काशी विश्वनाथ मंदिर प्रबंधन मामले में सरकार को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस, लिंगायत परिवार ने दायर की याचिका
श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के प्रबंधन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस जारी किया है।
नई दिल्ली/वाराणसी। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के प्रबंधन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस जारी किया है। एक याचिका में मंदिर के प्रत्येक दिन के धार्मिक कार्यक्रमों के संचालन की जिम्मेदारी लिंगायत ब्राह्मण परिवार को देने की मांग की गई है।
मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने बुधवार को रमाशंकर त्रिपाठी व उनके परिवार के 20 सदस्यों की याचिका को स्वीकार करने के लिए विचार किया। याचिका में यूपी काशी विश्वनाथ मंदिर अधिनियम 1983 को चुनौती दी गई है। इसमें कहा गया है कि उनका परिवार मंदिर का प्रबंधन काशी विश्वनाथ मंदिर एक्ट 1983 लागू होने के पहले से संभाल रहा था। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता बीएच मार्लापल्ली ने परिवाद पेश किया। उन्होंने सुब्रमण्यम स्वामी बनाम राज्य तमिलनाडु मामले में 2014 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि किसी धार्मिक बंदोबस्ती के प्रशासन और प्रबंधन को संभालने के लिए घोषित कानून कथित कुप्रबंधन के परिणाम को हटाने का एक जरिया मात्र है।
ब्राह्मण परिवार-लिंगिया पंडों को मूर्ति और बंदोबस्ती के अधिकार और स्वामित्व के साथ निहित किया गया था। यह दावा किया गया कि उनके पास मूल भूमि, सीमा शुल्क और लंबे उपयोगकर्ता के स्वामित्व के माध्यम से अर्जित संपत्तियों का प्रबंधन और प्रबंधन करने का अधिकार है। दलील में कहा गया है कि देवता को अर्पित प्रसाद को ग्रहण करना और आदि विश्वेश्वर के प्रसिद्ध मंदिर के देवता की पूजा का प्रबंध करना लिंगिया ब्राह्मïणों का काम है। पूर्वजों के रूप में लिंगिया ब्राह्मण परिवार के सदस्यों ने भगवान के मंदिर की स्थापना की और उसे बनाए रखा। पूर्वजों ने सेवा पूजा और राग भोग पर ले जाने के लिए 'पूर्णा पालन' आयोजित किया। जिसे काशी विश्वनाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है। कहा गया है कि अधिनियम ने अपना उद्देश्य हासिल कर लिया है और प्रबंधन को परिवार में बहाल किया जा सकता है।