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'बाहुबली' फ‍िल्‍म के एक दृश्‍य ने बदल दी इस अर्जुन की जिंदगी, छह वर्ष में बना अंतरराष्ट्रीय स्तर का तीरंदाज

फिल्म भी किसी का जीवन बदल देती है इसका एक जीवंत उदाहरण बनारस में देखने को मिल रहा है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sat, 21 Dec 2019 12:47 PM (IST)Updated: Sat, 21 Dec 2019 07:33 PM (IST)
'बाहुबली' फ‍िल्‍म के एक दृश्‍य ने बदल दी इस अर्जुन की जिंदगी, छह वर्ष में बना अंतरराष्ट्रीय स्तर का तीरंदाज
'बाहुबली' फ‍िल्‍म के एक दृश्‍य ने बदल दी इस अर्जुन की जिंदगी, छह वर्ष में बना अंतरराष्ट्रीय स्तर का तीरंदाज

वाराणसी, जेएनएन। फिल्म भी किसी का जीवन बदल देती है, इसका एक जीवंत उदाहरण बनारस में देखने को मिल रहा है। लाखों लोगों ने बाहुबली फिल्म देखी होगी लेकिन उसके एक दृश्य ने तीन वर्ष के एक बालक की जिंदगी बदल दी। एक सामान्य छात्र से वह अंतरराष्ट्रीय स्तर का तीरंदाज बन गया। 

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छह वर्षीय अर्जुन सिंह ने शुक्रवार को बताया कि उसने बाहुबली को जब एक साथ तीन तीर छोड़ते देखा तो उसके मन में आया कि वह भी ऐसा ही बनेगा। यह बात उसने अपने डाक्टर पिता को बताई। पहले तो बात आई गई हो गई। कुछ दिन बाद उसने यही बात अपनी मां से कही और मां ने पिता पर दबाव डाला कि बच्चे की इच्छा पूरी करने में मदद करें। यह बात वर्ष 2016-17 की है और वह एलकेजी में अध्ययनरत था। 

पिता डा. अजय सिंह ने बिल्डिंग के सबसे ऊपर तीरंदाजी का टारगेट बनाया। तीर और धनुष की व्यवस्था की और देने लगे प्रशिक्षण। दिन और महीने बिताने लगा और अर्जुन के लक्ष्य भेदने की स्थिति में बदलाव देखने को मिलने लगा। 

इसी दौरान वर्ष 2018 में थाईलैंड में प्रिसेंस कप आयोजित हुआ। इसमें पांच वर्षीय अर्जुन ने अंडर-12 आयु वर्ग में सेमीफाइनल तक का सफर तय कर सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। उसके पिता अर्जुन के साथ थे और उन्होंने कुछ बाते नोट कि कहां कमी है। वर्ष 2019 में नवंबर में मकाऊ में वल्र्ड सीरीज प्रतियोगिता के तहत अर्जुन ने अंडर-12 में रजत पदक जीत कर लोगों को बताया कि नये अर्जुन का आगमन हो गया है। एक महीने बाद ही मलेशिया में आयोजित वल्र्ड सीरीज में सेमीफाइनल तक का सफर तय किया। 

अर्जुन ने बताया कि वर्ष 2020 में लास बेगास (अमेरिका) में सात से 10 फरवरी तक वल्‍र्ड सीरीज की प्रतियोगिता में हिस्सा लेना अब उसका अगला लक्ष्य है। पिता डा. अजय और माता शशिकला सिंह ने बताया कि चाहे गर्मी हो या सर्दी सुबह 3.30 बजे अर्जुन को जगाते हैं। उसके बाद आधा घंटे में फ्रेश होकर चार बजे से सात बजे तक वह उनकी देखरेख में अभ्यास करता है। सबसे अधिक खर्च तीर पर आता है। एक तीर की कीमत लगभग तीन हजार और धनुष की कीमत लगभग दो लाख रुपये होती है। तीर एक महीने के अंदर खराब हो जाता है। हर प्रतियोगिता के लिए दो से तीन तीर खरीदने ही होते हैं। 

सरकार से नहीं मिलती कोई सहायता 

अर्जुन अभी छह वर्ष का है। हर प्रतियोगिता में किसी न किसी को उसके साथ जाना होता है। ऐसे में बहुत पैसा खर्चा होता है। सरकार न तो तीर खरीदने में न तो धनुष खरीदने में आर्थिक मदद करती है। अगर सरकार कुछ सहारा दे दे तो अर्जुन और बेहतर प्रदर्शन कर सकता है। 

छोटा भाई सबसे प्रखर आलोचक

अर्जुन अभ्यास के दौरान कोई गलती या भूल करता है तो उसका छोटा भाई चार वर्षीय करण उसे टोकता है कि भाइया मन लगा कर, निशाना लगाओ। जल्दबाजी मत करो। 


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