Move to Jagran APP

खनन घोटाला में सीबीआइ के निशाने पर सोनभद्र के भी कई पूर्व अधिकारी

सपा सरकार में खनन पट्टों के आवंटन में हुई गड़बड़ी की चल रही सीबीआइ जांच की जद में सोनभद्र भी आने वाला है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Mon, 15 Jul 2019 08:07 PM (IST)Updated: Mon, 15 Jul 2019 08:07 PM (IST)
खनन घोटाला में सीबीआइ के निशाने पर सोनभद्र के भी कई पूर्व अधिकारी
खनन घोटाला में सीबीआइ के निशाने पर सोनभद्र के भी कई पूर्व अधिकारी

 सोनभद्र, जेएनएन। सपा सरकार में खनन पट्टों के आवंटन में हुई गड़बड़ी की चल रही सीबीआइ जांच की जद में सोनभद्र भी आने वाला है। न्यायालय ने वर्ष 2016 में गलत ढंग से पट्टा आवंटन व अवैध खनन की जांच की जिम्मेदारी सीबीआइ को सौंपी है। इसे लेकर उस दौरान में तैनात रहे संबंधित अधिकारियों के साथ ही खनन व्यवसायियों में खलबली मची हुई है। 

loksabha election banner

 सूत्रों का कहना है कि तीन अगस्त 2016 से एक दिसंबर 2016 के बीच जिले में भी कई खनन पट्टों का नवीनीकरण व आवंटन हुआ था। जिसमें नियम की अनदेखी जमकर की गई थी। ऐसे में कहा जा रहा है कि इसे लेकर वर्ष 2015 से 2016 तक जनपद में तैनात रहे आलाधिकारियों व खनन से जुड़े लोगों से इस बाबत पूछताछ संभव है। सीबीआइ के संभावित पूछताछ को लेकर पूर्व के समय जिले में तैनात अधिकारियों व इससे जुड़े लोगों में खलबली मची हुई है, इसके अलावा वर्तमान समय में तैनात खनन विभाग के अधिकारी भी होमवर्क में लगे हुए हैं।

नियमों की हुई थी जमकर अनदेखी : जहां एक तरफ ई-टेंडर नीति को धता बताकर जिले में नियमों को अनदेखी कर संबंधित अधिकारियों ने बालू व पत्थर खनन पट्टों का आवंटन कर खनन करवाया, निश्चित तौर पर यह जांच का विषय है। अब जब सीबीआइ इस पूरे प्रकरण की जांच कर रही है तो इस विषय को लेकर आवाज उठाने वाले लोगों के अंदर न्याय की उम्मीद जगी है। नाम न छापने की शर्त पर एक प्रशासनिक अधिकारी ने बताया कि अगर यहां पर सीबीआइ जांच हुई तो तत्कालीन कई बड़े अफसर इस जांच के गिरफ्त में आ जाएंगे। बताया कि पत्थर नवीनीकरण, नए पट्टे से लेकर अवैध खनन तक के गड़े मुद्दे उखड़ जाएंगे।

धारा 20 ने फंसाया पेंच : धारा 20 के प्रकाशन से पहले ही खनन विभाग ने जिले में तीन बालू की साइड को चालू कर दिया, इसके पूर्व भी छह-छह माह की अवधि के लिए बालू की कई खदानें आवंटित की गईं। जिसको लेकर पूर्व में वन विभाग द्वारा कोई आपत्ति दर्ज नहीं कराया गया लेकिन कुछ समय बाद पर्दे के पीछे क्या खेल हुआ यह तो नहीं पता लेकिन करीब एक वर्ष तक बालू साइड संचालन के बाद वन विभाग को याद आया कि खदान वन भूमि में है। इसके बाद आनन-फानन में बालू साइडों को बंद करा दिया गया।

यही हाल ई-टेंडर के तहत जिले में चालू किया गया पत्थर खदान का हुआ। सूत्रों के अनुसार पहले तो खदान लेने वाले खदान मालिकों ने अरनेस्ट मनी जमा करने में नियमों की अनदेखी की, इसके बाद बिना परमिट लिए हजारों टन पत्थर खोद डाले, यहां पर भी सबकुछ लूटने के बाद वन विभाग सामने आता है और उक्त खदान वन भूमि होने की दुहाई देते हुए खदान बंद करा देता है। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.