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सोनभद्र के ओबरा और अनपरा में कोयले की कमी के कारण सात यूनिटों को कराया गया शटडाउन

कोयला संकट को देखते हुए प्रदेश की सात इकाइयों को रिजर्व शटडाउन पर लेना पड़ा है। कोयला खदानों से दूर स्थित राज्य विद्युत उत्पादन निगम की हरदुआगंज एवं परीछा सहित ऊंचाहार की इकाइयों को शटडाउन पर लिया गया है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Mon, 18 Oct 2021 04:55 PM (IST)Updated: Mon, 18 Oct 2021 04:57 PM (IST)
सोनभद्र के ओबरा और अनपरा में कोयले की कमी के कारण सात यूनिटों को कराया गया शटडाउन
कोयला संकट को देखते हुए प्रदेश की सात इकाइयों को रिजर्व शटडाउन पर लेना पड़ा है।

जागरण संवाददाता, सोनभद्र। कोयला संकट को देखते हुए प्रदेश की सात इकाइयों को रिजर्व शटडाउन पर लेना पड़ा है। कोयला खदानों से दूर स्थित राज्य विद्युत उत्पादन निगम की हरदुआगंज एवं परीछा सहित ऊंचाहार की इकाइयों को शटडाउन पर लिया गया है। हरदुआगंज की 250 मेगावाट वाली दो इकाई, परीछा की 210 मेगावाट एवं 250 मेगावाट वाली दो-दो इकाई तथा ऊंचाहार की 210 मेगावाट वाली एक इकाई को रविवार शाम को रिजर्व शटडाउन पर लिया गया है। इसके बाद हरदुआगंज और परीछा तापीय परियोजनाओं का उत्पादन शून्य हो गया है।

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प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा रात में सभी क्षेत्रों को निर्बाध बिजली देने के निर्देश से संतुलन बैठाते हुए सोमवार दिन में जमकर थर्मल बैकिंग कराई गई।रात के लिए कोयला की उपलब्धता बढ़ाने के मद्देनजर दिन में कई इकाइयों की उत्पादन क्षमता में भारी कमी लाई गई है। सोमवार दोपहर में बिजली आपूर्ति 12 हजार मेगावाट से भी कम हो गई। प्रदेश के कई हिस्सों में तापमान में कमी से भी राहत मिली है। सोमवार दोपहर को ओबरा की 200 मेगावाट वाली 12 वीं इकाई भी तकनीकी कारणों से बंद हो गई। हालांकि उसे कुछ देर बाद लाइटप कर दिया गया। इससे पहले रविवार देर रात भी यह इकाई बंद हो गयी थी।

सोमवार को अनपरा और ओबरा की लगभग सभी इकाइयों को दिन में आधी क्षमता पर चलाया गया। दोपहर दो बजे के करीब 630 मेगावाट क्षमता वाले अनपरा अ तापघर से 334 मेगावाट, एक हजार मेगावाट क्षमता वाले अनपरा ब तापघर से 539 मेगावाट तथा अनपरा डी से 531 मेगावाट उत्पादन कराया जा रहा था। वहीं ओबरा परियोजना की 200 मेगावाट वाली तीन इकाइयों से क्रमशः 101 मेगावाट, 104 मेगावाट तथा 102 मेगावाट उत्पादन कराया जा रहा था। उत्पादन निगम की चालू कुल इकाइयों से मात्र 1710 मेगावाट तथा अन्य इकाइयों 4243 मेगावाट उत्पादन जारी था। उधर रविवार पीक आवर के दौरान मांग में कमी दर्ज की गई। इस दौरान अधिकतम प्रतिबंधित मांग 17763 मेगावाट दर्ज हुई। पीक आवर में केंद्रीय पूल से 8779 मेगावाट बिजली ली गई। मांग में कमी के बावजूद 2555 मेगावाट बिजली एनर्जी एक्सचेंज से ली गई।

जल विद्युत ने थामा मोर्चा

कोयला संकट के बीच जल विद्युत ने जमकर मोर्चा संभाला हुआ है। सोमवार दिन में भी रिहंद और ओबरा जल विद्युत घरों की इकाइयां निरंतर चलीं। रिहंद की चार इकाइयों को दिन भर चलाया गया। दिन में दो बजे के करीब चार इकाइयों से 178 मेगावाट उत्पादन हो रहा था। इसके अलावा ओबरा जल विद्युत घर की दो इकाइयों से 59 मेगावाट उत्पादन जारी था। दोपहर तक प्रदेश अंतर्गत सभी जल विद्युत इकाइयों का उत्पादन 1019 मेगावाट तक पहुंच गया था।

कोयले के स्टाक में कमी

सोमवार को ओबरा परियोजना में कोयले का स्टाक 24 हजार मीट्रिक टन ही बचा हुआ था, जिसके कारण समस्या काफी बढ़ गई है। कोयले की कमी को देखते हुए दिन में इकाइयों को कम क्षमता पर चलाया जा रहा है। ओबरा परियोजना के मुख्य महाप्रबंधक इ. दीपक कुमार ने बताया कि रात में बिजली की मांग ज्यादा है जिसके कारण दिन के सापेक्ष रात में कोयले का ज्यादा प्रयोग हो रहा है। उधर अनपरा परियोजना में सोमवार को 56 हजार मीट्रिक टन कोयला स्टाक था। जिसमे अनपरा अ तापघर के लिए 10 हजार मीट्रिक टन, अनपरा बी के लिए नौ हजार मीट्रिक टन तथा अनपरा डी के लिए 37 हजार मीट्रिक टन कोयला स्टाक था। इसके अलावा लैंको में 62 हजार मीट्रिक टन कोयला बचा हुआ है।


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