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खुलेगा रहस्य, सिंधु घाटी में कहां से आए थे लोग?

वाराणसी : सिंधु घाटी की सभ्यता की खोज वर्ष 1920 में हो गई थी, लेकिन अभी तक यह पता नही

By JagranEdited By: Published: Mon, 06 Nov 2017 01:58 AM (IST)Updated: Mon, 06 Nov 2017 01:58 AM (IST)
खुलेगा रहस्य, सिंधु घाटी में कहां से आए थे लोग?
खुलेगा रहस्य, सिंधु घाटी में कहां से आए थे लोग?

वाराणसी : सिंधु घाटी की सभ्यता की खोज वर्ष 1920 में हो गई थी, लेकिन अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि उस घाटी क्षेत्र में कौन और कहां के लोग रहते थे। यह भी नहीं पता कि वह क्षेत्र कितना बड़ा था। अब इन रहस्यों से जल्द पर्दा उठने वाला है। इसके लिए हिसार के राखी गढ़ी से कंकालों के डीएनए सैंपल लिए गए हैं। इसकी जांच विश्व के प्रमुख तीन संस्थानों हैदराबाद स्थित सेंटर फार सेल्युलर मॉलीक्यूलर बायोलॉजी, हारवर्ड और कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में हो रही है। डेक्कन कालेज पोस्ट ग्रेजुएट एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट (डीम्ड यूनिवर्सिटी), पुणे के कुलपति प्रो. वसंत शिंदे के अनुसार डीएनए की जांच रिपोर्ट इसी वर्ष दिसंबर में आ जाएगी। इससे स्पष्ट हो जाएगा कि सिंधु घाटी में कहां के लोग थे। अगर बाहर के थे तो यहां के लोगों से क्या संबंध था, इसकी भी जानकारी मिल जाएगी। प्रो. शिंदे ने यह जानकारी रविवार को दैनिक जागरण से बातचीत में दी। वह बीएचयू के विज्ञान संकुल में आयोजित भारतीय पुरातत्व के क्षेत्र में नवीन अनुसंधान और उसकी वैज्ञानिक गवेषणा विषयक संगोष्ठी में भाग लेने आए हैं।

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प्रो. शिंदे ने बताया कि अभी तक दुनिया मान रही थी कि पाकिस्तान स्थित मोहन जोदड़ो सभ्यता का क्षेत्र ही सबसे बड़ा था, लेकिन अब सिद्ध हो चुका है राखी गढ़ी यानी सिंधु घाटी का क्षेत्र (500 हेक्टेयर) उससे भी बड़ा था। जांच में यह भी पता चला है कि वहां के लोगों ने कैसे विकास किया था। बताया कि वहां खोदाई हरियाणा सरकार के सहयोग से हुई है और संग्रहालय भी बनाया जा रहा है। पहली बार बिना खोदाई जीपीआर (ग्राउंड पेनिट्रेशन राडार) तकनीक से जमीन के अंदर की जांच करने वाले प्रो. शिंदे ने बताया कि खोदाई में मिलने वाले सभी साक्ष्य संग्रहालय में रखे जाएंगे।

लद्दाख में 20 हजार वर्ष पहले भी रहते थे लोग

वाराणसी : आर्किलोजिकल सर्वे आफ इंडिया के संयुक्त महानिदेशक एसबी ओटा ने बताया कि लद्दाख में 20 हजार वर्ष पहले भी लोग रहते थे। इसको लेकर उन्होंने 12 हजार फुट ऊंचाई पर जाकर 30 वर्ष पहले शोध शुरू किया था, हालांकि बीच में ब्रेक हो गया था, लेकिन पांच वर्ष पहले फिर से खोजबीन शुरू की है। बताया कि जाड़े के मौसम में तो वहां दिन का तापमान माइनस 14 डिग्री सेल्सियस तक हो जाता है। ऐसे में वहां इंसानों के रहने की पुष्टि ने पूरी दुनिया को चौंका दिया है। कहा लोगों का मानना है कि वहां पर इंसान नहीं रह सकता था क्योंकि उस वक्त सुविधाएं भी नहीं थी। बताया कि शोध में पाया गया है कि उस समय लोग पत्थरों एवं जानवरों की हड्डियों से औजार व हथियार बनाते थे। अब इस बात की खोज चल रही है कि लद्दाख पर इतने कम तापमान में भी लोग कैसे जीवनयापन करते थे।


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