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बनारस में सड़कों पर धुल रहे अरमान, सड़क पर सीवर और गड्ढे में सरकारी फरमान Varanasi news

गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई के अफसरों को अल्टीमेटम देते हुए कहा है कि जल्द ही योजना को जनोपयोगी नहीं बनाया गया तो पेयजल की तरह इकाई के अफसरों पर भी कार्रवाई होगी।

By Edited By: Published: Mon, 26 Aug 2019 01:53 AM (IST)Updated: Mon, 26 Aug 2019 09:27 AM (IST)
बनारस में सड़कों पर धुल रहे अरमान, सड़क पर सीवर और गड्ढे में सरकारी फरमान Varanasi news
बनारस में सड़कों पर धुल रहे अरमान, सड़क पर सीवर और गड्ढे में सरकारी फरमान Varanasi news

वाराणसी, जेएनएन। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नगरीय सीवर सिस्टम को लेकर गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई के अफसरों को अल्टीमेटम देते हुए कहा है कि जल्द ही योजना को जनोपयोगी नहीं बनाया गया तो पेयजल की तरह इकाई के अफसरों पर भी कार्रवाई होगी। बावजूद इसके कार्य में शिथिलता जारी है। सीवर लाइन से शौचालय कनेक्शन के नाम पर कॉलोनियों की सड़कों और गलियों को खोदकर छोड़ दिया गया है। जबकि कई मोहल्लों में सीवर सड़क पर बह रहा है। बारिश में जलजमाव की समस्या बढ़ी है। वरुणापार क्षेत्र में कुल 50260 कनेक्शन करने हैं, जिसमें 23 हजार 400 कनेक्शन हुए हैं।

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जबकि गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई का दावा 25 हजार कनेक्शन का है। वहीं सीवर सिस्टम का फीडर मेनपाइप कचरा भरने से जाम है। सीवर सफाई के दौरान पांडेयपुर स्थित काली मंदिर के पास एक मार्च को दो सफाई मजदूरों की मौत हुई थी। इसके बाद से कार्य ठप है। इस कारण गोइठहां एसटीपी तक पर्याप्त मलजल नहीं पहुंच रहा, जिससे वह पूरी क्षमता से कार्य नहीं कर पा रहा है।

- देरी से बढ़ रही कार्य की लागत समय से काम पूरा नहीं होने से वरुणा पार क्षेत्र में सीवर लाइन योजना की लागत 98.31 करोड़ रुपये बढ़ गई है। प्रस्तावित कार्यो को पूरा करने अवधि वर्ष 2012 थी। जिसे बढ़ाकर जून 2014 किया गया था, जो वर्ष 2019 में मुकम्मल नहीं हुई। जिससे सीवेज सिस्टम के नाम पर सड़कों की खोदाई का दंश झेलना पड़ रहा।

- जेएनएनयूआरएम की सीवेज योजना

- 2007 में वरुणापार क्षेत्र में प्रस्तावित

- 309 करोड़ रुपये प्रारंभिक बजट

- 142.5 किमी ब्रांच व मेन सीवर लाइन

- 2012 जून में पूरा करने का लक्ष्य

बोले अधिकारी : शासन को 142 करोड़ रुपये का प्रस्ताव भेजा गया है। बजट आते ही कार्य को गति मिलेगी। 105 करोड़ का बजट आया था, जिससे करीब 25 हजार शौचालयों का कनेक्शन किया गया है। - एसके सिंह, महाप्रबंधक गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई।


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