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राज्‍यमंत्री ने गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई के परियोजना प्रबंधक को किया तलब, मंगाया स्टॉर्म वॉटर ड्रेनेज सिस्टम के मानचित्र

राज्‍यमंत्री डा. नीलकंठ तिवारी ने ड्रेनेज सिस्टम दुरुस्त कराने के लिए अपने कैंप कार्यालय में गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई के परियोजना प्रबंधक अशोक बर्मन को तलब किया।

By Edited By: Published: Wed, 10 Jul 2019 01:26 AM (IST)Updated: Wed, 10 Jul 2019 11:04 AM (IST)
राज्‍यमंत्री ने गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई के परियोजना प्रबंधक को किया तलब, मंगाया स्टॉर्म वॉटर ड्रेनेज सिस्टम के मानचित्र
राज्‍यमंत्री ने गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई के परियोजना प्रबंधक को किया तलब, मंगाया स्टॉर्म वॉटर ड्रेनेज सिस्टम के मानचित्र

वाराणसी, जेएनएन। प्रदेश के राज्यमंत्री राज्‍यमंत्री डा. नीलकंठ तिवारी ने ड्रेनेज सिस्टम दुरुस्त कराने के लिए मंगलवार को अपने कैंप कार्यालय में गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई के परियोजना प्रबंधक अशोक बर्मन को तलब किया। 253 करोड़ की लागत से वर्ष 2009 में शुरू करा कर वर्ष 2015 में पूरा कराए गए स्टॉर्म वॉटर ड्रेनेज सिस्टम के मानचित्र को भी मंगाया। योजना की बारीकियों को समझने के बाद उन्होंने कमिश्नर दीपक अग्रवाल से वार्ता की और परियोजना प्रबंधक को जरूरी निर्देश दिया।

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मंत्री ने तीन दिनों के अंदर गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई के साथ नगर निगम के अफसरों को भी बैठक के लिए बुलाया है। मंत्री ने कहा कि सड़कों के निर्माण के दौरान स्टार्म वॉटर ड्रेनेज सिस्टम के कैकपिट व जालियों को दबा दिया गया है जिसे खोलने के लिए निर्देशित किया गया। उन्होंने स्पष्ट किया कि जल-जमाव से जनता को कोई परेशानी न हो। परियोजना प्रबंधक एसके बर्मन ने मंत्री को जानकारी दी कि स्टॉर्म वॉटर ड्रेनेज सिस्टम के कार्य को 253 करोड़ की लागत से वर्ष 2009 में शुरू करके वर्ष 2015 में पूरा कराया गया लेकिन नगर निगम को इसे अभी तक हैंडओवर नहीं किया जा सका है। इसका कारण पूछने पर बताया गया कि ड्रेनेज सिस्टम का जगह-जगह बनाए गए कैकपिट और जालियों को लोक निर्माण विभाग व नगर निगम द्वारा सड़क बनाए जाने के दौरान पाट दिया गया हैं जिस कारण स्टॉर्म वॉटर ड्रेनेज सिस्टम पूरी तरह क्रियाशील नहीं हो सका। इसी कारण अब तक इसका हैंडओवर भी नहीं हुआ।

यह भी बताया कि बंद जालियों व कैकपिट को खुलवाने के लिए गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई द्वारा तीन करोड़ रुपये का डीपीआर तैयार किया गया है। मंत्री ने इस डीपीआर को सिरे से खारिज करते हुए कमिश्नर दीपक अग्रवाल से इस संबंध में फोन पर वार्ता कर कहा कि वे गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई के अभियंताओं के साथ लोक निर्माण विभाग व नगर निगम के अधिकारियों की आगामी दो-तीन दिन के अंदर संयुक्त बैठक करें। पाटे गए कैकपिट एवं जालियों को खुलवाएं। यह कार्य संबंधित विभाग के लोग करेंगे। इसके साथ ही इस सिस्टम के उद्देश्यों को भी पूर्ण करें।


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