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काशी विद्यापीठ उर्दू विभाग के तीन अध्यापकों की सेवा समाप्त, राजभवन के निर्देश पर कुलपति ने की कार्रवाई

महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ ने करीब ढाई साल पहले उर्दू विभाग में हुई तीन अध्यापकों की सेवा सोमवार को समाप्त कर दी है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Tue, 11 Aug 2020 11:10 AM (IST)Updated: Tue, 11 Aug 2020 05:33 PM (IST)
काशी विद्यापीठ उर्दू विभाग के तीन अध्यापकों की सेवा समाप्त, राजभवन के निर्देश पर कुलपति ने की कार्रवाई
काशी विद्यापीठ उर्दू विभाग के तीन अध्यापकों की सेवा समाप्त, राजभवन के निर्देश पर कुलपति ने की कार्रवाई

वाराणसी, जेएनएन। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ ने करीब ढाई साल पहले उर्दू विभाग में हुई तीन अध्यापकों की सेवा सोमवार को समाप्त कर दी है। व्यापक पैमाने में हुई अनियमितता को देखते हुए राजभवन ने राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम की धारा-68 के तहत इन अध्यापकों की नियुक्तियों को रद करने का आदेश दिया था। इसे लेकर विश्वविद्यालय में खलबली मची हुई है। उस दौरान अन्य विभागों में हुई नियुक्तयों पर भी तलवार लटक रही है।

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जनवरी-2018 में तत्कालीन कुलपति डा. पृथ्वीश नाग के कार्यकाल में उर्दू, वाणिज्य, अंग्रेजी, विधि, अर्थशास्त्र, अंग्रेजी, मैथ, मनोविज्ञान व ललित कला विभाग में 17 अध्यापकों की नियुक्तियां हुई थी। कुछ अभ्यार्थियों ने नियुक्तियों में धांधली का आरोप लगाते हुए इसकी शिकायत राजभवन से भी की थी। जांच में चयन की पूरी प्रक्रिया दोषपूर्ण मिली। इसे देखते हुए राज्यपाल व कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने कुलपति से कार्रवाई करने का आदेश दिया था। यही गत दिनों कुलाधिपति के अपर मुख्य सचिव महेश कुमार गुप्ता की ओर कुलपति को जारी पत्र में मनमाने तरीके से की गई नियुक्तियों पर सवाल उठाते कहा गया था कि तत्कालीन चयन समिति ने उर्दू विभाग में अनारक्षित तीन पदों के सापेक्ष 15 गुना अर्थात 45 अभ्यर्थियों को साक्षात्कार में बुलाने का निर्णय लिया था। साथ ही चयन समिति ने 50 से अंक कम एकेडमी परफार्मेंस इंडेक्स (एपीआइ) वाले अभ्यर्थी को साक्षात्कार में नहीं बुलाने का निर्णय लिया था। इसके बावजूद चयन समिति ने 50 से कम एपीआइ वाले अभ्यर्थी को साक्षात्कार में बुलाया गया। यही नहीं 200 से अधिक एपीआइ स्कोर प्राप्त अभ्यर्थियों अनदेखी कर मनमाने तरीके से  50 से कम एपीआइ वाले अभ्यर्थियों का चयन कर लिया गया। कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने उर्दू विभाग में अनियमित तरीके से हुई नियुक्तियों की जांच सीआइडी से कराने का भी आदेश दिया है। साथ ही पूरे प्रकरण पर प्राथमिकी भी दर्ज कराने का निर्देश दिया है। इसके अलावा उन्होंने उस दौरान हुई सभी शिक्षकों की नियुक्तियों का दोबारा परीक्षण कराने का भी आदेश दिया है। इसके लिए कुलपति की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति गठित करने का भी आदेश दिया है। इसमें उच्च शिक्षा निदेशालय के (प्रयागराज) व बीएचयू के किसी एक प्रोफेसर को सदस्य बनाने का निर्देश दिया गया है। कुलाधिपति के निर्देश पर विश्वविद्यालय प्रशासन उर्दू विभाग के तीन अध्यापकों की फाइलें सीआइडी के हवाले करने व प्राथमिकी भी दर्ज कराने की तैयारी में जुटा हुआ है। बहरहाल राजभवन ने पहली बार विद्यापीठ में अध्यापकों की नियुक्तियां निरस्त करने जैसा सख्त कदम उठाया है।

सभी फाइलें सील

वर्ष-2018 में हुई अध्यापकों की सभी नियुक्तियों पर तलवार लटक रही है। फिलहाल विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस दौरान आठ विभागों में हुई 17 अध्यापकों की नियुक्तियों की फाइलें आलमीरा में सील करा कर रख दी है। ताकि साक्ष्य के साथ कोई छेड़छाड़ न किया जा सके।

इन असिस्टेंट प्रोफेसरों की नियुक्ति हुई निरस्त

-डा. मोहम्मद निजामुद्दीन,  डा. शहाज इरम, डा. साफीना बेगम।


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