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Lockdown में नींद वाली थकान उतारने के लिए कहीं आप भी तो दोबारा नींद नहीं ले रहे हैं

लॉक डाउन में नींद वाली थकान उतारने के लिए कहीं आप भी तो दोबारा नींद नहीं ले रहे हैं।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Mon, 13 Apr 2020 01:02 PM (IST)Updated: Mon, 13 Apr 2020 03:58 PM (IST)
Lockdown में नींद वाली थकान उतारने के लिए कहीं आप भी तो दोबारा नींद नहीं ले रहे हैं
Lockdown में नींद वाली थकान उतारने के लिए कहीं आप भी तो दोबारा नींद नहीं ले रहे हैं

वाराणसी [कृष्ण बहादुर रावत]। रोने से बड़ा दुख और सोने से बड़ा सुख कुछ नही। इन दिनों लोग लॉक डाउन में नींद वाली थकान उतारने के लिए नींद पर नींद लिए जा रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी नींद की चर्चा खूब है। मगर, अधिक सोना मतलब स्वास्थ्य से हाथ धोना भी है। चिकित्सक मानते हैं कि लॉकडाउन के कारण कुछ लोग अधिक समय तक सो रहे हैं। इस दौरान अधिक सोने वाले डिप्रेशन और तनाव के शिकार हो सकते हैं। 

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कोरोना के कारण इस समय लॉकडाउन है। ऐसे में लोगों को घर में ही अधिक समय व्यतीत करना पड़ रहा है। कुछ ऐसे लोग भी है जो 10 से 12 घंटे सो रहे हैं। जो स्वास्थ्य की दृष्टि से उचित नहीं हैं। छह से आठ घंटे से अधिक नहीं सोना चाहिए। बाकी समय अध्ययन करने या बागवानी या किसी शौक को पूरा करने में व्यतीत करना चाहिए। हो सके तो घर के काम में पत्नी का सहयोग करे।

कई वैज्ञानिक शोधों में यह प्रमाणित हो चुका है की भरपूर नींद लेने से आप अधिक स्वस्थ और सुंदर के साथ साथ दिन भर तरोताजा महसूस करते है, मन प्रसन्न रहता है और शरीर में स्फूर्ति बनी रहती है। एक सामान्य व्यक्ति को अच्छे स्वास्थ्य के लिए छह से आठ घंटे सोना जरुरी है। नींद कम लेना या जरुरत से अधिक सोना दोनों ही सेहत के लिए हानिकारक माना गया है। कुछ वैज्ञानिकों ने एक शोध में पाया है कि आवश्यकता से अधिक सोने वाले लोगों में  डिप्रेशन का शिकार होने की सम्भावना अधिक होती है। तनाव अलग से होता है।

राजकीय स्नातकोत्तर आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय, चौकाघाट, वाराणसी के कायचिकित्सा एवं पंचकर्म विभाग के वैद्य अजय कुमार ने बताया कि नींद क्यों आती है इसके बारे में आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में स्पष्ट रूप से बताया गया है की जब मन और सभी इंद्रियां काम करते-करते थक जाती है तब अपने अपने कर्मो का त्याग करने लगती है। जिस कारण मनुष्य को निद्रा आने लगती है। यही स्वाभाविक निद्रा है। पुन: अचार्यों ने निद्रा के तमोभवा, श्लेष्म समुद्भवा, मन:शरीर संभवा, व्याध्यानुवर्तिनी तथा रात्रिस्वभाव प्रभवा जैसे छह प्रकार बताये हैं। इनमें से रात्रिस्वभाव प्रभवा ही प्राकृतिक निद्रा मानी गयी है, बाकी अन्य प्रकार की निद्रा होती है। इनमें से रात्रिस्वभाव प्रभवा ही प्राकृतिक निद्रा मानी गयी है, बाकी अन्य निद्राये सभी रोगों का कारण मानी गयी है।

निद्रा से लाभ-

1. आरोग्य की प्राप्ति

2. शरीर का पोषण

3. बल की वृद्धि

4. आयु का लाभ

5. धातुओं की समता और पोषण

किसे दिन में नहीं सोना चाहिए

1. मोटे लोगों को

2. कफ प्रकृति वाले को

3. कफज रोगों से पीडि़त को

4. मधुमेह रोगी को

5. उच्च रक्तचापवाले रोगी को

कौन कौन दिन में सो सकता है

अजीर्ण और अतिसार के रोगियों के अलावा जो लोग बहुत अधिक थके हुए हो।


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