तंत्र के गण : कर्म के साथ निभाया सेवा का धर्म, वाराणसी मेंअग्निशमन कर्मियों ने संभाले रखी सैनिटाइजेशन की कमान
कोरोना संकट जब चरम पर था लोग घरों में कैद थे। हर एक को चिंता थी संक्रमण से बचाव की लेकिन ऐसे कठिन समय में वाराणसी में अग्निशमन विभाग ने अपना मूल कर्म करते हुए सेवा का धर्म भी निभाया।
वाराणसी [विनय सिंह]। कोरोना संकट जब चरम पर था, लोग घरों में कैद थे। हर एक को चिंता थी संक्रमण से बचाव की, लेकिन ऐसे कठिन समय में अग्निशमन विभाग ने अपना मूल कर्म करते हुए सेवा का धर्म भी निभाया। आमतौर पर विभाग के दफ्तर के फोन पर गर्मी में आग लगने की सूचनाएं आती थीं, मगर वैश्विक महामारी के दौर में हर काल संक्रमण से बचाने की गुहार लगाती थी। खास यह कि इसके लिए भी अधिकारियों से कर्मचारियों तक के कदम उतनी ही तत्परता से आगे बढ़ जाते और वाहन पूरी रफ्तार से दौड़ जाते।
कुछ इस तरह मुख्य अग्निशमन अधिकारी अनिमेष सिंह के नेतृत्व में टीम ने दोहरी जिम्मेदारी निभाई। खुद को जोखिम में डाल कर हास्ट स्पाट क्षेत्रों में सैनिटाइजेशन किया। जांबाज जवानों ने दिनभर सड़कों-गलियों, हाटस्पाट क्षेत्रों के साथ ही सरकारी-गैर सरकारी दफ्तरों व प्रतिष्ठानों में भी एंटी वायरस रसायन का छिड़काव किया। सार्वजनिक स्थानों को भी युद्धस्तर पर संक्रमण मुक्त करने का जतन किया।
संक्रमित होने के बाद भी हौसला कायम
खास यह कि इस कार्य में 10 जवान खुद संक्रमित हो गए। इसके बाद भी उनका हौसला कायम न हुआ और सभी पूरी मेहनत से कर्तव्य पालन में पूरी तत्परता से डटे रहे। अग्निशमन अधिकारी चेतगंज योगेंद्र चौरसिया रोजाना सैनिटाइजेशन के लिए पांच टीमों के साथ सुबह आठ बजे निकल जाते तो विभिन्न इलाकों में सैनिटाइजेशन कर शाम के बाद ही लौट पाते।
मूल जिम्मेदारी भी बखूबी निभाई
योगेंद्र बताते हैैं कि हाटस्पाट एरिया में सैनिटाइजेशन के दौरान संक्रमण का खतरा तो रहता ही था लेकिन कई बार ऐसा भी हुआ कि मौके पर पहुंचने के साथ कहीं दूर स्थान पर आग लगने की सूचना प्रसारित हो जाती और टीम आकस्मिकता और कर्तव्य का ख्याल रखते हुए आनन-फानन दूसरी ओर दौड़ जाती। सैनिटाइजेशन के दौरान संक्रमण का डर जरूर रहता था लेकिन सेवा की शपथ भी निभानी थी। खुद का बचाव व घर-परिवार की चिंता को देखते हुए रात में घर जाने पर नहाने के बाद ही कहीं बैठना हो पाता था।
कई लोगों की बचाई जान
कोरोना संक्रमण से बचाव के लिहाज से अग्निशमन विभाग ने 8216 स्थानों पर सैनिटाइजेशन किया। इस दौरान 157 जगहों पर आग लगने पर मौके पर पहुंचकर रेस्क्यू अभियान चलाकर 32 लोगों की जान बचाई गई। मुख्य अग्नि शमन अधिकारी अनिमेष सिंह बताते हैैं कि शुरू से ही पूरा प्रयास रहा कि जिला संक्रमण मुक्त रहे। इस दौरान पांच जवान सेवा में लगे रहे। इसमें दिनेश कुमार सिंह, अंबिका सिंह, जय सिंह चौधरी, पवन कुमार सिंह, राजेश कुमार दिन-रात कोरोना से जंग में इस तरह डटे रहे जैसे सीमा पर दुश्मन से लड़ रहे हों।
सीआरपीएफ ने अदृश्य दुश्मन से बहादुरी के साथ लड़ी जंग, किया दंग
आमतौर पर केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल बहुत ही रिजर्व रहती है। उसका आमजन में जाना-आना कम ही होता है लेकिन कोरोना काल में इस खास फोर्स ने इस तरह की औपचारिकताओं को ताक पर रखा और सेवा धर्म निभाया। पुलिस बल की 95वीं बटालियन के बहादुर जवान पहडिय़ा स्थित कैंप से निकलकर गांव -मोहल्लों में निकले और सैनिटाइजेशन के साथ ही खाने-पीने और बचाव का सामान भी घर-घर पहुंचाया। खास यह कि कठिन ट्रेनिंग इसमें काम आई और अदृश्य दुश्मन पीठ पर हाथ न धर पाया। इसका परिणाम रहा कि तत्कालीन कमांडेंट नरेंद्र पाल सिंह के नेतृत्व में लगभग हर जवान ने संक्रमित इलाकों में दस्तक दी लेकिन कोई इसकी चपेट में नहीं आया। शहर से लेकर गांव तक सैनिटाइजेशन, मास्क, सैनिटाइजर, साबुन, हैैंडवाश, कच्चा व पक्का भोजन वितरण के साथ सोडियम हाइपोक्लोराइट का छिड़काव भी करते रहे। जहां कहीं कोई लावारिस मिला तो उसका कोरोना टेस्ट करा कर आश्रय स्थलों तक पहुंचाया व इलाज भी कराया।