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वाराणसी में विभागों का स्मार्ट खेल, 18 चौराहों का 15 जगहों पर ट्रैफिक सिग्‍नल फेल

वर्ष 2017 के नवंबर माह में टाइमर वाली ट्रैफिक लाइटों को हटाकर प्रशासन की तरफ से स्वचालित सिग्‍नल का टेंडर निकाला गया था। मुंबई की कंपनी शापुर्जी पालनजी को 150 करोड़ रुपये में टेंडर मिला था। वर्ष 2018 की शुरुआत में सभी 18 चौराहों पर आटोमेटिक सिग्‍नल लगाए गए।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Fri, 05 Mar 2021 06:10 AM (IST)Updated: Fri, 05 Mar 2021 09:16 AM (IST)
वाराणसी में विभागों का स्मार्ट खेल, 18 चौराहों का 15 जगहों पर ट्रैफिक सिग्‍नल फेल
वाराणसी के तेलियबाग मार्ग खराब ट्रैफिक सिग्नल ।।

वाराणसी, जेएनएन। स्मार्ट सिटी वाराणसी में दो विभागों के बीच स्मार्ट खेल चल रहा है। इसमें चौराहों पर लगा सिग्नल फेल हो गया। 18 में 15 सिग्‍नल लाइट काम ही नहीं कर रहे। यह सिस्टम डेढ़ सौ करोड़ रुपये की लागत से लगा है। इस बाबत जब जवाबदेह अफसरों से पूछा जा रहा तो वे एक-दूसरे के विभाग के सिर ठीकरा फोड़ रहे हैं। लापरवाही किसी की हो, सच तो यही है कि जनता के 150 करोड़ रुपये बर्बाद हो रहे हैं।

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शहर को जाम से निजात दिलाने व यातायात व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए स्मार्ट सिटी के तहत वर्ष 2018 में शहर के 18 प्रमुख चौराहे-तिराहों पर लगाए गए आधुनिक कैमरे व सिगनल पूरी तरह फेल साबित हो रहे हैं। इनमें से सिर्फ तीन काम कर रहे है। इसके चलते आए दिन इन चौराहों पर जाम की स्थिति बनी रहती है।

जिम्मेदारी से भाग रही कंपनी

वर्ष 2017 के नवंबर माह में टाइमर वाली ट्रैफिक लाइटों को हटाकर प्रशासन की तरफ से स्वचालित सिग्‍नल का टेंडर निकाला गया था। मुंबई की कंपनी शापुर्जी पालनजी को 150 करोड़ रुपये में टेंडर मिला था। वर्ष 2018 की शुरुआत में सभी 18 चौराहों पर आटोमेटिक सिग्‍नल लगाए गए।

कैमरे का सेंसर नहीं कर रहा काम

चौराहों व तिराहों पर लगे टाइमर वाले सिगनल को हटाकर सेंसर युक्त सिगनल  लगाए गए थे। जो सिग्नल ट्रैफिक के दबाव को देखते हुए खुद ग्रीन व रेड हो जाते हैं, जिससे लोगों को रेड लाइट पर बेवजह समय खराब नहीं करना पड़ेगा। लेकिन ये आधुनिक कैमरे सिर्फ चौराहों व तिराहों पर आनलाइन चालान काटने के ही काम आ रहे है।  

- कमांड सेंटर से नहीं होता कंट्रोल स्वचालित सेंसर युक्त कैमरों से ट्रैफिक सिग्नल को चलाने के लिए सिटी कमांड एंड कंट्रोल सेंटर भी बनाया गया है, जहां पर पांच ट्रैफिक कर्मचारी व पांच स्मार्ट सिटी कंपनी के कर्मचारी लगे हुए हैं। लेकिन, ट्रैफिक का दबाव बढऩे के कारण सेंसर ही काम करना बंद कर दिया है। इसके लिए कंपनी की तरफ से आल्टरनेट रूट का हवाला दिया जा रहा है। वहीं कभी-कभार नेटवर्किंग समस्या के कारण भी यह सिगनल काम नहीं करता है। ऐसे में कहा जा सकता है कि यातायात कर्मियों के भरोसे ही शहर की यातायात व्यवस्था चल रही है।

शोपीस सिग्‍नल लाइट

वरुणा पुल पर लगा सिग्‍नल लाइट शोपीस  बना हुआ है। स्थानीय लोगों की माने तो एक दिन भी नहीं चलाया गया। तो सवाल है कि लगाया क्यों गया। रोजाना कई अधिकारी रास्ते से गुजरते है लेकिन कोई सुध नहीं लेने वाला है। शहर में सबसे व्यस्त अंधरापुल, चौकाघाट,मलदहिया चौराहे व सिगरा समेत कई चौराहों पर पीली लाइट से ही काम चलाया जा रहा है। यातायात कर्मी  व्यवस्था को चला रहे हैं। जहां पर अधिक भीड़ होती है, वहां पर यातायात पुलिस के सहारे ही पार चौराहा पार कराया जा रहा है।

विभाग के निर्देशानुसार सिग्नल चालू व बंद किया जाता है

पूरी व्यवस्था ट्रैफिक पुलिस विभाग को सौंप दी गई है। विभाग के निर्देशानुसार सिग्नल चालू व बंद किया जाता है।

- डा. वासुदेवन, प्रबंधक स्मार्ट सिटी कंपनी

स्मार्ट सिटी कंपनी का द्वारा लगाए गए आधुनिक कैमरे सुचारु रुप से नहीं चल रहे

स्मार्ट सिटी कंपनी का द्वारा लगाए गए आधुनिक कैमरे सुचारु रुप से नहीं चल रहे है। यातायात के बढ़ते दबाव को देखते हुए टाइमर वाले सिग्‍नललाइट की आवश्यकता है। जिससे चौराहों का दबाव कम हो जाएगा।

- श्रवण कुमार सिंह, एसपी यातायात


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