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एक हजार जवानों के हाथ होगी काशी विश्वनाथ कारिडोर की सुरक्षा, क्यूआरटी संग सेक्टर व जोनल अफसरों की होगी तैनाती

दिसंबर की 13 तारीख यानी वह तिथि जब श्रीकाशी विश्वनाथ धाम जनता को अर्पित किया जाएगा और महादेव के भक्तों की चिर अभिलाषा पूर्ण होगी। इससे पहले यहां पर हर प्रकार से तैयारी को अंतिम रूप दिया जा रहा है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Fri, 26 Nov 2021 06:40 AM (IST)Updated: Fri, 26 Nov 2021 06:40 AM (IST)
एक हजार जवानों के हाथ होगी काशी विश्वनाथ कारिडोर की सुरक्षा, क्यूआरटी संग सेक्टर व जोनल अफसरों की होगी तैनाती
पुलिस, पीएसी व सीआरपीएफ के जवान विश्वनाथ कारिडोर में आठ-आठ घंटे की तीन शिफ्ट में ड्यूटी करेंगे।

जागरण संवाददाता, वाराणसी : दिसंबर की 13 तारीख यानी वह तिथि जब श्रीकाशी विश्वनाथ धाम जनता को अर्पित किया जाएगा और महादेव के भक्तों की चिर अभिलाषा पूर्ण होगी। इससे पहले हर प्रकार से तैयारी को अंतिम रूप दिया जा रहा है। सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनजर श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में पु्लिस, पीएसी और सीआरपीएफ के एक हजार जवानों की तैनाती की जाएगी।

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पुलिस आयुक्त ए. सतीश गणेश ने गुरुवार को श्रीकाशी विश्वनाथ धाम का निरीक्षण किया। इस दौरान सुरक्षा व्यवस्था की कार्ययोजना को अंतिम रूप दिया गया। उन्होंने बताया कि धाम में पीएसी के जवानों के 21 ड्यूटी प्वाइंट होंगे। प्रत्येक प्वाइंट पर पीएसी की एक सेक्शन हथियारबंद टुकड़ी तैनात होगी। यह टुकड़ी धाम के बाहरी घेरे की सुरक्षा करेगी। वहीं, 102 प्वाइंट पर पुलिस के जवान तैनात रहेंगे। इसके अलावा काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर व ज्ञानवापी से संबंधित रेड जोन की सुरक्षा का जिम्मा सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (सीआरपीएफ) के पास होगा।

तीन शिफ्टों में लगेगी ड्यूटी

पुलिस आयुक्त ए. सतीश गणेश ने बताया कि पुलिस, पीएसी व सीआरपीएफ के जवान विश्वनाथ कारिडोर में आठ-आठ घंटे की तीन शिफ्ट में ड्यूटी करेंगे। एक शिफ्ट में सीआरपीएफ के सौ जवान, पीएसी के 250 व पुलिस के 650 जवान तैनात रहेंगे। सुरक्षा व्यवस्था में तैनात जवानों को बार कोड युक्त स्मार्ट परिचय पत्र दिए जाएंगे। ड्यूटी पर तैनात जवानों के बेहतर नियंत्रण व तालमेल के लिए सेक्टर अफसर और उनके ऊपर जोनल अफसर तैनात किए जाएंगे। किसी भी प्रकार की आपात स्थिति से निपटने के लिए विश्वनाथ धाम परिसर व उसके बाहर क्विक रेस्पांस टीम (क्यूआरटी) भी 24 घंटे तैनात रहेगी। इसके साथ ही धाम के हर प्वाइंट, गंगा घाट व इसके आसपास के क्षेत्र की निगरानी के लिए अत्याधुनिक सीसीटीवी कैमरे भी लगवाए जा रहे हैैं।

अच्छे व्यवहार के लिए शार्ट टर्म प्रशिक्षण

पुलिस आयुक्त ने बताया कि प्रत्येक ड्यूटी प्वाइंट पर तैनात जवानों के लिए गाइडलाइन तैयार की जा रही है। इसके माध्यम से कर्मचारियों को उनके कर्तव्यों की जानकारी दी जाएगी। धाम में आने वाले श्रद्धालुओं के साथ अच्छे व्यवहार के लिए नियमित अंतराल पर पुलिसकर्मियों को शार्ट टर्म प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके अलावा समय-समय पर उच्चाधिकारियों, समाजशास्त्रियों व मनोवैज्ञानिकों से जवानों की काउंसिङ्क्षलग की व्यवस्था भी की जाएगी।

क्षेत्रफल बढ़ेगा, नहीं बढ़ेगा रेड जोन का दायरा

काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी के पुराने परिक्षेत्र से काशी विश्वनाथ धाम का क्षेत्रफल कई गुना बढ़ गया है। धाम को क्षेत्रफल पांच लाख 27 हजार 730 वर्ग फीट है। पुलिस आयुक्त ने बताया कि सुरक्षा व्यवस्था का खाका इस संबंध में गठित स्थायी समिति के दिशानिर्देशों के अनुरूप खींचा गया है। काशी विश्वनाथ मंदिर व ज्ञानवापी परिसर रेड जोन (आंतरिक घेरा) में रहेगा। नई सुरक्षा योजना में इसकी सीमा अपरिवर्तित रहेगी। इसके बाहर का क्षेत्र ग्रीन जोन होगा। यलो जोन में तलाशी व भीड़ नियंत्रण की जिम्मेदारी पहले की ही भांति सिविल पुलिस के पास रहेगी।

सीआइएसएफ के साथ सात दिवसीय कैप्सूल पाठ्यक्रम

केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के साथ सातदिवसीय कैप्सूल र्पाठ्यक्रम के लिए 25 - 25 पुलिसकर्मियों के अलग - अलग बैच बनाए गए हैं। पहले बैच का प्रशिक्षण शुरू किया गया है। पुलिसकर्मियों की दक्षता की जांच धाम क्षेत्र में स्थापित किए जा रहे सुरक्षा उपकरणों व गैजेट्््स के परीक्षण की शुरूआत के साथ की जाएगी। नई सुरक्षा योजना की जांच के बाद अनुमोदन के लिए उसे काशी विश्वनाथ - ज्ञानवापी सुरक्षा की स्थायी समिति को भेजा जाएगा।

सभी एंट्री प्वाइंट पर डीएफएमडी

पुलिस आयुक्त ने बताया कि काशी विश्वनाथ धाम में लगाने के लिए अत्याधुनिक डोर फ्रेम मेटल डिटेक्टर, हैंड हेल्ड मेटल डिटेक्टर, महिला फ्रिङ्क्षस्कग (जांच) बूथ व एक्सरे बैगेज स्कैनर सहित सभी उपकरण आ गए हैं। उनकी स्थापना भी शुरू हो गई है। डीएफएमडी व महिला फ्रिङ्क्षस्कग बूथ धाम के सभी एंट्री प्वाइंट पर लगाए जा रहे हैं। वहीं, एक्सरे परिसर में तीर्थ सुविधा केंद्रों के एंट्री प्वाइंट पर लगाए जा रहे हैं। बता दें कि राम मंदिर आंदोलन के दौरान श्रीकाशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी परिसर को अति संवेदनशील घोषित किया गया था। वर्ष 1992 के बाद इसकी सुरक्षा के लिए उच्चाधिकारियों की एक स्थायी समिति गठित की गई थी। किसी भी विपरीत स्थिति से निपटने के लिए स्थायी समिति सुरक्षा पर लगातार चर्चा करती रहती है।


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