फैक्ट चेक में पीएम की काशी में रेलवे की गति का बुरा हाल, तीन घंटे में 16 किमी पहुंची सुपरफास्ट एक्सप्रेस Varanasi news
रेल आज भी पहले की तरह बैलगाड़ी की रफ्तार से आम जनता को पहुंचा रहीं है।
वाराणसी, जेएनएन। तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है मगर ये आंकड़े झूठे हैं ये दावा किताबी है। जी हां, सरकारी दावे तो बुलेट ट्रेन के पलक झपकते सैकड़ों किलोमीटर की दूरी तय करने के हैं मगर पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र से महज 16 किलोमीटर दूर पं. दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन (मुगलरासय) तक की दूरी या तो आप सुपर फास्ट ट्रेन से तय कर सकते हैं या तो बैलगाड़ी से, हालांकि दोनों ही एक साथ गंतव्य तक पहुंचें तो अतिश्योक्ति नहीं।
सुपरफास्ट एक्सप्रेस और तीन घंटे में 16 किमी की यात्रा ...। 21 वीं सदी तरक्की की राह पर दौड़ने का दावा करने वाली भारतीय रेल की काफी हद तक सच्चाई यही है। मसलन, रेल आज भी पहले की तरह बैलगाड़ी की रफ्तार से आम जनता को पहुंचा रहीं है। नई दिल्ली से चलकर पुरी को जाने वाली नीलांचल एक्सप्रेस (2876 ट्रेन नम्बर) रविवार की रात साढ़े 10 वाराणसी के कैंट रेलवे स्टेशन पहुंची। वहां से रात में 11 बजे पुरी के लिए रवाना हुई तो महज 16 किमी पहुंचने में तीन घंटे लग गए। दिलचस्प बात यह कि रास्ते में न तो लाइन खराब और न ही कहीं कोहरे का कहर। बाढ़ ने भी कहीं रेल का रास्ता नहीं रोका, लेकिन उसके बावजूद लेतलतीफी यात्रियों को अखर गई।
घंटों की देरी पर यात्रियों ने बताया कि ट्रेन को पहले लोहता स्टेशन से रवाना करने के बाद बहुत देर आउटर पर रोका गया। वाराणसी से खुली तो ट्रेन की चाल रेलवे की कलई खोलने वाली रही। पंडित दीन दयाल जंक्शन से चार किमी पूर्व ट्रेन 1.30 मिनट फिर से आउटर पर रोकी गई। यात्रियों ने बताया कि आउटर पर उनकी ट्रेन खड़ी रहने के दौरान एक दर्जन ट्रेनें आती और जाती रहीं। रात दो बजे आउटर से ट्रेन खुली तो देर रात 2.11 मिनट पर पहुंची। हाई स्पीड ट्रेन दौड़ाने के बाद एवं बुलेट ट्रेन की कल्पनाओं के देश की रीढ़ एवं गरीब आज भी मुकम्मल समय में मंजिल पर पहुंचाने वाली ट्रेन के चलाए जाने का इंतजार कर रहे हैं। यह सब दुश्वारी पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में है तो बाकी जगहों पर कल्पना सहज की जा सकती है।