गंगा निर्मलीकरण के प्रयासों के बाद भी एसटीपी शोधन क्षमता मानक अनुरूप नहीं, लगेगा भारी जुर्माना
केंद्र सरकार के गंगा निर्मलीकरण के प्रयासों पर लाल फीताशाही पलीता लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी रही है।
वाराणसी, जेएनएन। केंद्र सरकार के गंगा निर्मलीकरण के प्रयासों पर लाल फीताशाही पलीता लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। चार सौ करोड़ रुपये से अधिक खर्च कर दीनापुर में बने सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट यानी एसटीपी मानक के अनुरूप कार्य नहीं कर रहे हैं। इसकी जांच कर एक रिपोर्ट प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने तैयार की है जिसे एनजीटी को प्रेषित कर दिया है। अब संबंधित विभाग यानी गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई पर भारी जुर्माना लगाने की तैयारी हो रही है। 28 मार्च 2016 से आर्थिक जुर्माना लगाया जा सकता है।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की जांच में स्पष्ट हुआ है कि दीनापुर में बनी नई एसटीपी की शोधन क्षमता 10/10 बीओडी (प्रति 10 लीटर 10 बायो केमिकल ऑक्सीजन डिमांड) होनी चाहिए जबकि वर्तमान में शोधन क्षमता 27/10 बीओडी है। यह हाल पुरानी एसटीपी का तो है ही, नई एसटीपी की कार्य क्षमता पर बड़ा सवाल है। केंद्र सरकार का उद्देश्य है कि मोक्ष नगरी काशी में गंगा जल आचमन के योग्य रहे। इसके लिए राष्ट्रीय हरित अधिकरण(एनजीटी) ने कड़े कदम उठाते हुए उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड वाराणसी को निर्देश दिया कि वह बनारस में बने एसटीपी की शोधन क्षमता की जांच करे।
- बोर्ड कर रहा नियमित जांच उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी कालिका सिंह ने बताया कि उनकी टीम एसटीपी की नियमित जांच कर रही है। पिछले माह 80 एमएलडी क्षमता वाले दीनापुर एसटीपी की जांच की और यहां से निकलने वाले जल का परीक्षण किया। पूरी रिपोर्ट मुख्यालय भेज दी गई। हां, यह जरूर है कि इस एसटीपी से निकलने वाले पानी में बायो केमिकल ऑक्सीजन डिमांड की मात्रा कम है। इसके कारण हुए पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति का आंकलन किया जा रहा है।
- बदबू दूर कर शोधित पानी से सिंचाई श्री सिंह ने बताया कि उन्हें पता चला है कि प्रदूषित पानी में बदबू के कारण कई लोगों ने उस पानी से सिंचाई करने से मना कर दिया है। अब हम लोग अन्य विभाग से मिलकर पानी को इस तरह साफ करेंगे कि उसमें बदबू न के बराबर हो। दूसरी ओर कार्यशाला, पोस्टर और प्रदर्शनी के द्वारा लोगों को बताया जाएगा कि इस पानी का प्रयोग करने से उनको क्या-क्या लाभ मिलेगा।