आलू को झुलसा एवं सरसों पर माहू कीट कर सकता है बर्बाद, इस तरह बचाएं मौसम से अपनी फसल
आसमान पर बादल छाने से फसलों पर रोग का खतरा पैदा हो गया है बादल जमे रहे और बारिश हो जाती है तो आलू को झुलसा और सरसों को माहू कीट बर्बाद कर सकता है।
गाजीपुर, जेएनएन। आसमान पर बादल छाने से फसलों पर रोग का खतरा पैदा हो गया है। बादल जमे रहे और बारिश हो जाती है तो आलू को झुलसा और सरसों को माहू कीट बर्बाद कर सकता है। उधर, सुबह से ही आसमान पर बादल छाने से गलन और ठंड में इजाफा हुआ। आसमान पर बादल छाने के चलते भगवान भास्कर के दर्शन नहीं हुए। हालांकि तीसरे पहर लगा कि बादलों की ओट से सूरज बाहर आ जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हो सका। शुक्रवार को छाए बादल शनिवार को जमे होने से बारिश का अंदेशा हो बना हुआ है।
फसलों के बचाव के लिए किसान करें छिड़काव
पीजी कालेज स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के फसल सुरक्षा वैज्ञानिक ओमकार ङ्क्षसह ने बताया कि बदली छाई रहेगी। बारिश होगी तो चना एवं मसूर के फूलों के झरने का खतरा बढ़ जाएगा। अगर मौसम ऐसा ही रहता है और बारिश होती है और रात का तापमान दस डिग्री से कम होता है तो आलू पर झुलसा रोग लगने आशंका बढ़ जाएगी। चना एवं मसूर पर उकठा रोग लगना शुरू हो गया जिसका बचाव करना किसानों के लिए काफी जरूरी है। ध्यान रहे कि बारिश होने से छह घंटे पहले एवं बाद में ही दवाओं का छिड़काव करें।
माहू से सरसों को ऐसे बचाएं
ऐसे मौसम में सरसों पर माहू कीट लगने का भय हो जाता है। किसान सरसों को माहू कीट से बचाने के लिए डाइमेयोथ्योट या इमीडाक्लोरपिड का छिड़काव कर सकते हैं।
झुलसा से बचाने के लिए करें छिड़काव
बताया कि आलू में अगर झुलसा रोग का प्रकोप लग रहा है। पत्तों पर काले-काले धब्बे दिख रहे हैं तो फफूंदनाशक दवा साइमोक्सिन एवं मेंकोजेब के घोल का मिश्रण बनाकर उसका छिड़काव कर सकते हैं, जहां पर लक्षण नहीं दिख रहे हैं लेकिन आशंका है कि रोग लग सकता है ऐसे में किसान केवल मेंकोजेब का छिड़काव कर सकते हैं।
उकठा से करें बचाव
मौसम में चना में उकठा रोग लगना शुरू हो गया है। ऐसे में अगर पौधे सूख रहे हैं तो किसान उस पर प्रोपीकोनाजोल या कार्बेंडाजील दवा का छिड़काव कर सकते हैं। वहीं मसूर में जड़सडऩ एवसं उकठा रोग का खतरा रहता है जिसमें इन्हीं दचाओं का उपयोग किया जा सकता है।
टमाटर एवं मटर को पाला से बचाएं
मुहम्मदाबाद क्षेत्र के पुरस्कृत किसान शेख अब्दुल्लाह ने बताया कि ऐसे मौसम में टमाटर, मटर एवं मिर्चा पर पाला का खतरा बढ़ जाता है । इससे बचाव के लिए दवा का छिड़काव काफी जरूरी है। बताया कि किसानों के लिए हर दस दिन पर दवा का छिड़काव काफी जरूरी है।