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दूरदराज से आकर गंगा किनारे बस चुके बाशिंदे दहशत में बैठे हैं अपने घर की दूसरी मंजिल पर Varanasi news

गंगा ही मुसीबत तो गंगा ही खेवनहार। एक ओर बढ़ती बाढ़ से दुश्वारियां तो दूसरी ओर गंगा से ही दुहाई।

By Edited By: Published: Thu, 19 Sep 2019 01:15 AM (IST)Updated: Thu, 19 Sep 2019 08:24 AM (IST)
दूरदराज से आकर गंगा किनारे बस चुके बाशिंदे दहशत में बैठे हैं अपने घर की दूसरी मंजिल पर Varanasi news
दूरदराज से आकर गंगा किनारे बस चुके बाशिंदे दहशत में बैठे हैं अपने घर की दूसरी मंजिल पर Varanasi news

वाराणसी, जेएनएन। गंगा ही मुसीबत तो गंगा ही खेवनहार। एक ओर बढ़ती बाढ़ से दुश्वारियां तो दूसरी ओर गंगा से ही दुहाई। मतलब साफ है दूरदराज से आकर गंगा किनारे बस चुके बाशिंदे दहशत में हैं। घर छोड़ नहीं सकते और बाढ़ से लड़ नहीं सकते। ऐसे में बीच का रास्ता तलाश रहे हैं। कोई गंगा की पूजा कर रहा है तो कोई ऊपरी मंजिल पर व्यवस्था। सामने घाट के शिवराज नगर कालोनी निवासी पंडित ऋतुराज चौबे के घर के सामने बुधवार को सुबह ही भीड़ जुटी थी। चर्चा बस एक ही, गंगा मइया की। बाढ़ का पानी घर से महज चार गज दूर और दुश्वारियां घर में प्रवेश करने को उतावली।

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बावजूद इसके चेहरे पर कोई बेचैनी का भाव नहीं। उन्हें अब भी विश्वास है कि गंगा मइया यहीं से वापस हो जाएंगी। एक दिन पहले उनके मकान से चार घर पीछे के रहनवार देवाशीष दुबे को भी यही विश्वास था लेकिन बाढ़ से कोई मुरव्वत नहीं मिली। अब वे अपने मकान की दूसरी मंजिल पर ठिकाना बनाए बैठे हैं। उदास भाव से साइकिल व बाइक से आने-जाने वालों को देख रहे हैं। वैष्णो नगर कालोनी में महिलाएं चर्चा में मशगूल हैं। एक हाथ से सिर का पल्ला ठीक करते हुए पप्पू बो भौजी गली से गुजर रहे गिल्लू यादव से पूछ बैठती हैं कि अरे गिल्लूआ बाढ़ की स्थिति कैसी है। गंगा मइया बढ़ रही हैं या स्थिर हैं।

गिल्लू बोले, अरे का बताईं गंगा कब घटेंगी और कब बढ़ जाएंगी ये तो केवल बाबा भोलेनाथ ही बता सकते हैं। फिलहाल बढ़ाव जारी है। 100 मीटर आगे जाने पर घुटने भर पानी में भी आवागमन जारी था। वहां के मकानों में केवल एक-एक सदस्य थे। पूरे परिवार को दो दिन पहले ही दूसरी जगहों पर भेज चुके थे। वरुणा मचा रही तबाही वरुणा किनारे का दृश्य अधिक भयावह है। वहां तो एक-एक मंजिल तक डूब चुके हैं। बाढ़ पीड़ित मकान की छतों पर नहीं बल्कि बाकायदा विस्थापित हो चुके हैं। बतौर नजीर सरैया प्राथमिक विद्यालय को ले सकते हैं। वॉऊ, सेल्फी तो बनती है गंगा किनारे ज्ञान प्रवाह के पास दूसरा नजारा था। बीएचयू से आए कुछ छात्र-छात्राएं बाढ़ को उत्सव के रूप में लिए हुए थे। एक लड़की गंगा को देख चिल्लाई ओ माय गॉड, हाऊ इज सीन। वॉऊ, कितना सुंदर, वाह ऐसे में सेल्फी तो बनती है।


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