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बीएचयू कुलपति की कथित हिंदी विरोधी नीतियों को लेकर छात्रों में असंतोष, शहर में छिड़ा पोस्टर वार

राजभाषा हिंदी के समर्थन व बीएचयू कुलपति की कथित हिंदी विरोधी नीतियों को लेकर छात्रों में असंतोष बढ़ता ही जा रहा है।

By Edited By: Published: Sat, 18 Jan 2020 01:52 AM (IST)Updated: Sat, 18 Jan 2020 08:57 AM (IST)
बीएचयू कुलपति की कथित हिंदी विरोधी नीतियों को लेकर छात्रों में असंतोष, शहर में छिड़ा पोस्टर वार
बीएचयू कुलपति की कथित हिंदी विरोधी नीतियों को लेकर छात्रों में असंतोष, शहर में छिड़ा पोस्टर वार

वाराणसी, जेएनएन। राजभाषा हिंदी के समर्थन व बीएचयू कुलपति की कथित ¨हदी विरोधी नीतियों को लेकर छात्रों में असंतोष बढ़ता ही जा रहा है। सोशल मीडिया पर जहां हिंदी भाषी छात्रों के समर्थन में लोग खुलकर आने लगे हैं, वहीं अब इस प्रकरण में पोस्टर वार छिड़ चुका है। वहीं शुक्रवार को स्वतंत्रता भवन सभागार में चल रहे पुरातन छात्र समागम के उद्घाटन सत्र में ¨हदी भाषी छात्रों ने न सिर्फ वीसी की नीतियों के खिलाफ पोस्टर लहराए, बल्कि जमकर नारेबाजी भी की। ज्ञात हो कि तीन जनवरी को विवि परिसर स्थित होलकर भवन में प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति व पुरातत्व विभाग में सहायक प्रोफेसर पद के लिए साक्षात्कार आयोजित था।

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प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि इसमें कुलपति प्रो. राकेश भटनागर ने अधिकतर अभ्यर्थियों को हिंदी भाषा में साक्षात्कार देने से न सिर्फ रोक दिया, बल्कि इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस का हवाला देते हुए तर्क दिया कि सरकार की ओर से विवि को 1000 करोड़ का अनुदान मिलेगा। विवि का पक्ष था कि हमें इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस का दर्जा मिला है। बीएचयू को वैश्विक रैंकिंग में लाना है जिसके लिए ऐसी फैकल्टी की तलाश करनी है जो ग्लोबल लैंग्वेज (अंग्रेजी) की अच्छी समझ रखता हो। साथ ही हमें यह भी अधिकार है कि हम विदेश से शिक्षक बुला सकते हैं। इसलिए हमें ¨हदी भाषा में साक्षात्कार की जरूरत नहीं। कला संकाय के प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति व पुरातत्व विभाग के अधिकांश छात्र हिंदी भाषी ही हैं। इस पर जब अभ्यर्थी डा. कर्ण कुमार ने भारतीय संविधान व मानवाधिकार का हवाला देते हुए कुलपति के समक्ष आपत्ति जताई तो उन पर न सिर्फ अंग्रेजी भाषा में साक्षात्कार के लिए दबाव बनाया गया, बल्कि मानसिक रूप से प्रताड़ित भी किया गया।

डा. कर्ण कुमार के मुताबिक ¨हदी भाषी अभ्यर्थियों को साक्षात्कार कक्ष से सिर्फ तीन से चार मिनट में ही बाहर कर दिया गया। इस पर अभ्यर्थी डा. कर्ण ने उसी रात ट्वीट कर राष्ट्रपति, पीएमओ व मंत्रालय को शिकायत करते हुए अगले दिन शिकायती पत्र भी भेजा। इसके बाद से ही सोशल मीडिया पर इसे आदोलन का रूप देने की कोशिश शुरू हुई। इसके समर्थन में बड़ी संख्या में हिंदी भाषी छात्र आ गए हैं। अब होर्डिंग व पोस्टर वार शुरू हो गया है जिसके तहत कुलपति पर हिंदी विरोधी होने का आरोप लगाया जा रहा है। पुराछात्र समागम में विरोध-प्रदर्शन - स्वतंत्रता भवन सभागार में शुक्रवार को पुरातन छात्र समारोह में अतिथियों के सम्मान के बाद छात्र अभिषेक सिंह, उत्कर्ष द्विवेदी, दुष्यंत चंद्रवंशी व सहायक प्रोफेसर अभ्यर्थी कर्ण कुमार ने मौका पाकर हवा में पोस्टर लहराए और कुलपति पर हिंदी विरोधी होने का आरोप लगाते हुए सांकेतिक विरोध-प्रदर्शन शुरू कर दिया। इस दौरान 'हिंदी का अपमान-नहीं सहेगा हिंदुस्तान' जैसे नारे भी लगाए गए। छात्रों के शालीन तरीके से किए गए विरोध-प्रदर्शन को देख कुलपति सहित मंचासीन अतिथिगण ने प्रोत्साहन स्वरूप ताली बजाने लगे। यह देख समूचा सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।

- महामना की कल्पना थी कि पारंपरिक ज्ञान के साथ आधुनिक विज्ञान के संयोजन से युवाओं में राष्ट्र निर्माण की भावना जगाई जाए। मातृभाषा में पारंगत होने के साथ हमें आधुनिकता की दौड़ में भी बने रहना है इसलिए जरूरी है कि आधुनिक विषयों की भी जानकारी बढ़ाई जाए। -प्रो. राकेश भटनागर, कुलपति-बीएचयू।


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