वाराणसी में ग्रामीण पेयजल योजनाओं पर ठेकेदारों की काली छाया, 127 करोड़ की योजना में हुई धांधली
127 करोड़ की सिस वरुणा पेयजल योजना में शामिल ठीकेदारों ने पैतरा बदलकर ग्रामीण क्षेत्र में कार्य प्रारंभ करने की योजना बना ली है। फर्म का नाम काली सूची में दर्ज होने पर दूसरे नाम से कार्य करने की फिराक में लगे हुए हैं।
वाराणसी, जेएनएन। नगरीय पेयजल योजनाओं पर सरकार की बढ़ती निगरानी को देखते हुए अब काली सूची में जा चुके ठेकेदारों की नजर ग्रामीण पेयजल योजनाओं पर गड़ गई है। 127 करोड़ की सिस वरुणा पेयजल योजना में शामिल ठेकेदारों ने पैतरा बदलकर ग्रामीण क्षेत्र में कार्य प्रारंभ करने की योजना बना ली है। फर्म का नाम काली सूची में दर्ज होने पर दूसरे नाम से कार्य करने की फिराक में लगे हुए हैं।
बीते छह नवंबर को जल जीवन मिशन में भी ऐसे ठेकेदारों ने काम लेने की कोशिश की लेकिन मुख्य अभियंता एके पुरवार की पैनी नजर से उनकी एक न चली। बसपा सरकार में वर्ष 2010 में प्रस्तावित पेयजल योजना में 127 करोड़ रुपये से पुराने शहर में पेयजल प्रबंधन गंगा आधारित करना था। इसमें 1200 बांड भरे गए और 125 ठेकेदारों को काम दिया गया। इस दौरान धांधली खूब हुई। सपा सरकार आई तो खरीद से लेकर कार्य की गुणवत्ता के मानकों की अनदेखी की गई। जब प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनी तो धांधली उजागर हुई। तत्कालीन 19 अफसरों को निलंबित कर दिया गया तो 17 सेवानिवृत्त कर्मचारियों से रिकवरी का आदेश हुआ। इसी के साथ सिस वरुणा पेयजल योजना में काम करने वाले 125 ठेकेदारों को काली सूची में डाल दिया गया। अब यही ठीकेदार फर्म का नाम बदल कर जल निगम के ठेकों में फिर से सक्रिय होने की कोशिश कर रहे हैं।
93 गांवों में 29 करोड़ की योजना
जल जीवन मिशन से जुड़ी यह 29 करोड़ की योजना है। इस बजट से ग्रामीण क्षेत्र में पुरानी पेयजल योजनाओं को जनोपयोगी बनाना है। इसके लिए 61 ग्राम पंचायतों के 93 राजस्व गांवों को शामिल किया गया है। इन गांवों के 22723 घरों में पेयजल कनेक्शन भी करना है।