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Sharadiya Navratri 2022 : शक्ति आराधना के लिए अबकी मिल रहे पूरे नौ दिन, प्रतिपदा में दिन भर कलश स्थापना

Sharadiya Navratri 2022 शक्ति की अधिष्ठात्री मां जगदंबा की उपासना-आराधना का महापर्व शारदीय नवरात्र आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तिथि तक मनाया जाता है। इस बार आश्विन शुक्ल प्रतिपदा 26 सितंबर को मिल रही है।

By pramod kumarEdited By: Saurabh ChakravartyPublished: Fri, 23 Sep 2022 05:04 PM (IST)Updated: Fri, 23 Sep 2022 05:04 PM (IST)
Sharadiya Navratri 2022 : शक्ति आराधना के लिए अबकी मिल रहे पूरे नौ दिन, प्रतिपदा में दिन भर कलश स्थापना
इस बार आश्विन शुक्ल प्रतिपदा 26 सितंबर को मिल रही है।

जागरण संवाददाता, वाराणसी : शक्ति की अधिष्ठात्री मां जगदंबा की उपासना -आराधना का महापर्व शारदीय नवरात्र आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तिथि तक मनाया जाता है। इस बार आश्विन शुक्ल प्रतिपदा 26 सितंबर को मिल रही है।

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इसी दिन से नवरात्र आरंभ होगा। किसी तिथि का क्षय न होने से अबकी नवरात्र पूरे नौ दिनों का है, लेकिन चार अक्टूबर को दोपहर 1.30 बजे तक ही नवमी मिल रही है। इस अवधि में दुर्गा पाठ का हवन व कन्या पूजन किया जाएगा। चार अक्टूबर को अपराह्न कालिक दशमी मिलने से विजयादशमी भी इसी दिन मनाई जाएगी और नीलकंठ दर्शन, शमी पूजन, अपराजिता पूजन, जयंती ग्रहण आदि कृत्य होंगे।

काशी हिंदू विश्वविद्यालय में ज्योतिष विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. विनय पांडेय के अनुसार नवरात्र में देवी पूजन के अंतर्गत एक अक्टूबर शनिवार को षष्ठी तिथि में विल्वाभिमंत्रण किया जाएगा। दो अक्टूबर रविवार को सप्तमी तिथि में पत्रिका प्रवेश, सरस्वती आवाहन, देवी प्रतिमाओं की पंडालों में प्रतिष्ठा-पूजन के साथ ही महानिशा पूजन होगा। तीन अक्टूबर को महाष्टमी व्रत व देवी अन्नपूर्णा की परिक्रमा की जाएगी। पांच अक्टूबर को देवी प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाएगा।

नवरात्र व्रत का पारन

उतरती व्रत चार अक्टूबर को रखा जाएगा और पांच अक्टूबर को पारन किया जाएगा। नवरात्र पर्यंत नौ दिनों तक व्रत करने वाले भी पांच अक्टूबर को ही पारन करेंगे।

कलश स्थापन

देवी आराधना केनौ दिनों के इस विशेष काल नवरात्र में आश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि में कलश स्थापन का विधान होता है। इस वर्ष प्रतिपदा में चित्रा नक्षत्र व वैधृति योग की व्याप्ति न होने से 26 सितंबर को पूरे दिन कलश स्थापन किया जा सकेगा। मध्याह्न काल केअभिजिन्मुहूर्त में कलश स्थापन की इच्छा रखने वाले सुबह 11.36 से 12.24 बजे तक घट स्थापन कर सकेंगे।

हाथी पर आगमन और प्रस्थान भी

शारदीय नवरात्र में मां दुर्गा का आगमन और प्रस्थान दोनों ही हाथी पर हो रहा है। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष प्रो. गिरिजा शंकर शास्त्री के अनुसार देवी का आगमन व प्रस्थान दोनों ही शुभ है। इसका फल जल वृष्टि कहा गया है। ज्योतिष चंद्रिका के प्रकीर्ण प्रकरण में शारदीय नवरात्र में देवी के वाहन और उसके फल के बारे में सविस्तार उल्लेख है।


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