शरद पूर्णिमा की रात होगी अमृत की बरसात, स्नान दान और व्रत जागरण का विधान
भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार वर्ष में सिर्फ एक बार शरद पूर्णिमा पर ही चंद्रमा षोडश कलाओं से युक्त और उसकी किरणों से धरती पर अमृत वर्षा होती है।
वाराणसी [प्रमोद यादव] । आश्विन शुक्ल पूर्णिमा की सनातन धर्म में शरद पूर्णिमा की मान्यता है। आरोग्य-ऐश्वर्य व सुख-समृद्धि कामना का यह पर्व इस बार 24 अक्टूबर को पड़ रहा है। इस दिन स्नान-दान, व्रत के साथ ही कोजागरी व्रत की पूर्णिमा भी मनाई जाएगी। पूर्णिमा तिथि 24 अक्टूबर की रात 12.54 बजे लग रही है जो 25 अक्टूबर की रात 12.07 बजे तक रहेगी। ख्यात ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी के अनुसार शास्त्र सम्मत है कि शरद पूर्णिमा पर प्रदोष व निशिथ काल में होने वाली पूर्णिमा ली जाती है। वहीं कोजागरी व्रत की पूर्णिमा निशिथ व्यापिनी होनी चाहिए। अत: शरद पूर्णिमा व कोजागरी व्रत की पूर्णिमा 24 अक्टूबर को ही मनाई जाएगी।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार वर्ष में सिर्फ एक बार शरद पूर्णिमा पर ही चंद्रमा षोडश कलाओं से युक्त और उसकी किरणों से अमृत वर्षा होती है। इस विशेषता के कारण शृंगार रस के साक्षात स्वरूप प्रभु श्रीकृष्ण ने इसे रासोत्सव के लिए उपयुक्त माना। शरद पूर्णिमा की सुबह आराध्य देव को श्वेत वस्त्राभूषण से सज्जित कर पंचोपचार या षोडशोपचार पूजा करनी चाहिए। रात में गाय के दूध की घी-मिष्ठान मिश्रित खीर प्रभु को अर्पित करना चाहिए। मध्याकाश में स्थित पूर्ण चंद्रमा का पूजन करना चाहिए। आयुर्वेद शास्त्र ने नक्षत्राधिपति चंद्रमा को औषधियों का स्वामी माना है। इस रात चंद्र किरणों में औषधीय अमृत गुण आ जाता है। इसके सेवन से जीवन शक्ति मजबूत होती है।
महालक्ष्मी पूछेंगी-'को जागृयेति'
मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात देवी लक्ष्मी ऐरावत पर सवार हो पृथ्वीलोक पर भ्रमण के लिए आती हैं और पूछती हैैं- 'को जागृयेति'। व्रत व भजन-पूजन के साथ रतजगा कर रहे भक्तों को यश-कीर्ति व समृद्धि का आशीष देती हैैं। इस पूजा को 'कोजागरी उत्सव' के नाम से जाना जाता है। तिथि विशेष पर ऐरावत पर सवार भगवान इंद्र व माता लक्ष्मी का पूजन और उपवास करना चाहिए। रात में सविधि पूजन कर घर-बाहर, मंदिरों में यथा शक्ति दीप जलाना चाहिए। प्रात:काल इंद्र-लक्ष्मी का पूजन कर ब्राह्मणों को खीर का भोजन करा कर वस्त्रादि-दक्षिणा देनी चाहिए। इस दिन दुर्गोत्सव की पूरक पूजा के रूप में लक्ष्मी पूजन (लक्खी पूजा) का विधान है।
गड़वाघाट में औषधि वितरण
संतमत अनुयायी आश्रम मठ गड़वाघाट में 87 वर्षों की परंपरा के तहत पीठाधीश्वर स्वामी सरनानंद महाराज शरद पूर्णिमा पर 24 अक्टूबर को सुबह छह बजे से शाम तक दमा की आयुर्वेदिक औषधि वितरित करेंगे। इसके लिए 24 की रात गाय के दूध की खीर खुले आसमान के नीचे रखी जाएगी। कीनाराम स्थली में भी दवा का वितरण किया जाएगा। श्रीमठ में कोजागरी और शरद पूर्णिमा उत्सव का आरंभ होगा। कार्तिक मास महोत्सव की तैयारियों का सिलसिला इस दिन शुरु होगा। देव-पितृों के पथ प्रदर्शन कामना से प्रज्ज्वलित किए जाने वाले आकाश दीप भी पूर्णिमा की रात आकाश में टंग जाएंगे।