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सेटिंग से चल रहा था असली-नकली का कारोबार, वाराणसी में छापेमारी में कई ब्रांड के सिगरेट रैपर मिले थे

ब्रांडेड नकली सिगरेट बनाने वाली फैक्ट्री का प्लांट संबंधित विभागीय सेटिंग से चल रहा था। असली-नकली सिगरेट के कारोबार के खेल का जाल पूर्वांचल समेत बड़े-बड़े महानगरों तक फैला है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Tue, 08 Sep 2020 10:47 PM (IST)Updated: Tue, 08 Sep 2020 10:47 PM (IST)
सेटिंग से चल रहा था असली-नकली का कारोबार, वाराणसी में छापेमारी में कई ब्रांड के सिगरेट रैपर मिले थे
सेटिंग से चल रहा था असली-नकली का कारोबार, वाराणसी में छापेमारी में कई ब्रांड के सिगरेट रैपर मिले थे

वाराणसी, जेएनएन। ब्रांडेड नकली सिगरेट बनाने वाली फैक्ट्री का प्लांट संबंधित विभागीय सेटिंग से चल रहा था। असली-नकली सिगरेट के कारोबार के खेल का जाल पूर्वांचल समेत बड़े-बड़े महानगरों तक फैला है। यूपी से लेकर बिहार तक के कई सफेदपोश भी इस धंधे से जुड़े है। इस प्रकरण में पुलिस संबंधित विभाग से तहरीर मिलने की इंतजार कर रही है।

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स्थानीय कस्बा के निकट राने चट्टी स्थित एक किराए के मकान में करीब एक माह से नकली सिगरेट बनाने की सूचना पर रविवार की रात सीओ बड़ागांव ज्ञानप्रकाश राय, तहसीलदार रविशंकर यादव व थानाप्रभारी सुनीलदत्त दुबे ने मयफोर्स ऑटोमैटेड प्लांट के अंदर छापेमारी की। प्लांट के अंदर मशीन से सिगरेट बनाया जा रहा था। पुलिस को देख  मजदूर मौके से फरार हो गए।प्लांट के अंदर से पीएफ-10, गोल्ड प्रीमियम, टोटल, मैक्स, पेरिस समेत अन्य ब्रांड के सिगरेट रैपर बरामद हुए थे। एक प्लांट से कई ब्रांडेड रैपर मिलने से असली-नकलीके कारोबार का खेल सामने आया था। प्लांट व कुछ दूरी पर स्थित गोदाम को सील करने के साथ एक ढाबा पर बोरे में रखे सुर्ती को सीज किया गया था।

प्लांट के गेट पर नही लगा है कोई बोर्ड

स्थानीय क्षेत्र के ज्ञानपुर नहर के किनारे स्थित सिगरेट बनाने वाली प्लांट के गेट पर किसी प्रकार का कोई बोर्ड नही लगा है। जबकि हर प्लांट के बाहर कम्पनी का एक बोर्ड लगा रहता है। बोर्ड न लगना अब ग्रामीणो में चर्चा का विषय बना है। प्लांट की पहचान छीपाकर अंदर असली-नकली सिगरेट बनाने का खेल चल रहा था।प्लांट को बाहर से देखकर कोई कुछ अंदाजा ही नही लगा सकता है कि अंदर सिगरेट बनता है।फैक्ट्री संचालक द्वारा किराए पर लिए गए कमरों के बाबत मालिको को मोटी रकम दी जाती है।

बीस रुपये से लेकर तीन सौ रुपये तक का सिगरेट

सूत्रों की माने तो ऑटोमैटेड प्लांट के अंदर बीस रुपए के पैकेट से लेकर करीब तीन सौ रुपए के पैकेट तक का सिगरेट बनता रहा। इस तरह के सिगरेट प्लांट जिले के कई अन्य थाना क्षेत्रों में भी धड़ल्ले से चल रहे है।हाई ब्रांड के सिगरेट का बड़े-बड़े शहरों में ट्रको से सप्लाई की जाती है। मंडुआडीह थाना क्षेत्र में भी पिछले वर्ष 30 अगस्त को इसी तरह की नकली सिगरेट बनाने की फैक्ट्री पकड़ी गई थी। कम्पनी का मामला बिहार से जुड़ा रहा। इस  फैक्ट्री का मामला भी बिहार से ही जुड़ा है।

एक अन्य गोदाम में भी रखा है माल

स्थानीय कस्बा के निकट एक अन्य गोदाम में भी भारी मात्रा में सिगरेट समेत अन्य सामग्री रखे हुए है।पुलिस को इसकी भनक अभी नही लगी है। यानि प्लांट से काफी लंबे स्तर पर सिगरेट का कारोबार होता है।कारोबार से जुड़े लोगों के भी लंबे हाथ है। प्लांट में काम करने वाले मजदूर बिहार के रहे। थानाप्रभारी सुनीलदत्त दुबे ने बताया कि  मजिस्ट्रेट स्तर का मामला है।तहसीलदार का तबादला हो गया है। इसके साथ ही संबंधित विभाग व सिगरेट कम्पनियों के एजेंट आकर जांच-पड़ताल कर ही बताएंगे कि आखिर असली-नकली क्या है।अब नए मजिस्ट्रेट के आने पर या कोई तहरीर मिलने पर ही आगे की कारवाई की जाएगी।


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