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Shri Annapurna Math Mandir: शंकर पुरी महाराज काशी अन्नपूर्णा मठ मंदिर सातवें महंत, की गई चादरपोशी

श्रीअन्नपूर्णा मठ-मंदिर के ब्रह्मलीन महंत रामेश्वर पुरी का षोडशी संस्कार और विशाल भंडारा मंगलवार को मंदिर परिसर में आयोजित किया गया है। इसी दौरान नए महंत के चादर पोशी की रस्म भी निभाई गई। उपमहंत शंकर पुरी को महंतई दी गई।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Tue, 27 Jul 2021 11:30 AM (IST)Updated: Tue, 27 Jul 2021 05:29 PM (IST)
Shri Annapurna Math Mandir: शंकर पुरी महाराज काशी अन्नपूर्णा मठ मंदिर सातवें महंत, की गई चादरपोशी
नए महंत के चादर पोशी की रस्म भी निभाई गई।

वाराणसी, जागरण संवाददाता । काशी अन्नपूर्णा मठ मंदिर सातवें महंत के रूप में मंगलवार को शंकर पुरी की चादरपोशी की गई। श्रीपंचायती महानिर्वाणी अखाड़े के पदाधिकारियों व काशी के संत-महंतों ने महंतई के विधान पूरे किए। महंत रामेश्वर पुरी का दस जुलाई को निधन हो जाने से पद खाली था।

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अखाड़ी की ओर से उपमहंत शंकर पुरी को महंत पद देने का निर्णय लिया गया था। शंकर पुरी छात्र जीवन से ही मंदिर से जुड़े हैं। उनकी शिक्षा-दीक्षा अन्नपूर्णा अन्नक्षेत्र ट्रस्ट की ओर से संचालित ऋषिकुल ब्रह्मचर्य आश्रम से हुई है। इस तरह शंकर पुरी पहले महंत बने हैं जो आश्रम की गुरु-शिष्य परंपरा से भी जुड़े रहे हैं। महंतई की प्रक्रिया सुबह शुरू की गई। संत संगत बैठी और इसमें ब्रह्मलीन महंत रामेश्वर पुरी को श्रद्धा सुमन अर्पित किया गया। साथ ही नए महंत के नाम पर मुहर लगाई गई।

परंपरानुसार श्रीपंचायती महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव महंत रवींद्र पुरी, अखाड़ा हरिद्वार के महंत कैलाश भारती, ओंकारेश्वर के महंत दयाल पुरी समेत अनेकों स्थानों से आए श्रीमहंतगण ने सर्वसम्मति से शंकर पुरी महाराज के नाम की घोषणा की। देशभर के कई मठों और अखाड़ों के संत महात्माओं की मौजूदगी मे सर्व सम्मति से शंकर पुरी का नाम तय हुआ। इसके बाद महंतई के निमित्त शंकर पुरी ने मां अन्नपूर्णेश्वरी का विधि विधान से पूजन अर्चन किया। संत-महंतों ने तिलक करते हुए उन्हें महंती की चादर ओढाई और गद्दी पर विराजमान कराया। इसके बाद ब्रह्मलीन महंत रामेश्वर पुरी के षोडशी भंडारे के आयोजन किया गया जिसमें संत-महात्मा के साथ ही श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। 

कार्यक्रम के बाद शिष्टाचार के लिए यूपी के डिप्टी सीएम केशव मौर्या भी पहुंचे। महंत की गद्दी पर बैठने के बाद शंकर पुरी ने कहा कि अन्नपूर्णा मठ और मंदिर की गौरवशाली सेवा परंपरा को आगे बढ़ाएंगे। हर किसी के सुख दुख में मठ मंदिर पहले की तरह खड़ा रहेगा। 17 अक्टूबर 2004 को दिवंगत महंत रामेश्वर पुरी को गद्दी सौंपी गई थी।

इस अवसर पर पश्चिम बंगाल के पूर्व गवर्नर केसरीनाथ त्रिपाठी जी समेत कई गणमान्य व्यक्तियों ने अपनी शुभकामना संदेश भेजते हुए मंदिर के उज्जल भविष्य की कामना की है । कार्यक्रम में प्रमुख रूप से इलाहाबाद हाई कोर्ट के पूर्व उपाध्यक्ष वीरेंद्र नाथ उपाध्याय, उत्तर प्रदेश सरकार के अपर महाधिवक्ता उच्च न्यायालय नीरज त्रिपाठी, रंजन सिंह, प्रदीप श्रीवास्तव, धीरेंद्र सिंह आदि उपस्थित रहे। इस दौरान महामंडलेश्वर संतोष दास, अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती, संत बिहारी पुरी मठ के महंत जयकिशन पुरी, स्वामी कृष्णानंद, श्रीमहंत सुभाष पुरी, काशी विद्ववत परिषद के अध्यक्ष प्रो. रामयत्न शुक्ल व महामंत्री डा. रामनारायण द्विवेदी, श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के सप्तऋषि आरती के प्रधान अर्चक शशिभूषण त्रिपाठी आदि थे।  

अधूरे कार्यों को पूरा करने के लिए संकल्पित : महंत शंकरपुरी

महंत शंकर पुरी मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं और 1988 से काशी मे निवास कर रहे हैं। शंकर पुरी ने पढ़ाई की और उत्तर मध्यमा और शास्त्री की डिग्री हासिल की। फिर महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से डबल एमए किया. बीते 17 साल से शंकर पुरी श्री अन्नपूर्णा मठ और मंदिर में सेवारत हैं।मठ-मंदिर की गद्दी पर आसीन होने के बाद शंकर पुरी ब्रह्मलीन महंत रामेश्वरपुरी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए भावुक हो उठे। उन्होंने कहा कि महंत जी के अधूरे कार्य को पूरा करूंगा। संस्कृति-संस्कारों के सहित परंपरागत शास्त्रों के संरक्षण व सामाजिक गतिविधियों को निरंतर आगे बढ़ाऊंगा। सभी संतों विद्वानों के आशीर्वाद और मार्गदर्शन में मंदिर और ट्रस्ट जनहित के कार्य करता रहेगा।

अन्नपूर्णेश्वरी की कृपा पर आश्रित देवाधिदेव

शास्त्रीय मान्यता है कि काशी नगरी के पालन-पोषण के लिए देवाधिदेव महादेव बाबा श्रीकाशी विश्वनाथ मां अन्नपूर्णेश्वरी की कृपा पर आश्रित हैं। मंदिर के प्रथम तल पर स्थित अन्नदात्री मां की ममतामयी छवियुक्त ठोस स्वर्ण प्रतिमा कमलासन पर विराजमान और रजत शिल्प में ढले भगवान शिव की झोली में अन्नदान की मुद्रा में है। दायीं ओर मां लक्ष्मी और बायीं तरफ भूदेवी का स्वर्ण विग्रह है। इस दरबार के दर्शन वर्ष में सिर्फ चार दिन धनतेरस से अन्नकूट तक ही होते हैं। इसमें पहले दिन धान का लावा, बताशा के साथ मां के खजाने का सिक्का प्रसादस्वरूप वितरित किए जाने की पुरानी परंपरा है। इसमें काशी ही नहीं, देश-विदेश से आस्थावानों का रेला उमड़ता है। अन्य दिनों में मंदिर के गर्भगृह में स्थापित प्रतीकात्मक प्रतिमा की दैनिक पूजा होती है।

बाबा से प्राचीन मइया का दरबार

आश्रम में दर्ज इतिहास के अनुसार बाबा से पहले ही देवी अन्नपूर्णा यहां विराजमान थीं। वर्ष 1775 में काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण शुरू हुआ तब पाश्र्व में देवी अन्नपूर्णा का मंदिर था। मां की स्वर्णमयी प्रतिमा की प्राचीनता का उल्लेख भीष्म पुराण में भी है। महंत रामेश्वरपुरी के अनुसार, वर्ष 1601 में मंदिर के महंत केशवपुरी के समय में भी प्रतिमा का पूजन हो रहा था।

मंदिर के विभिन्न प्रकल्प

काशी अन्नपूर्णा मठ मंदिर के सेवा संकल्पों को महंत रामेश्वर पुरी के समय में विस्तार मिला। तीन कमरे का ऋषिकुल 30 कमरे के संपूर्ण विद्यालय का रूप पा चुका है। अन्नक्षेत्र का अपने दो भवन में कोरोना काल से पहले नित्य पांच हजार लोगों को भोजन कराया जाता रहा है। कोरोना की बंदिशें इसमें रोड़ा बनीं तो पैकेट बनवाकर लगातार पूरे शहर में वितरित कराए जाते रहे। अन्नपूर्णा अन्न क्षेत्र ट्र्स्ट की ओर से अन्नदान व शिक्षादान के साथ ही वृद्धाश्रम, स्वावलंबन केंद्र व दातव्य चिकित्सालय संचालित हैं। हर साल 25 जोड़ों का अपने खर्च पर विवाह व 101 बटुकों का उपनयन संस्कार कराया जाता है।

प्रधानमंत्री ने भेजा पत्र, जताया शोक

ब्रह्मलीन महंत रामेश्वर पुरी के गोलोकगमन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए शोक पत्र भेजा है। अन्नपूर्णा मंदिर के महंत रामेश्वर पुरी के निधन पर पीएम नरेंद्र मोदी ने शोक जताया है। उनका शोक पत्र मंगलवार को मंदिर प्रबंधन को मिला। इसमें पीएम ने लिखा है कि महंत जी के देहावसान के बारे में जानकर अत्यंत दुख हुआ। इस मुश्किल समय में मेरी संवेदनाएं शुभचिंतकों के साथ हैं। महंत रामेश्वर पुरी जी का जीवन धर्म और अध्यात्म को समर्पित था। उनके कुशल नेतृत्व में काशी अन्नपूर्णा क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा लोक कल्याण के लिए अनवरत प्रयास किए गए, उन्होंने सदैव लोगों को सामाजिक कार्यों के लिए प्रेरित किया। उनका निधन समाज के लिए का अपूरणीय क्षति है। ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि वह दिवंगत की आत्मा को शांति दें और इस कठिन घड़ी में शोक संतप्त शुभचिंतकों को दुख सहने का धैर्य और संबल प्रदान करें। पीएम ने महंत रामेश्वर पुरी के निधन पर दस जुलाई को भी शोक संवेदना ट्वीट की थी।

भंडारे की हुई शुरूआत

षोडशी संस्कार के बाद मंदिर परिसर में विशाल भंडारा भी आयोजित किया गया है। इसमें पूड़ी, दो तरह की सब्जी, पांच तरह के मिष्ठान पकवान की तैयारी हो रही है।

साल में एक बार ही दर्शन देती हैं इस मंदिर की मां अन्‍नपूर्णा

बनारस में काशी विश्‍वनाथ मंदिर से कुछ ही दूर माता अन्‍नपूर्णा का मंदिर है। इन्‍हें तीनों लोकों में खाद्यान्‍न की माता माना जाता है। कहते है कि माता ने स्‍वयं भगवान शिव को खाना खिलाया था। इस मंदिर की दीवारों पर ऐसे चित्र बने हुए हैं। एक चित्र में देवी कलछी पकड़ी हुई है। इस मंदिर में साल में केवल एक बार अन्नकूट महोत्सव पर मां अन्नपूर्णा की स्वर्ण प्रतिमा को सार्वजनिक रूप से एक दिन के लिऐ दर्शनार्थ निकाला जाता है। तब ही भक्त इनकी अद्भुत छटा के दर्शन कर सकते हैं। अन्नपूर्णा मंदिर के प्रांगण में कुछ अन्‍य मूर्तियां स्थापित है, जिनके दर्शन सालभर किए जा सकते हैं। इन मूर्तियों में मां काली, शंकर पार्वती और नरसिंह भगवान के मंदिर में स्‍थापित मूर्तियां शामिल हैं। बताते हैं कि अन्नपूर्णा मंदिर में ही आदि शंकराचार्य ने अन्नपूर्णा स्त्रोत् की रचना कर के ज्ञान वैराग्य प्राप्ति की कामना की थी। ऐसा ही एक श्‍लोक है अन्नपूर्णे सदापूर्णे शंकरप्राण बल्लभे, ज्ञान वैराग्य सिद्धर्थं भिक्षां देहि च पार्वती। इस में भगवान शिव माता से भिक्षा की याचना कर रहे हैं।


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