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Sonbhadra Umbha Massacre Case : दो महिलाओं समेत 20 की बढ़ सकती हैं मुश्किलें

सोनभद्र के उभ्भा नरसंहार का तार सोनांचल या उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि दिल्ली और बिहार से भी जुड़ा है। गलत तरीके से भूमि बैनामा कराने व गोलीकांड को अंजाम देने के मामले में शामिल दो महिलाओं समेत 20 लोगों की भी मुश्किलें बढ़ सकती है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Tue, 22 Sep 2020 10:23 PM (IST)Updated: Tue, 22 Sep 2020 10:23 PM (IST)
Sonbhadra Umbha Massacre Case : दो महिलाओं समेत 20 की बढ़ सकती हैं मुश्किलें
सोनभद्र के उभ्भा नरसंहार मामले में शामिल दो महिलाओं समेत 20 लोगों की भी मुश्किलें बढ़ सकती है।

सोनभद्र, जेएनएन। उभ्भा नरसंहार का तार सोनांचल या उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि दिल्ली और बिहार से भी जुड़ा है। गलत तरीके से भूमि बैनामा कराने व गोलीकांड को अंजाम देने के मामले में शामिल दो महिलाओं समेत 20 लोगों की भी मुश्किलें बढ़ सकती है। एसआइटी उनके खिलाफ भी न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल कर सकती है। 

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जिस जमीन के लिए इतना बड़ा नरसंहार हुआ वह जमीन लगभग सवा करोड़ रुपये में एक आइएएस परिवार से ग्राम प्रधान ने खरीदी थी। मूर्तिया ग्राम पंचायत के उभ्भा में करीब 1940 से ही आदिवासी जमीन पर काबिज थे। वह जोताई-बोआई कर रहे थे। 17 दिसंबर 1955 को बिहार के मुजफ्फरपुर निवासी महेश्वरी प्रसाद नारायण सिन्हा ने एक आदर्श कोआपरेटिव सोसाइटी बनाकर यहां की जमीन को सोसाइटी के नाम करा लिया। यह नियम विरुद्ध था। एसआइटी की जांच में पता चला है कि महेश्वरी प्रसाद नारायण सिन्हा उस समय के तहसीलदार को प्रभाव में लेकर 639 बीघा जमीन सोसाइटी के नाम करा लिए। बाद में महेश्वरी ने अपने आइएएस दामाद के संपर्क से पुन: राबट्सगंज के तहसीलदार को प्रभाव में लिया और सोसाइटी की 37.022 हेक्टेयर यानि करीब 148 बीघा जमीन अपनी बेटी आशा मिश्रा पत्नी प्रभात कुमार मिश्र निवासी न्यू बेडरिंग कैनाल रोड, पटना, बिहार के नाम करा दिया। इतना ही नहीं इसी जमीन को बाद में आशा मिश्रा की पुत्री विनीता शर्मा उर्फ किरन कुमार पत्नी भानू प्रसाद (आइएएस) के नाम करा दिया गया। इसके बाद गांव के लोग जमीन पर जोताई-बोआई करते और जमीन में होने वाली ऊपज के रुपये आइएएस परिवार को पहुंचाते रहे।

अक्टूबर 2017 में बेची गई थी जमीन

17 अक्टूबर 2017 को किरन कुमार ने जमीन को गांव के प्रधान को बेच दिया। 27 फरवरी 2019 को जमीन खारिज दाखिल भी हो गई। इसके बाद प्रधान उक्त जमीन पर अपना कब्जा करने की कोशिश शुरू कर दिया। जिसकी वजह से नरसंहार हुआ। इस मामले में आशा मिश्रा, विनीता शर्मा के अलावा प्रधान यज्ञदत्त सिंह, राजकुमार सिंह, शिवकुमार सिंह, धर्मेंद्र कुमार सिंह, विवेक सिंह, अनूप कुमार सिंह व गणेश सिंह समेत 20 लोगों के खिलाफ एसआइटी जांच के प्रमाणित पाये जाने के बाद आरोपितों के विरूद्ध 120 बी, 420 व भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 2018 के तहत न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल करने का निर्णय लिया गया था। आशा मिश्रा द्वारा जमीन बिक्री कर पचास लाख रुपये तथा विनीता श्रर्मा उर्फ किरन कुमारी ने जमीन बिक्री कर 59 लाख 89 हजार यानी कुल एक करोड़ नौ लाख 90 हजार 26 रुपये का लाभ अर्जित करने पर ब्याज के साथ नियमानुसार वसूली हो सकती है।


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