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एसआइटी ने ग्रामीणों से की पूछताछ, सहकारिता विभाग से इकठ्ठा किया कई जरूरी अभिलेख

घोरावल के उभ्भा गांव में भूमि पर कब्जे को लेकर हुए नरसंहार के मामले में जांच कर रही विशेष एसआइटी ने सहकारिता विभाग के अधिकारियों को बुलाकर सोसाइटी के बारे में पूछा।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Wed, 21 Aug 2019 08:00 PM (IST)Updated: Thu, 22 Aug 2019 08:47 AM (IST)
एसआइटी ने ग्रामीणों से की पूछताछ, सहकारिता विभाग से इकठ्ठा किया कई जरूरी अभिलेख
एसआइटी ने ग्रामीणों से की पूछताछ, सहकारिता विभाग से इकठ्ठा किया कई जरूरी अभिलेख

सोनभद्र, जेएनएन। घोरावल के उभ्भा गांव में भूमि पर कब्जे को लेकर हुए नरसंहार के मामले में जांच कर रही विशेष अनुसंधान दल (एसआइटी) ने बुधवार को तीसरे दिन चुर्क स्थित गेस्ट हाउस में तहसील स्तरीय अधिकारियों, कर्मचारियों से पूछताछ करने के साथ ही सहकारिता विभाग के अधिकारियों को बुलाकर सोसाइटी के बारे में पूछा। इसके बाद टीम के सदस्य उभ्भा गांव पहुंचे। जहां सपही व मूर्तिया के ग्रामीणों से घटना के बारे में पूछताछ किए। इसके साथ ही ग्रामीणों का बयान दर्ज किया। 

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 डीआइजी जे रविंद्र गौड़ के नेतृत्व में आयी दस सदस्यीय टीम नरसंहार की वजह तलाशने में जुटी है। भूमि की लिखा-पढ़ी में हुए भ्रष्टाचार की जांच कर रही टीम अभिलेखों में कहां-कहां खेल हुआ इसकी जानकारी करके साक्ष्य जुटा रही है। टीम की जांच के बाद जो रिपोर्ट होगी उसी के आधार पर आगे कार्रवाई होनी है। एक अधिकारी ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि टीम के सदस्यों ने उभ्भा गांव में पहुंचकर पुन: घटनास्थल को देखा। ग्रामीणों से पूछताछ की। इसके साथ सपही व मूर्तिया के लोगों से मिलकर भी घटना के बारे में जरूरी जानकारी ली।

ग्रामीणों से पूछा कौन कर रहा था खेती

एसआइटी के अधिकारी दोपहर में उभ्भा गांव के लिए रवाना हुए। वहां पहुंचकर टीम के सदस्यों ने पहले गांव का भ्रमण किया। इसके बाद वहां के लोगों से पूछताछ की। पूछा कि घटना से पहले कौन जमीन को जोत रहा था। जिस सोसाइटी की भूमि के लिए इतनी बड़ी घटना हुई उस जमीन पर कब से कब तक किसने खेती की। पहले की स्थिति और अब की स्थिति के बारे में पूछा। बताया कि प्रधान पक्ष के लोगों से भी टीम के सदस्यों ने जरूरी पूछताछ की।

10 की गई थी जान, 28 हुए थे घायल

उभ्भा गांव में 17 जुलाई को भूमि पर कब्जा करने को लेकर नरसंहार हो गया था। उस नरसंहार में 10 लोगों की मौत हो गई थी और 28 लोग घायल हो गए थे। घटना के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने इसे गंभीरता से लिया और तत्काल एसडीएम, सीओ, एसएचओ सहित पांच लोगों को निलंबित कर दिया था। बाद में जांच रिपोर्ट के आधार पर डीएम व एसपी को हटाते हुए 27 लोगों के खिलाफ हजरतगंज थाने में एफआइआर दर्ज कराई गई।


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