जंतु विज्ञानी के घर मिले सर्प जोड़े दे रहे जलवायु परिवर्तन के संकेत, बिगड़ रहा प्रकृति का संयम
वाराणसी में बीएचयू के जंतु विज्ञानी प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे के चौबेपुर स्थित घर पर बेखबर मुद्रा में नाग-नागिन क्रीडा करते देखे गए। शनिवार दोपहर के समय प्रो. चौबे के घर पर काम करने वाले दो मजदूरों की नजर जब इस सर्प क्रीड़ा पर पड़ी तो उनके होश उड़ गए।
वाराणसी, जेएनएन। बीएचयू के जंतु विज्ञानी प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे के चौबेपुर स्थित घर पर बेखबर मुद्रा में नाग-नागिन क्रीडा करते देखे गए। शनिवार दोपहर के समय प्रो. चौबे के घर पर काम करने वाले दो मजदूर सोनू और किशन की नजर जब इस सर्प क्रीड़ा पर पड़ी तो उनके होश उड़ गए। आसपास के लोगों का इस जोड़े पर कोई प्रभाव ही नहीं पड़ा, दोनों काफी देर तक बेहद आक्रामक मुद्रा थे, जिससे लोग बड़ी देर तक भय में रहे। इसकी सूचना जब तक वन विभाग को दी गई, तब तक ये कहीं चले गए।
इस घटना पर देश-विदेश के जीव वैज्ञानिकों का दावा है कि ऐसे मौसम में सर्प जोड़े का मिलन जलवायु परिवर्तन का सबसे स्पष्ट संकेत दे रहा है। देहरादून स्थित भारतीय वन्य जीव संस्थान के वरिष्ट वैज्ञानिक डा. संदीप कुमार गुप्ता ने बताया कि शीत ऋतु के आगमन पर सुसुप्तावस्था में रहने वाले सर्प अक्सर वसंत मार्च में ही वे इस अवस्था में दिखते हैं। ठंड की शुरूआत में सर्प क्रीड़ा दिखना बेहद ही दुर्लभतम दृश्य है। इस समय सर्प गर्माहट के लिए जमीन के अंदर चले जाते हैं, मार्च में प्रजनन और अगस्त में ये अंडे देते हैं।
जूलाजिकल सर्वे आफ इंडिया, कोलकाता के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. मुकेश ठाकुर का कहना है बिन मौसम के नाग-नागिन क्रीड़ा का संयोग बड़े जलवायु परिवर्तन का सूचक है। यह कहना ज्यादा उचित होगा कि हजारों वर्षों से पर्यावरण व मौसम में आए बदलावों के परिणामस्वरूप ऐसे दृश्य देखने को मिल रहे हैं। वहीं फ्रेंच सिनियर साइंटिस्ट डा. एरवन पेनारन ने इस घटना पर कहा कि यह दृश्य प्रकृति के बिगड़े संयम चक्र को परिलक्षित कर रहा है, हमें इसे कमतर नहीं आंका जाना चाहिए।