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एसआइटी ने संस्कृत विवि पर कसा शिकंजा, परीक्षा नियंत्रक को लखनऊ तलब करने की चेतावनी

संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा अंकपत्रों के सत्यापन में अति विलंब करने से विशेष अनुसंधान दल (एसआइटी) क्षुब्ध है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sun, 06 Sep 2020 12:17 PM (IST)Updated: Sun, 06 Sep 2020 12:17 PM (IST)
एसआइटी ने संस्कृत विवि पर कसा शिकंजा, परीक्षा नियंत्रक को लखनऊ तलब करने की चेतावनी
एसआइटी ने संस्कृत विवि पर कसा शिकंजा, परीक्षा नियंत्रक को लखनऊ तलब करने की चेतावनी

वाराणसी, जेएनएन। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा अंकपत्रों के सत्यापन में अति विलंब करने से विशेष अनुसंधान दल (एसआइटी) क्षुब्ध है। बार-बार निदेश देने के बावजूद विश्वविद्यालय अब तक सभी जिलों के प्रमाणपत्रों का सत्यापन रिपोर्ट एसआइटी को नहीं उपलब्ध करा सकी है। इससे नाराज एसआइटी ने अब विश्वविद्यालय पर ही शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट न भेजने पर अब परीक्षा नियंत्रक को लखनऊ तलब करने की चेतावनी दी है। इसे लेकर विश्वविद्यालय के अधिकारियों में खलबली मची हुई है।

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दरअसल बेसिक शिक्षा विभाग से संचालित सूबे के विभिन्न जनपदों के परिषदीय विद्यालयों में बड़े पैमाने पर विश्वविद्यालय के उपाधिधारक चयनित हुए थे। विश्वविद्यालय पर सत्यापन रिपोर्ट में व्यापक पैमाने पर अनियमितता बरतने का आरोप है। एक बार वैध तो दूसरी बार उसी परीक्षार्थी को फर्जी बताया गया। यही नहीं संबंधित संस्थानों को एक ही शिक्षक का दो-दो सत्यापन रिपोर्ट पहुंच गया था। विश्वविद्यालय के समानांतर फर्जी सत्यापन संबंधित परीक्षार्थी को प्रथम श्रेणी उत्तीर्ण दर्शाया गया था। वहीं विश्वविद्यालय द्वारा जारी सत्यापन रिपोर्ट में उसी अनुक्रमांक पर उसी परीक्षार्थी को फर्जी दर्शाया गया था। इसे देखते हुए शासन ने इसकी जांच एसआईटी को सौंप दी। अब एसआईटी सूबे के सभी 75 जिलों में चयनित अध्यापकों के अंकपत्रों व प्रमाणपत्रों का नए सिरे से सत्यापन करा रही है। पिछले तीन सालों में विश्वविद्यालय 68 जिलों के शिक्षकों के प्रमाणपत्रों का सत्यापन कर चुकी है। एसआइटी ने 31 अगस्त तक सभी जिलों का सत्यापन रिपोर्ट मांगी थी लेकिन

सात जिलों के अध्यापकों के अंकपत्र व प्रमाणपत्रों का सत्यापन अब भी लंबित है। सत्यापन में हो रही देरी से एसआइटी को जांच पूरी करने में देरी हो रही है। गत दिनों एसआइटी के इंस्पेक्टर विनोद सिंह मोबाइल फोन द्वारा परीक्षा नियंत्रक से बात भी की थी। इस दौरान उन्होंने सत्यापन में हो रही देरी पर कड़ी आपत्ति भी जताई थी।

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''एसआइटी लगातार सत्यापन के लिए दबाव बनाए हुए हैं। इसे देखते हुए गोपनीय विभाग में कर्मचारियों की संख्या भी बड़ा दी गई है। इसके बावजूद लंबित जिलों के प्रमाणपत्रों का सत्यापन रिपोर्ट तैयार करने में 15 दिन और समय लग सकता है। इसके लिए एसआइटी से कुछ और दिन की मोहलत मांगी गई है।'' - विशेश्वर प्रसाद, परीक्षा नियंत्रक।


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