काशी में दो माह में शुरू होगी गंगा की निर्मलता, दिसंबर तक एसटीपी हो जाएंगे चालू
वाराणसी में गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई के दावों पर यकीन करें तो दो महीने में गंगा की निर्मलता पर ठोस अमल होने लगेगा।
वाराणसी (जेएनएन) । गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई के दावों पर यकीन करें तो दो महीने में गंगा की निर्मलता पर ठोस अमल होने लगेगा। दावा है कि काशी में तैयार दोनों एसटीपी दिसंबर तक पूरी क्षमता से काम करने लगेंगे जिसके बाद गंगा में सिर्फ 50 एमएलडी गंदा पानी रोज जाएगा। अगले साल नवंबर में तीसरा एसटीपी शुरू होने पर काशी में गंगा को गंदगी से पूरी तरह मुक्ति मिल जाएगी। एक एक्सीएन के निलंबन के बाद काम में तेजी लाई गई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गंगा की निर्मलता के लिए किए जा रहे प्रयास अब काशी में असर दिखाएंगे। यहां गंगा में रोज 23 छोटे-बड़े नालों से 370 एमएलडी सीवर गंगा में गिर रहा था। गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई के महाप्रबंधक एसके राय के मुताबिक दीनापुर में पहले से काम रहे मिनी एसटीपी से 80 एमएलएडी सीवर को गंगा में जाने से रोका गया है। बाकी करीब 290 एमएलडी सीवर को गंगा में जाने से रोकने के लिए 2014 में गोइठहां में 120 एमएलडी और तथा दीनापुर में 140 एमएलडी के एसटीपी का निर्माण जायका योजना के तहत शुरू हुआ। महाप्रबंधक गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई का दावा है कि गोइठहां एसटीपी जून में ही तैयार हो चुका है लेकिन 50 हजारों घरों को सीवर से नहीं जोड़ा जा सका है इसलिए उसे दिसंबर तक चालू किया जा सकेगा। इसके साथ ही 140 एमएलडी क्षमता का दीनापुर एसटीपी भी अक्तूबर के आखिरी हफ्ते तक पूरी तरह तैयार हो जाएगा। करीब 30 मीटर पाइप वरुणा से जोड़ने का काम चल रहा है जो जल्द ही पूरा होने वाला है। इन दोनों एसटीपी के पूरी क्षमता से काम करने पर 260 एमएलडी सीवर को गंगा से जाने रोका जा सकेगा। प्लांट में शोधित पानी को नहर से खेतों में सिंचाई के लिए भेज दिया जाएगा। फिलहाल सबसे ज्यादा 50 एमएलडी सीवर रोज अस्सी नाला से गंगा में जा रहा है। इस नाले का गंदा पानी गंगा में गिरने से रोकने के लिए रमना में 50 एमएलडी का एसटीपी अगले साल नवंबर तक चालू होगा जिसके बाद काशी में गंगा सही मायने में निर्मल हो सकेंगी। केंद्र और प्रदेश सरकार की प्राथमिकता की योजना में ढिलाई बरतने पर जल निगम में गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई से जुड़े एक्सीएन ज्ञानेंद्र कुमार चौधरी को पिछले हफ्ते मुख्यमंत्री के आदेश पर निलंबित कर दिया गया था। 50 हजार घरों को सीवर से जोड़ने के लक्ष्य के विपरीत 21 हजार ही घर जोड़े जा सके।