वाराणसी के कोषागार में स्टांप पेपर का स्टॉक मार्च तक, बिक्री बढ़ी तो पहले हो जाएगा समाप्त
ई स्टांपिंग की शुरूआत को एक साल से अधिक समय हो गए लेकिन पब्लिक के बीच अभी स्टांप पेपर का क्रेज कम नहीं हुआ है। कोषागार से प्रतिदिन औसतन एक करोड़ स्टांप की निकासी हो रही है। स्टांप पेपर कब बंद होगा आगे मिलेगा कि नहीं कुछ जानकारी नहीं है।
वाराणसी, जेएनएन। ई स्टांपिंग की शुरूआत को एक साल से अधिक समय हो गए लेकिन पब्लिक के बीच अभी स्टांप पेपर का क्रेज कम नहीं हुआ है। कोषागार से प्रतिदिन औसतन एक करोड़ स्टांप की निकासी हो रही है। काउंटर से तीस से चालीस लाख की बिक्री होती है तो वहीं 60 से 70 लाख रुपये का स्टांप वेंडर क्रय करते हैं। हालांकि सरकार दृढ़ प्रतिज्ञ है स्टांप पेपर बंद करने को लेकर। हाल ही में स्टांप एवं पंजीयन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रवींद्र जायसवाल ने कहा था कि भौतिक स्टांप पेपर के लिए अब कोई भी नया आर्डर नासिक या हैदराबाद प्रिटिंग प्रेस को नहीं देने का फैसला किया गया है। पिछले वर्ष के आर्डर से राज्य की ट्रेजरी में तकरीबन 15 हजार करोड़ रुपये के स्टांप पेपर हैं। सिर्फ उन्हें ही बेचकर खत्म किया जा रहा है।
वैसे अभी कागजी कोई आदेश कोषागार कार्यालय को नहीं मिला है। कर्मचारियों का कहना है कि स्टांप पेपर कब बंद होगा, आगे मिलेगा कि नहीं कुछ जानकारी नहीं है। जिले में बहुत स्टॉक नहीं हैै। मुश्किल से मार्च तक ही चल पाएगा। संभव है पहले ही खत्म हो जाए। ई स्टांपिंग व्यवस्था पिछले डेढ साल से प्रभावी है लेकिन बिक्री में मामूली दस फीसद का ही असर पड़ा होगा। ज्यादा राशि के क्रय विक्रय में ही लोग ई स्टांपिंग के लिए बैंक जा रहे हैं। दूसरी तरफ ई स्टांपिंग प्रभावी होने के बाद स्टांप वेंडरों को आगे क्या सहूलियत मिलेगी, तमाम सवालों का जवाब किसी के पास नहीं है। हालांकि स्टांप वेंडर विरोध करने को लेकर लामबंद होने लगे हैं। स्टांप विक्रेता कल्याण समिति के जिलाध्यक्ष राजेश श्रीवास्तव का कहना है कि प्रदेश कार्यकारिणी के आह्वान पर 45 हजार स्टांप वेंडर्स की समस्याओं के निस्तारण के लिए फतेहपुर से दो अक्टूबर से प्रदेश महामंत्री फूलचंद्र सोनकर की अगुवाई एक प्रतिनिधिमंडल पदयात्रा कर पांच अक्टूबर को स्टांप आयुक्त से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपेगा। प्रदेश कार्यकारिणी के निर्देश के बाद आगे की रणनीति तय होगी।