वाराणसी में मृदा जांच से कम हो गई 664.87 टन यूरिया की खपत, मृदा स्वास्थ्य कार्ड में इजाफा
खेतों की उर्वरा शक्ति बनाए रखने और अंधाधुंध उर्वरकों के उपयोग को नियंत्रित करने के उद्देश्य से दो चरणों 2015-17 व 17-18 में मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनाया गया। जिले के कुल जोत आधारित संख्या 340595 के सापेक्ष मृदा कार्ड 235427 मृदा कार्ड वितरित किए गए।
वाराणसी, जेएनएन। हेल्थ कार्ड व जैविक खाद की उपलब्धता ने खेतों में अंधाधुंध यूरिया के उपयोग पर लगाम लगा दिया है। कम से कम वाराणसी जनपद में बीते दो सालों के आंकड़ों का अध्ययन करने के बाद ये तस्वीर साफ हुई है। ऐसे में रासायनिक उर्वरकों की खपत होने से जहां खेत उर्वर होंगे वहीं अनाजों में पौष्टिकता भी बढ़ेगी।
दरअसल, खेतों की उर्वरा शक्ति बनाए रखने और अंधाधुंध उर्वरकों के उपयोग को नियंत्रित करने के उद्देश्य से दो चरणों 2015-17 व 17-18 में मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनाया गया। जिले के कुल जोत आधारित संख्या 3,40,595 के सापेक्ष मृदा कार्ड 2,35,427 मृदा कार्ड वितरित किए गए। 2020-21 में सेवापुरी में 28,109 कार्ड किसानों के बने। दो सालों से 8976 हेक्टेयर भूमि को जैविक खेती में परिवर्तित करने का प्रयास किया जा रहा है।
पहले बोरे के हिसाब से किसान यूरिया डालता था। अब 50 की जगह 45 किलो की बोरिया आने लगी हैं। इसका भी असर है। यही कारण है कि 2020 में जहां 2783 टन यूरिया का खेतों में उपयोग किया गया उसी अवधि व उतने ही क्षेत्रफल में अभी तक 2118.13 टन का उपयोग किया गया। जिला कृषि अधिकारी अश्विनी कुमार सिंह ने बताया कि रासायनिक उर्वरक की खपत में कमी के कई कारण है। मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनने के बाद किसानों में जागरूकता बढ़ी है। जैविक खेती के प्रति भी रुझान बढ़ा है।
अगस्त -2020
2783 टन
अगस्त -2021
2118.13 टन
जोत आधारित संख्या - 3,40,595
स्वास्थ्य जांच कार्ड बने - 2,35, 427
2021 में खरीफ की फसल (हेक्टेयर में)
- धान - 21, 476
- मक्का - 3212
- ज्वार - 2845
- बाजरा - 5061
- उर्द - 809
- मूंग - 264
- अरहर - 4197
- तिल -449
- मूंगफली -01
कुल क्षेत्रफल - 67,864