जौनपुर में कोरोना की दूसरी लहर ने तोड़ी उद्योगों की कमर, सतहरिया में छह सौ करोड़ का नुकसान
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने दो माह में सारी व्यवस्थाओं को तहस-नहस कर दिया। उद्योगों के साथ ही अर्थव्यवस्था पर भी इसका काफी असर पड़ा है। जनपद के प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र सतहरिया को ही देखें तो यहां भारी नुकसान हुआ।
जौनपुर, जेएनएन। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने दो माह में सारी व्यवस्थाओं को तहस-नहस कर दिया। उद्योगों के साथ ही अर्थव्यवस्था पर भी इसका काफी असर पड़ा है। जनपद के प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र सतहरिया को ही देखें तो यहां भारी नुकसान हुआ। कई फैक्ट्रियां रहीं पूरी तरह बंद रहीं। कुछ चलीं भी तो एक चौथाई क्षमता से। शीतल पेय वरुण बेवरेज, हाकिंस, चारमीनार और सरिया उद्योग को व्यापक नुकसान उठाना पड़ा। अनुमान के मुताबिक दो माह के दौरान औद्योगिक क्षेत्र में लगभग छह सौ करोड़ का कारोबार प्रभावित हुआ। हालांकि अब धीरे-धीरे फैक्ट्रियों का संचालन शुरू हुआ है, लेकिन घाटे की भरपाई करने में काफी समय लगने की बात कही जा रही है। कोरोना की पहली लहर में भी उद्योगों के बंद होने से लगभग बारह सौ करोड़ का नुकसान हुआ था।
नहीं हो सका शीतल पेय का उत्पादन
शीतल पेय बनाने वाली कंपनी वरुण बेवरेज के जिम्मेदारों का कहना है कि मार्च-अप्रैल व मई माह शीतल पेय उत्पादन का सीजन होता है। अधिकांश बिक्री इसी तीन माह में होती है। प्रतिमाह लगभग 55 करोड़ का शीतल पेय का उत्पादन किया जाता है एवं आर्डर मिलता है। जो इन तीन महीनों में नहीं हो सका।
एक चौथाई क्षमता से चली फैक्ट्री
सरिया फैक्ट्री के जिम्मेदारों का कहना है कि उनका प्रतिमाह 40 करोड़ का उत्पादन होता था, लेकिन कोरोना काल में फैक्ट्री एक चौथाई उत्पादन कर सकी। हैदराबाद इंडस्ट्रीज चारमीनार के प्रबंधन का कहना है कि उनका प्रतिमाह 30 करोड़ का उत्पादन व सप्लाई होती है। जो दो माह में एक चौथाई ही रही। हाकिंस कुकर फैक्ट्री के प्रबंधन का दावा है कि प्रतिमाह 25 करोड़ का उत्पादन किया जाता है। दो माह में स्थिति पूरी तरह से बेपटरी रही। इसी तरह सतहरिया में कुल 114 फैक्ट्रियां संचालित हैं, जिनसे प्रतिमाह औसतन 400 करोड़ का कारोबार होता है। ऐसे में दो माह में यहां लगभग छह सौ करोड़ का नुकसान हुआ। कई फैक्ट्रियों को तो अप्रैल व मई माह में कोई आर्डर ही नहीं प्राप्त हुआ।
बोले उद्यमी
आइआइए जौनपुर चैप्टर के अध्यक्ष बृजेश यादव ने बताया कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान अप्रैल-मई में आर्डर ही नहीं मिले। दो महीने की लहर ने उद्यमियों की कमर तोड़ दी है। जिसकी भरपाई करने में लंबा समय लग जाएगा। औद्योगिक इकाइयां पूरी क्षमता से उत्पादन कर सकें। इसमें छह माह तक का समय लग सकता है।उद्यमी अनिल चौबे ने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान उद्यमियों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। दो माह तक एक चौथाई उत्पादन हुआ, जिससे कंपनी का खर्च व कामगारों का वेतन निकालना मुश्किल था, जबकि प्रतिमाह सवा करोड़ रुपये बिजली का बिल भुगतान करना पड़ रहा है, जो पूरी तरह से माफ किया जाना चाहिए।