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वाराणसी में कोरोना एंटीबाडी की जांच के लिए सीरो सर्वे शुरू, 100 लोगों के नमूने

कोरोना के विरुद्ध लोगों में विकसित प्रतिरोधक क्षमता (एंटीबाडी) की जांच के लिए वाराणसी समेत 15 जिलों में सीरो सर्वे एक बार फिर सोमवार से शुरू हो गया है। इसमें जिले से कुल 100 नमूने एकत्रित किए जाएंगे। जांच के लिए केजीएमयू लखनऊ के माइक्रो बायलोजी विभाग भेजा जाएगा।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Wed, 29 Dec 2021 06:10 AM (IST)Updated: Wed, 29 Dec 2021 06:10 AM (IST)
वाराणसी में कोरोना एंटीबाडी की जांच के लिए सीरो सर्वे शुरू, 100 लोगों के नमूने
वाराणसी में कोरोना एंटीबाडी की जांच के लिए सीरो सर्वे शुरू

वाराणसी, जागरण संवाददाता। कोरोना के विरुद्ध लोगों में विकसित प्रतिरोधक क्षमता (एंटीबाडी) की जांच के लिए वाराणसी समेत 15 जिलों में सीरो सर्वे एक बार फिर सोमवार से शुरू हो गया है। इसमें जिले से कुल 100 नमूने एकत्रित किए जाएंगे। उन्हें जांच के लिए केजीएमयू लखनऊ के माइक्रो बायलोजी विभाग भेजा जाएगा। सीएमओ डा. संदीप चौधरी ने बताया कि जांच से निष्कर्ष निकाला जा सकेगा कि लोगों में कोरोना के प्रति कितनी एंटीबाडी विकसित हुई है।

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दो आयु वर्ग के लोगों में किया जाएगा सर्वे

अध्ययन स्वास्थ्यकर्मियों और आमजन में 60 प्लस व 18 से 59 वर्ष आयु वर्ग में किया जाएगा। दोनों वर्गों में वैक्सीनेशन अलग-अलग समय पर शुरू किया गया। इसलिए इसका असर भी उनकी एंटीबाडी पर अलग-अलग होगा।

क्या है उद्देश्य

सर्वे का उद्देश्य यह पता लगाना है कि लोगों में कोरोना के प्रति कितनी एंटीबाडी विकसित हुई। यह समझने में मदद मिलेगी कि आबादी का अभी भी कितना हिस्सा कोविड संक्रमण के दायरे में आ सकता है। सर्वे पांच समूहों में किया जा रहा है।

वर्गीकरण के अनुसार लोग चिह्नित जिला जन स्वास्थ्य विशेषज्ञ डा. शिशिर कुमार ने बताया कि सर्वे के लिए चिह्नित लोगों की सूची राज्य स्तर से भेजी गई है। उनसे संपर्क कर सहमति ली जाएगी। इसके आधार पर ब्लड सैंपल लिया जाएगा। स्वास्थ्यकर्मी दिए गए समय-स्थान पर इच्छुक व्यक्ति से मिलेंगे, लिखित सहमति लेंगे, सर्वेक्षण करेंगे और इच्छुक व्यक्ति का ब्लड सैंपल लेंगे। इसमें से सीरम अलग कर लखनऊ भेजा जाएगा।

पहले भी हो चुका है सर्वे

इससे पहले स्वास्थ्य विभाग की ओर से 18 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों में विकसित प्रतिरोधक क्षमता का पता लगाने के लिए जून 2021 में सीरो सर्वे किया गया था। परिणाम से पता चला कि अधिकांश आबादी में कोविड से लड़ने के लिए उनके रक्त में एंटीबाडी मौजूद है। अलग-अलग समूह के लोगों में एंटीबाडी अलग-अलग समय तक रहती है। भविष्य में कोविड के बेहतर प्रबंधन के लिए यह जानना जरूरी है कि दूसरी लहर के छह से सात महीने बाद और कोविड टीकाकरण की शुरुआत के नौ से 10 महीने बाद अब लोगों में कोविड से लड़ने के लिए कितनी एंटीबाडी है और यह अलग-अलग समूह के लोगों में किस तरह से भिन्न है।


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