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ज्ञान सिंहासन पीठ जंगमबाड़ी से गुरुकुल शतनामोत्सव के उपलक्ष्य में सड़कों पर उतरा दक्षिण भारत

ज्ञान सिंहासन पीठ जंगमबाड़ी से गुरुकुल शतनामोत्सव के उपलक्ष्य में निकली पाच पालकी शोभायात्रा ने बनारस की सड़कों पर दक्षिण भारत उमड़ आने का आभास कराया।

By Edited By: Published: Sun, 16 Feb 2020 02:04 AM (IST)Updated: Sun, 16 Feb 2020 09:04 AM (IST)
ज्ञान सिंहासन पीठ जंगमबाड़ी से गुरुकुल शतनामोत्सव के उपलक्ष्य में सड़कों पर उतरा दक्षिण भारत
ज्ञान सिंहासन पीठ जंगमबाड़ी से गुरुकुल शतनामोत्सव के उपलक्ष्य में सड़कों पर उतरा दक्षिण भारत

वाराणसी, जेएनएन। ज्ञान सिंहासन पीठ जंगमबाड़ी से गुरुकुल शतनामोत्सव के उपलक्ष्य में निकली पाच पालकी शोभायात्रा ने बनारस की सड़कों पर दक्षिण भारत उमड़ आने का आभास कराया। कर्नाटक के सौ वाद्य यंत्रों की धुन पर जंगमबाड़ी मठ से शुरू हुई यात्रा गिरजाघर, नई सड़क, लहुराबीर, मैदागिन, चौक-गोदौलिया होते पुन: मठ पहुंची। इसमें सबसे आगे रम्भापुरी पीठ के भक्त हरे परिधान में तो उज्जैनी पीठ के श्रद्धालु लाल रंग, केदारपीठ के नीले और श्रीशैल के भक्त श्वेत वस्त्रों में चल रहे थे। जंगमबाड़ी पीठ के भक्तों ने पीत परिधान से ध्यान आकर्षित किया और झूमते-गाते भक्ति का रंग वातावरण में घोल दिया।

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दक्षिण भारतीय धुन से पूरा नगर गुंजायमान होता रहा। महिलाएं सिर पर कलश धारण किए तो पुरुष भजन-कीर्तन की स्वर गंगा प्रवाहित कर रहे थे। दो पीठों के पीठाधीश्वर किन्ही कारणों से नहीं शामिल हुए तो उनके स्थान पर उनके आदि गुरु की प्रतिमा पालकी पर रखी थी। श्रद्धालु निहाल शोभायात्रा में शामिल हीरेमठ कर्नाटक की डा. परमेश्वरी का कहना था कि वे रंभापुरी पीठ से बचपन से जुड़ी हैं। सोमेश्वर शिवाचार्य गुरु हैं। इस पीठ में आकर अच्छा लगा। बताया कि यहा की मिठाई व साड़िया अच्छी हैं, उनकी खरीदारी की।

कर्नाटक से अपने पति वीरभद्रया व बेटे विश्वजीत संग आईं परमेश्वरी ने कहा कि शादी-विवाह पाच कलश को साक्षी मानकर होता है। यह पीठों के गुरुओं का प्रतीक है। हरी चूड़िया देते हैं जो समृद्धि व वीरत्व का संकेत है। दूसरी बार आश्रम आए मल्लिकार्जुन ने गंगा स्नान व बाबा का दर्शन किया। वे मध्य प्रदेश के किसान उज्जैनी पीठ से जुड़े हैं। बताया कि दादा जी की पीढ़ी से हम मठ से जुड़े हैं। गुलबर्गा से आई कविता चंद्रसपानिर्णी काशी में पहली बार आई हैं। उनका सपना गंगा आरती व विश्वनाथ मंदिर का दर्शन करना है। बताया कि काशी के बारे में बहुत सुना था। आज देख भी लिया। मन को अच्छा लगा।


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