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श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर गर्भगृह की दीवारों के बदले जाएंगे पत्थर, सीबीआरआइ रुड़की ने सौंपी रिपोर्ट

श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर गर्भगृह की दीवारों के पत्थर बदले जाएंगे। स्वर्ण शिखर खोल कर इसमें लगे पत्थरों की मरम्मत की जाएगी।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Tue, 31 Dec 2019 11:56 AM (IST)Updated: Tue, 31 Dec 2019 02:23 PM (IST)
श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर गर्भगृह की दीवारों के बदले जाएंगे पत्थर, सीबीआरआइ रुड़की ने सौंपी रिपोर्ट
श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर गर्भगृह की दीवारों के बदले जाएंगे पत्थर, सीबीआरआइ रुड़की ने सौंपी रिपोर्ट

वाराणसी, जेएनएन। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर गर्भगृह की दीवारों के पत्थर बदले जाएंगे। स्वर्ण शिखर खोल कर इसमें लगे पत्थरों की मरम्मत की जाएगी। इसके बाद सोने के पत्तरों का नए सिरे से संयोजन कर दिया जाएगा। इससे गर्भगृह की दीवारें व शिखर नए स्वरूप में नजर आएगा। इस कार्य की जिम्मेदारी किसी पुरातात्विक विशेषज्ञता वाली संस्था को दी जाएगी। सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीबीआरआइ) रुड़की की शिखर से लेकर दीवारों तक के परीक्षण की रिपोर्ट मिलने के साथ ही श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद ने इसके लिए फर्म चयन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। कारिडोर में मिले 30 मंदिरों के संरक्षण व सुंदरीकरण के लिए आमंत्रित निविदा में ही इस निमित्त भी संस्था का परीक्षण कर लिया जाएगा।

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बाबा दरबार में चार साल पहले अन्य शिखरों-उप शिखरों को स्वर्ण मंडित कराने की तैयारी शुरू हुई तो गर्भगृह की दीवारों की मजबूती को लेकर भवन विशेषज्ञों व पुरातत्वविदों ने संदेह जताया था। ऐसे में रूड़की स्थित प्रतिष्ठित सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीबीआरआइ) से इसकी कई चरणों में जांच कराई गई। इसमें शिखर स्वर्ण ढांचे के ढीला होने के संकेत मिले थे। पिछले साल भी स्वर्ण शिखर को चमकाने के लिहाज से विशेषज्ञ दल से जांच कराई गई थी। उसमें तीन तकनीकों से सफाई का परीक्षण किया गया जिसमें लाइनर क्लाथ, हवा व पानी तकनीक शामिल थी। थ्रीडी मैपिंग समेत अन्य प्रविधियों से जांच के बाद सीबीआरआइ ने रिपोर्ट दी है। दस जनवरी के बाद होने वाली बिड में अपनी विशेषज्ञता साबित करने पर किसी फर्म को कार्य दिया जाएगा।

सनातन धर्म के शीर्ष देवालय के वर्तमान भवन का वर्ष 1770 में इंदौर की तत्कालीन महारानी अहिल्याबाई होलकर ने निर्माण कराया था। वर्ष 1839 में महाराज रणजीत सिंह ने दो शिखर (विश्वेश्वर व बैकुंठेश्वर) को 22 मन सोने से मढ़वाया था। एक दशक पहले गर्भगृह की दीवारों पर कई चरणों में एनामल पेंट लगवाने के कारण पत्थरों का क्षरण हो रहा था। ऐसे में पत्थरों का चप्पड़ छोडऩा भी वर्षों से चिंता का विषय रहा है। इसके अलावा गर्भगृह में बरसात के दौरान पानी भी रिसता है। इससे कई बार करेंट भी उतर चुका है।

सीईओ, श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर विशाल सिंह ने कहा कि सीबीआरआइ ने गर्भगृह शिखर व दीवार के परीक्षण रिपोर्ट दे दी है। इसके आधार पर संरक्षण कार्य कराया जाएगा। इस पर न्यास परिषद में प्रस्ताव पारित किया जा चुका है। दस जनवरी के बाद बिड में फर्म का चयन कर कार्य शुरू कराया जाएगा। 


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