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षष्ठम् सतुआ बाबा की प्रतिमा का मुख्यमंत्री कार्तिक पूर्णिमा पर करेंगे अनावरण

मुख्यमंत्री घाटों पर देवदीपावली की छटा तो निहारेंगे ही षष्ठम् सतुआबाबा जगद्गुरु यमुनाचार्य महाराज की अष्टधातु प्रतिमा का अनावरण भी कार्तिक पूर्णिमा पर करेंगे।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sat, 03 Nov 2018 10:24 PM (IST)Updated: Sun, 04 Nov 2018 07:45 AM (IST)
षष्ठम् सतुआ बाबा की प्रतिमा का मुख्यमंत्री कार्तिक पूर्णिमा पर  करेंगे अनावरण
षष्ठम् सतुआ बाबा की प्रतिमा का मुख्यमंत्री कार्तिक पूर्णिमा पर करेंगे अनावरण

वाराणसी (जेएनएन) । कार्तिक पूर्णिमा पर बनारस आ रहे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गंगा के गले में चंद्रहार की तरह सजे घाटों पर देवदीपावली की छटा तो निहारेंगे ही षष्ठम् सतुआबाबा जगद्गुरु यमुनाचार्य महाराज की अष्टधातु प्रतिमा का अनावरण भी करेंगे। मणिकर्णिकाघाट स्थित आश्रम में ब्रह्मलीन विष्णु स्वामी संप्रदायाचार्य की साधना मुद्रा में प्रतिमा तैयार है। इस दिव्य प्रतिमा को आश्रम के सप्तर्षि भवन  में स्थापित किया जाएगा जिसे साधना कक्ष भी कहा जाता है।    

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दरअसल, कार्तिक पूर्णिमा पर ही षष्ठम् सतुआ बाबा की छठीं पुण्य तिथि है। इस खास मौके पर आयोजित तीन दिनी समारोह का शुभारंभ 22 नवंबर को मूर्ति पूजन से ही हो जाएगा। दूसरे दिन कार्तिक पूर्णिमा पर 23 नवंबर को श्रद्धांजलि सभा से पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भव्य प्रतिमा का अनावरण करेंगे और उनसे जुड़े संस्मरण भी साझा करेंगे। इस लिहाज से ही इस बार पुण्य तिथि से जुड़े समस्त विधान आश्रम में ही पूरे किए जाएंगे। इससे पहले श्रद्धालुओं की पहुंच और सुगमता को देखते हुए नागरी नाटक मंडली में आयोजन किए जाते थे। खास यह कि सीएम प्रतिमा का अनावरण पंचक्रोसी यात्रा के दौरान ही करने वाले थे लेकिन बाद में इसके लिए उन्होंने पुण्यतिथि पर आने का निर्णय लिया। 

सतुआ बांटते थे, हो गए सतुआ बाबा 

सतुआ बाबा आश्रम की मूल पीठ गुजरात में है। विष्णु संप्रदाय की आचार्य पीठ के प्रथम पीठाधीश्वर रणछोड़दास महाराज जब काशी आए तो महाश्मशान मणिकर्णिकाघाट पर सतुआ बांटते थे। इससे उनकी ख्याति सतुआबाबा के रूप में हुई जो परंपरा में शामिल हो गई। बाद में बनारस के ही खत्री परिवार से मोहनदास महाराज दूसरे, पंजाब से भोलादास महाराज तीसरे, उत्तराखंड से दामोदरदास महाराज चौथे व नैमिषारण्य के  नरोत्तमदास महाराज पांचवें सतुआ बाबा बने। मूलत: हरदोई के यमुनाचार्य महाराज 1950 में काशी आए और 19 मार्च 1972 में पीठासीन हुए। वर्तमान में महामंडलेश्वर संतोषदास महाराज इस पर विराजमान हैं। 


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