोही, सोनभद्र, बलिया के सैंपल की जांच हो रही है। जुलाई से सितंबर तक जब कोरोना संक्रमण तेजी से बढऩे लगा तो लैब पर रिजल्ट जल्द देने का दबाव बढ़ा। संसाधनों की कमी के बीच टीम का उत्साह बनाए रखने के लिए प्रो. गोपालनाथ ने नियमित तौर पर सभी की काउंसिलिंग शुरू की। समस्याएं सुनीं और उचित परामर्श दिया। घर-परिवार से दूर दिन-रात काम करते हुए टीम ने उत्कृष्ट परिणाम देते हुए कोरोना से जंग को आसान किया। सैंपल की शीघ्र जांच से संक्रमित लोगों की पहचान में सहूलियत हुई। जिससे आज संक्रमण दर एक फीसद से नीचे है।
दोगुने उत्साह से काम पर लौटीं महिला वैज्ञानिक
कर्मियों के सामने मुश्किल हालात तब आए जब गत वर्ष मई में लैब की महिला वैज्ञानिक की रिपोर्ट पाजिटिव आई। उस वक्त तकरीबन 24 कर्मचारी कार्यरत थे। सभी को 14 दिन आइसोलेशन में रहना पड़ा। तीन दिन लैब बंद कर सैनिटाइज की गई। माइक्रोबायोलाजी विभाग की दूसरी लैब में अन्य विभागों के तकनीशियन व विशेषज्ञों की मदद से जांच की जाती रही। क्वारंटाइन का समय पूरा होते ही प्रो. गोपालनाथ सहित लैब कर्मी दोबारा सैंपल जांच में जुट गए। वहीं महिला वैज्ञानिक भी निगेटिव होते ही लैब पहुंचीं और दोगुने उत्साह के साथ दायित्व संभाला।