कागज फिल्म में उपेक्षा से दुखी गायिका शारदा सिन्हा ने कहा - '...बहरहाल यही हासिल है, जिसे अनुभव कहते हैं'
Sharda sinha saddened by neglect in kagaj film कागज फ़िल्म में अपनी उपेक्षा से दुखी गायिका शारदा सिन्हा ने कहा - बहरहाल यही हासिल है जिसे अनुभव कहते हैं। गायिका शारदा सिन्हा ने फेसबुक पर पोस्ट जारी कर अपनी व्यथा सामने रखी है।
आजमगढ़, जेएनएन। जिले के लाल बिहारी मृतक की जिंदगी पर बनी फिल्म कागज में अब भोजपुरी गायिका शारदा सिन्हा ने उपेक्षा का आरोप लगाया है। इस बाबत शनिवार देर रात उन्होंने फेसबुक पर एक पोस्ट जारी कर फ़िल्म के निर्माता और संगीत निर्देशक पर उपेक्षा करने का आरोप लगाया है।
बताते चलें कि फ़िल्म को अभिनेता सलमान खान ने फाइनेंस किया है और सतीश कौशिक ने निर्देशित किया है। शारदा सिन्हा बिहार की लोकप्रिय गायिका हैं जिनका जन्म 1 अक्टूबर 1952 को बेगूसराय बिहार में हुआ। उन्होंने मैथिली, भोजपुरी के अलावा हिन्दी के कई चर्चित गीत गाये हैं। मैंने प्यार किया तथा हम आपके हैं कौन जैसी फिल्मों में शारदा के गाए गीत काफी चर्चित रहे हैं। जबकि भोजपुरी में उनके कई गीत लोगों की जुबान पर काफी अरसे से चढ़े हुए हैं।
शारदा सिन्हा ने लिखा है कि -
'फ़िल्म में चाहे कम देर के लिए लिया गया हो, पर मैंने तो अपने 6 से 7 घंटे रिकॉर्डिंग और असकी तैयारी में दिए थे। बहरहाल मुझे पता है कि मेरे श्रोता मेरे गीत का कितना इंतेज़ार करते हैं सो उन्हें मैं ज़रूर बताना चाहूंगी कि अपने किस गीत के आधार पर मैंने इस गीत "सरकार विधवा बनैले" को गया है । आपको याद होगा मेरा वह गीत "कइनी हम कौनो कसूर हो नयनवो से...." तथा आधारभूत में मिर्जापुरी कजरी "मिर्जापुर कइले गुलजार हो कचौड़ी गली..." हैं।
फ़िल्म के प्रोड्यूसर तथा म्यूजिक डायरेक्टर एवं टीम के अन्य सदस्यों को जब होश आये तो आये फिलहाल मुझे व्हाट्स एप्प पर कहीं से एक फारवर्ड में अपने गाने को सुनने मिला आपके साथ साझा कर रही हूं। फ़िल्म में 01:13:07 समय से ले कर 01:14:23 तक में यह गीत आता है । पंकज त्रिपाठी जी के अभिनय से गदगद हूँ। उन्हें शुभकामनायें। बहरहाल यही हासिल है, जिसे अनुभव कहते हैं।