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शारदीय नवरात्र की तैयारी में काशी की उत्‍सवप्रिय मेधाओं ने पकड़ी 'या देवी सर्वभूतेषु...' की डगर

उत्‍सव धर्मी काशी में पर्व और परंपराओं की अनगिन कतार और लक्‍खा मेलों की बात ही अजब और अनोखी है। कोरोना संक्रमण काल में लॉकडाउन बीतने के बाद काशी में अब अनलॉक से उत्‍सवी रंग में काशी नजर आने को तैयार और व्‍याकुल नजर आ रही है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sun, 27 Sep 2020 06:05 AM (IST)Updated: Sun, 27 Sep 2020 07:32 PM (IST)
शारदीय नवरात्र की तैयारी में काशी की उत्‍सवप्रिय मेधाओं ने पकड़ी 'या देवी सर्वभूतेषु...' की डगर
राजा चेतसिंह किला परिसर में नृत्य का अभ्यास करती कलाकार लोगों के आक‍र्षण का केंद्र घाट पर बनी।

वाराणसी, [उत्‍तम राय चौधरी]। उत्‍सव धर्मी काशी में पर्व और परंपराओं की अनगिन कतार और लक्‍खा मेलों की बात ही अजब और अनोखी है। कोरोना संक्रमण काल में लॉकडाउन बीतने के बाद काशी में अब अनलॉक से उत्‍सवी रंग में काशी नजर आने को तैयार और व्‍याकुल नजर आ रही है। काशी में वैसे तो साल भर पर्व और त्‍योहार मनाने की परंपरा रही है लेकिन शारदीय नवरात्र का आयोजन विविध्‍ा रंगों में खास तौर पर रंगा नजर आता है। देश भर से आए लोग काशी में रहने लगे तो यहीं के उत्‍सवों को अपने प्रदेशों के रंग में रंग डाला। फ‍िर बंगाली रस्‍म चाहे सिंदूर खेला की हो या धुनुची नृत्य की क्‍या फर्क पड़ता है।

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पंडालों में बंगाली परंपराएं जीवंत होती हैं तो अंतिम दिन मां की विदायी के साथ ही सिंदूर खेला की रस्‍म से आंखों के कोर भी गीले हो उठते हैं। पर्वों की कडियों में इस बरस पंडाल सजेंगे भी और दुर्गा प्रतिमाएं कोरोना संक्रमण के बीच स्‍थापित भी होंगी इसमें संशय की स्थिति बनी हुई है। हालांकि आयोजन से जुड़े लोगों ने अपनी मेधाओं को मांजना शुरु कर दिया है। नृत्‍य और पूजन की परंपरागत बंगाली विधाओं के रियाज का दौर घाटों से लेकर आंगन और संगीत कला केंद्रों में निखरने और प्रदर्शन को आकुल नजर आने लगे हैं।

 

हालांकि काशी में ही नहीं बल्कि देश्‍ा भर में कोरोना काल में तीज-त्योहार, मांगलिक कार्य सब कुछ ठप है। आने वाले दिनों में शारदीय नवरात्र का आयोजन भी होना है लेकिन आयोजन स्थल शांत नजर आ रहे हैं। कहीं किसी स्‍थान पर कोई दुर्गा पूजा समितियों की तैयारी नहीं है। वहीं वाराणसी में दुर्गा पूजा बंगभाषियों का खास त्‍योहार माना जाता है। महिलाएं महीनों पहले देवी दुर्गा के आगमन के उल्लास में डूब जाती हैं और गीत संगीत के रियाज की तैयारी में जुट जाती हैं।

पंडालों में धुनुची नृत्य प्रतियोगिता के निमित्त राजा चेतसिंह किला परिसर में नृत्य का अभ्यास करती कलाकार लोगों के आक‍र्षण का केंद्र घाट पर बनी तो लोगों ने पूरी तन्‍मयता से उत्‍सव प्रिय काशी की परंपराओं को थिरकते निहार कर निहाल नजर आए। हालांकि रियाज कर रहे कलाकारों का मानना है कि अगर दुर्गा पूजा की अनुमति नही मिलेगी तो वे शारीरिक दूरी का पालन करते हुए घरों में ही पूजा करेंगे, लेकिन मां दुर्गा के पर्व को मनाएंगे जरूर।


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