देवाधिदेव महादेव की नगरी बनारस में अब धरातल पर उतर रही ‘त्रैलोक्य से न्यारी काशी’ की अवधारणा
बनारस शहर के हर छोर को एक डोर से जोड़ने के लिए रिंग रोड का पहला चरण 759 करोड़ की लागत से 16.55 किलोमीटर तक आकार पा चुका है जो एयरपोर्ट से कुछ ही मिनटों में बुद्ध की प्रथम उपदेश स्थली सारनाथ तक ले जाता है।
प्रमोद यादव, वाराणसी। देवाधिदेव महादेव की नगरी काशी को त्रैलोक्य से न्यारी बताती वेद-पुराणों में लिखी बात बदलते समय के साथ जमीन पर उतरती नजर आ रही है। देश-दुनिया ने धार्मिक -आध्यामिक स्तर पर भले इसका अहसास किया हो लेकिन अब जब आप बनारस की गलियों में आएंगे, गंगा के घाटों की सैर करेंगे या सड़कों पर टहल जाएंगे तो शायद एकबारगी अपनी आंखों पर विश्वास न कर पाएंगे। अपनी थाती को सहेजे नए रंग-रूप में आया बनारस ठिठक जाने, बार -बार आने को विवश करेगा। छह साल में 18 हजार करोड़ रुपये में शहर से लेकर गांव तक बदला स्वरूप अभी पूरी समग्रता के साथ निखार पा रहा है। सड़क-बिजली- पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं के साथ ही सांस्कृतिक और धार्मिक पर्यटन भी निरंतर विस्तार पा रहा है।
पुरातन काल से बनारस की पहचान ट्रेड सेंटर की रही है। इसमें बड़ा रोड़ा बनता रहा है जाम का जंजाल। सड़कों के जाल और बदले हाल ने इससे मुक्ति दिला दी है। शहर से लेकर एयरपोर्ट तक 8.12 करोड़ से बने 17.25 किलोमीटर फोर लेन रोड का नाम इसमें प्रमुखता से लिया जाता है। फेज टू में दो पैकेज क्रमश: 405 व 949 करोड़ से निर्माण की प्रक्रिया में हैं।
स्मार्ट हो रहा अध्यामिक प्राचीन शहर: वाराणसी समार्ट सिटी कंपनी की ओर से पूरे शहर में आधुनिक विकास को लेकर योजना पर काम शुरू कर दिया है। नौ क्षेत्रों में काम चल रहा है। एरिया बेस्ड डेवलपमेंट पर फोकस किया जा रहा है। इसके तहत एक इलाके का पूरा विकास किया जाएगा। करीब 1000 करोड़ का प्रस्ताव तैयार किया जाएगा। इससे पुराने शहर को सुरम्य, संयोजित, निर्मल व एकीकृत बनाया जाएगा। ई-गवर्नेंस और इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट को लागू किया जा रहा है। घाटों व मंदिरों के पुनरुद्धार, पेयजल व बिजली की निर्बाध आपूर्ति, कूड़ा प्रबंधन और नदी मार्ग को विकसित करने पर जोर दिया जा रहा है।
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जापानी तकनीक से बन रहा कन्वेंशन सेंटर रुद्राक्ष : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ जब जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे काशी भ्रमण पर आए थे तो उन्हें यहां के घाट, मंदिर व आध्यात्मिक माहौल खूब भाया। यहीं पर शिंजो आबे ने प्रेसवार्ता कर घोषणा की कि जापान के अनुदान से एक कन्वेशन सेंटर बनाया जाए। इसके बाद 180 करोड़ का अनुदान मिलने के बाद जापानी तकनीक से कन्वेंशन सेंटर निर्माण शुरू हुआ। अंडरग्राउंड पाìकग के साथ ही दो मंजिल का यह भवन बनकर तैयार हो गया है। इसका निर्माण जापानी तकनीकी विशेषज्ञों की निगरानी में हुआ।
100 करोड़ से पंचकोसी रोड का जीर्णोद्धार व सुंदरीकरण : श्रीकाशी विश्वनाथ की नगरी काशी में पंचकोसी परिक्रमा का आध्यात्मिक महत्व है। महाशिवरात्रि पर लाखों लोग पंचकोसी परिक्रमा में शामिल होते हैं। कभी यह आध्यात्मिक यात्र कांटों भरी होती थी लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सांसद बनने के बाद 100 करोड़ का प्रस्ताव बना। इसमें पंचकोसी मार्ग का निर्माण के साथ ही पैदल आध्यात्मिक यात्र करने के लिए किनारे पाथ-वे बनाया जा रहा है। पंचकोसी मार्ग शहर से बाबतपुर तक बने फोरलेन रोड को हरहुआ में क्रास करता है।
काशी विश्वनाथ से बुद्ध रैदास तक: काशी में बाबा विश्वनाथ से बड़ा कौन। ऐसे में काशी विश्वनाथ मंदिर सुंदरीकरण व विस्तारीकरण योजना पर काम किया जा रहा है। इसके तहत लगभग 46,500 वर्ग मीटर क्षेत्र को संवारने के साथ भव्य-दिव्य कारिडोर का रूप दिया जा रहा है जिसकी डोर एक ओर बाबा दरबार तो दूसरे छोर पर महाश्मशान मणिक?णका समेत तीन घाटों या यूं कह सकते हैं कि गंगधार से जुड़ती है। लगभग 750 करोड़ का प्रोजेक्ट शासन-प्रशासन के लक्ष्य अनुसार 2021 दिसंबर तक पूरा होगा। खास यह कि इसमें देश-दुनिया से आया धर्मानुरागी, जिज्ञासु और ज्ञान पिपासु एक स्थान पर पूरा बनारस देख पाएगा। गंगा स्नान करने के पश्चात सीधे धाम परिसर होते श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में पूजन-अर्चन के लिए पहुंचने वाला श्रद्धालु भक्ति भाव से विभोर हो जाएगा। बाबा के साथ ही महात्मा बुद्ध की प्रथम उपदेश स्थली सारनाथ को भी सौ करोड़ रुपये से सजाया संवारा जा रहा है। संत रविदास की जन्म स्थली सीर गोवर्धन 50 करोड़ रुपये की लागत से पर्यटन स्थली के रूप में विकसित की जा रही है। कबीर की कर्मस्थली भी संवर रही है।
सिंगापुर की तर्ज पर रिंग रोड किनारे बसाई जाएगी नई काशी : आध्यामिक नगरी काशी का नया स्वरूप सामने आएगा। सिंगापुर की तर्ज पर रिंग रोड के किनारे नई काशी बसाई जाएगी। इसका खाका खींचा गया है। आवासी प्लाट, व्यवसायिक सेक्टर के अलावा चिकित्सा व शिक्षा का हब बनेगा। इसके लिए रिंग रोड के दोनों किनारों पर चार सौ मीटर तक जमीन अधिग्रहण किया जाएगा। इस मेगा प्रोजेक्ट को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष रखा जा चुका है। सीएम के निर्देश पर वाराणसी विकास प्राधिकरण के तकनीकी विशेषज्ञ प्रोजेक्ट पर होने वाले व्यय का आकलन कर रहे हैं। प्राथमिक आकलन के अनुसार जमीन अधिग्रहण में करीब 17 हजार करोड़ रुपये व्यय होने का अनुमान है। इस क्षेत्र को विकसित करने के लिए मोटी रकम खर्च होगी। इस प्रोजेक्ट को लेकर सूबे के स्टांप मंत्री रवींद्र जायसवाल ने कोशिश की है।
महात्मा बुद्ध की प्रथम उपदेश स्थली सारनाथ का विकास : महात्मा बुद्ध की प्रथम उपदेश स्थलीय सारनाथ का विकास हो रहा है। विश्व बैंक के सहयोग से 100 करोड़ का प्रस्ताव तैयार किया गया है। करीब पांच किलोमीटर इलाके की सड़कों को अंतरराष्ट्रीय मानकों पर बनाया जा रहा है। किनारे पाथ-वे, हेरिटेज लाइटें, हरभरा करने के लिए पौधारोपण आदि किए जा रहे हैं। सारनाथ को जाने वाली सड़कों पर गेट बनाया जा रहा है जो बौद्ध धर्म के थीम पर आधारित है। पर्यटन के दृष्टिगत मूलभूत सुविधाओं का विकास किया जा रहा है।
टर्मिनल 200 मीटर लंबे 43 मीटर चौड़े : उपनगर रामनगर के राल्हूपुर में बने जल परिवहन टर्मिनल (बंदरगाह) प्रोजेक्ट की शुरुआत जून 2016 में की गई थी। नवंबर 2018 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोकार्पण किया था। 33.34 हेक्टेयर भूमि पर योजना को अमलीजामा पहनाया गया। इस ट?मनल पर माल लोड अनलोड करने के लिए जेटी का निर्माण, पैसेंजर जेटी, प्रशासनिक भवन, बिजली घर, दो क्रेन, एन एच सात से संपर्क मार्ग, आरआइएस (रिवर इंफार्मेशन सिस्टम) का निर्माण कार्य हो चुका है। बंदरगाह पर ही बनने वाला गोदाम तथा रेलवे से कनेक्टिविटी का काम बाकी है। टर्मिनल के समीप व्यापारियों की सुविधा के लिए फ्रेट विलेज का निर्माण किया जाना है।